12 नव॰ 2015

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अमीर बने तरीके

By: Successlocator On: नवंबर 12, 2015
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  • एक समय की बात है, एक व्यक्ति अपने आर्थिक हालातों से बेहद तंग आ चूका था| उसको अपनी जिंदगी में इन बुरे हालातों से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था इसलिए एक दिन उसने एक कायर व्यक्ति की तरह आतमहत्या करने के विषय में सोचा और चल दिया आतमहत्या करने | जब वह यह कुकृत्य करने जा रहा था तभी उसे रास्ते में एक व्यक्ति कुछ पुस्तकें बेचता दिखा और उसकी नज़र एक पुस्तक पर पड़ी | इस पुस्तक का शीर्षक था " अमीर बनने के तरीके | व्यक्ति ने सोचा क्यों ना मरने से पहले इसको पढ़ लिया जाए , शायद काम बन जाए | अतः इस व्यक्ति ने यह पुस्तक ले ली |
     
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    पुस्तक में शामिल कई तरीकों में से उसको एक तरीका बहुत भाया | यह तरीका था पारस पत्थर , पारस पत्थर एक ऐसा पत्थर होता है जो लौहे को छू ले तो वो सोना बन जाता है |"अगर ऐसा पत्थर मुझे मिल जाये तो ज़िन्दगी में आनंद ही आनंद हो जाये " मन ही मन उसने सोचा | पर ऐसा पत्थर मिलेगा कैसे? जब उसने आगे पढ़ा तो पुस्तक में लिखा था की यह पत्थर समुद्र के किनारे पाया जाता है और इसकी पहचान यह है की बाकि सभी पत्थर ठंडे होंगे जबकि पारस पत्थर गर्म होगा | बस फिर क्या था यह साहब चल दिए पारस पत्थर की तलाश में | समुद्र के किनारे पंहुचने पर इन्होंने देखा की हर तरफ ढेरों पत्थर हैं | कंहा से शुरू किया जाए और फिर कैसे उन्हें अलग किया जाये | इनको एक उपाय सूझा , कि क्यों न हर पत्थर को छू छू कर समुद्र में फेंक दिया जाये इस तरह पत्थरों के आपस में मिलने की संभावना भी नहीं रहेगी और बचे हुए पत्थरों पर ही ध्यान केन्द्रित करना होगा | इस तरह से काम शुरू हो गया ये साहब हर पत्थर को छूते और ठंडा होने पर उसको समुद्र के हवाले कर देते | धीरे -२ पत्थर को जांचने में अभ्यस्तता बढ़ रही थी साथ ही साथ काम की तेजी भी | ठंडा है फेंको, ठंडा है फेंको , ठंडा है फेंको .....गर्म है फेंको , ये क्या हुआ गर्म पत्थर यानी के पारस पत्थर भी हाथ में आया और उसे भी समुद्र के हवाले कर दिया |"हे भगवान् ये मैंने क्या कर दिया " उसने अपने आप से दुखी होकर कहा |
    दोस्तों कुछ ऐसा ही हम सबके साथ होता है | हम आजीवन अवसरों की तलाश में लगे रहते हैं जो हमारी जिंदगी को बदल दें पर अवसरों को पहचानना और उनको सही मायनों में इस्तेमाल करना बहुत अलग बात होती है | ज़िन्दगी में हमें भी कई अवसर मिलते हैं पर हम उनको अपने हाथों से निकलने के बाद ही समझ पाते हैं जैसे की इस कहानी में वह व्यक्ति | एक सही सकरात्मक सोच के साथ हम अपने जीवन को ऐसे अवसरों का लाभ उठाकर वाकई बदल सकते हैं |

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