24 नव॰ 2016
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जिसे हम ध्यान कहते है वो आज्ञा चक्र ध्यान ही है मगर इसको सीधे ही करना लगभग असम्भव है उसके लिये साधक को पहले त्राटक करना चाहिये और एकाग्रता हासिल होने पर ध्यान का अभ्यास आरम्भ करना चाहिये। इस त्राटक में हमकों अपनी आंख के अंदर दिखने वाले अंधेरे में नजर जमानी होती है मगर नये साधक के लिये सीधे ही आज्ञाचक में नजर जमाना मुश्किल होता है इसलिये इसके अभ्यास के पहले त्राटक का अभ्यास कर लीजिये। अन्यथा इसमें सफलता मिलने की उम्मीद कम ही होती है। त्राटक से जब आपके विचार शान्त होने लगते है नजर एक ही स्थान पर जमने लगती है तो इसमें सफलता शीघ्रता से मिल जाती है।
* सर्व प्रथम साधक प्रतिदिन एक निश्चित समय पर अपने पूजा स्थान या अपने सोने के कमरे अथवा किसी निर्जन स्थान में सिध्दासन या सुखासन में बैठ कर ध्यान लगाने का प्रयास करे, ध्यान लगाते समय अपने सबसे पहले अपने आज्ञा चक्र पर ध्यान केद्रित करे तथा शरीर को अपने वश मे रखने का प्रयास करें बिल्कुल शांत निश्चल और स्थीर रहें, शरीर को हिलाना डूलना खुजलाना इत्यादि न करें। तथा नियम पुर्वक ध्यान लगाने का प्रयास करें। साधना के पहले नहाना आवश्यक नही है प्रयास करे कि उठने पर जितनी जल्दी साधना आरम्भ कर दे उतना ही लाभ दायक रहता है क्योंकि सो कर उठने पर हमारा मन शान्त रहता है मगर फिर वो धीरे धीरे चलायमान हो जाता है जागने के जितना देर बाद आप ध्यान में बैठेंगे उतना ही देर में वो एकाग्र हो पायेगा। ये नियम सभी त्राटक या साधनाओं पर लागू होता है
* साधक जब ध्यान लगाने की चेष्टा करता है तब मन अत्यधिक चंचल हो जाता है तथा मन में अनेकों प्रकार के ख्याल उभरने लगते हैं। साधक विचार को जितना ही एकाग्र करना चाहता है उतनी ही तिव्रता से मन विचलित होने लगता है तथा मन में दबे हुए अनेकों विचार उभर कर सामने आने लगते हैं। त्राटक के बिना सीधे ही ध्यान लगाना मुश्किल है इसलिये त्राटक से शुरूआत करके आज्ञा चक्र ध्यान पर आइये। बस आंखों को बंद कर लीजिये व आंख के अंदर दिखने वाले अंधेरे को देखते रहिये। जो कुछ दिखे देखते रहिये कोई विश्लेशण मत कीजिये। कुछ समय बाद आपको अपनी आंखों के अदर प्रकाश के गोले से दिखना शुरू हो जायेंगे हल्के प्रकाश के छोटे गोले आयेंगे वो एक जगह एकत्र होते हुये तेज प्रकाश में बदलते जायेंगे आपस में मिलते जायेंगे। कुछ दिन बाद आपको उनमें कुछ सीन दिखाई देना शुरू हो जायेंगे। एकदम फिल्म की तरह। बस उसको देखते रहिये। शुरूआत में ये सीन हमारे मनचाहे नही होते। कुछ भी दिख सकता है अनदेखा दिख सकता है कल्पना नही है वो सब विश्व में कही ना कही मौजूद है। फिर अभ्यास बढ जाने पर एकाग्रता बढ जाने पर हम मनचाहे सीन देख सकते है वो अपना या किसी का भूत भविष्य वर्तमान सबकुछ हो सकता है जो आप सोच सकते है वो हो सकता है हजारों लाखों साल पुराना देख सकते है या भविष्य मे घटने वाली घटनायें भी देख सकते है।
आज्ञाचक्र ध्यान वाली विधि आप अंधेरे में आखे खोल कर देखते हुये भी कर सकते है। उसके लिये कमरे में एकदम अंधेरा होना चाहिये। बस अंधेरे में ध्यान से देखते रहिये। इसका वही प्रभाव है जो आज्ञाचक्र घ्यान या तीसरे नेत्र पर ध्यान का है।
त्राटक के नियम व सावधानियॉ
पलकों पर ध्यान ना दीजिये पलकों को जबरदस्ती खुला रखने का प्रयत्न ना कीजिये। पलक झपकी है झपकने दीजिये। जबरदस्ती आंखे खोले रखने पर आंखों की नमी सूख जाती है वा अंधापन आ जाता है। मगर नेट पर व किताबों में वर्णन आता है कि आप आधा एक घण्टा आंखे खुली ही रखों जबकि नये अभ्यासी के लिये ये असम्भव है। आंखें और ज्यादा देर तक खुली रहने का समय अपने आप ही आपके अभ्यास के अनुसार दिन बीतने पर बढता जाता है। आप टी वी देखते पर या कोई चीज देखते पर जिस प्रकार पलकों पर ध्यान नही देते उसी प्रकार से त्राटक कीजिये। आंखों पर ध्यान ही ना दीजिये। यदि कोई व्यक्ति वेट लिफटर बनने का प्रयास कर रहा है तेा पहले दिन वो बीस तीस किलो वजन ही उठा पायेगा फिर धीरे धीरे अभ्यास बढने पर वो समय के साथ चालीस किलो पचास किलो सौ किलो दो सौ किलो वजन उठाने लगेगा। मगर यदि उसको बताया जाये कि तुम एकदम से दो सौ किलो वजन उठा लो तो वो उसको हिला भी नही सकता या उसके उपर जबरदस्ती उतना वजन लाद दिया जाये तो गिर कर या उस वजन से दब कर उसकी हडडी पसली टूटेगी या उसकी मौत होगी। इसी प्रकार से योग या ध्यान की कोई क्र्रिया है। आप अपने आप शरीर से कोई जबरदस्ती नही कर सकते1। यदि करेंगे तो अपना नुकसान ही होगा। आपको शक्ति मिलेंगी नही बल्कि खर्चा होगी। इस लिये अपनी आंखों को जबरदस्ती खुला रखने का प्रयास ना करे ओर जिस चीज पर त्राटक कर रहे है उसी पर अपनी नजर जमा कर पूरा ध्यान वही रखे।
त्राटक के लिये वस्तु से आंख की दूरी का कोई महतव नही है। आपको जहॉ से अच्छी तरह वस्तु नजर आये वही पर रखिये। इसकी दूरी तीन फिट से दो चार किलोमीटर तक कुछ भी हो सकती है// दूर का मकान टावर पेड चांद तारा आदि कुछ भी। दूरी कोई मायने नही रखती।।
ये कह देने से कि आंखे खुली रखना पलक ना झपकाना। बस आदमी का विश्वास इस विधि से टूट जाता है वो सोचता है कि ये बडा मुश्किल है मै नही कर पाउंगा वो बडे सिद्ध महात्मा होते है जो ये करते है। घण्टा दो घण्टा आंखे खुली रहने वाली स्थिति साधना की आगे की अवस्था में आती है मगर लोग वो बाद की अवस्था शुरूआती साधकों को बता कर भ्रमित करते है। आदमी त्राटक को बेकार समझता है जबकि तीसरा नेत्र वा सहस्रार जागरण की इससे अच्छी विधि नही है। मगर इसकी मुश्किल व्याख्या की वजह से आदमी इसमें छुपे वैज्ञानिक तथ्य को नही समझ पाता व दो चार बार प्रयास के बाद ही इसको बेकार कह कर निराश होकर इसको छोड देता है।
त्राटक या ध्यान की कोई भी क्रिया करने के बाद आधा घण्टा योग निद्रा अवश्य करे।। योग निद्रा हमारे किसी भी अभ्यास को दस गुना तेजी से बढाने में सहायक है।
त्राटक के बाद यदि आपको तुरन्त उठना है तो दस मिनट बाद आंखों को सादे पानी से धो लीजिये
यदि आंखों में किसी प्रकार का कष्ट महसूस हो तो ये क्रिया कुछ दिनों के लिये रोक दे। यदि आंख में इंफेक्शन वाली कोई मौसमी बीमारी है जिसे आंख उठना कहते है तेा उस समय त्राटक ना करें क्योंकि उस दशा में आंखों पर अतिरिक्त दबाव पडता है क्योंकि बीमारी की दशा में आंखों की नसों में सूजन आ जाती है। आपके द्वारा त्राटक का अभ्यास करने पर वो आपको और नुकसान करेगा।
दिन में दो बार अपनी सुविधानुसार किसी निश्चित समय पर 45 मिनट से लेकर 1 घण्टा तक त्राटक करे। शुरू में हर आदमी इतनी देर त्राटक नही कर पायेगा। इस दशा में यदि आप अपनी आंखों की क्षमता के अनुसार दस बीस मिनट में ही आंखों मे तनाव महसूस कर रहे है तो आप दस बीस मिनट ही त्राटक करे। मगर उसके बाद भी आप पूरा एक घण्टा उसी स्थान पर शांति से आंख बंद करके बैठने का अभ्यास करे। इससे आपके मन की आदत होगी शांत होने की। यदि आपने बीस मिनट त्राटक किया तो उसके बाद शांति से बैठ कर अपने आप काे महसूस कीजिये। मन बार बार भागेगा मगर उसको फिर वही खीच लाइये। अपने आप को महसूस कीजिये अपनी सांसों पर ध्यान दीजिये अपनी सांसों को चलता देखिये। एक घण्टा बैठने का तात्पर्य यही है कि हमारी आदत पडनी चाहिये ध्यान के लिये एक ही स्थान पर एक घण्टा बैठने की।
बहुत से लाेग पूछते है कि एक साथ सारे त्राटक कर सकते है या नही।। हॉ कर सकते है मगर एक समय में एक ही त्राटक करे। यदि एक घण्टा त्राटक करते है तो एक ही चीज पर एक घण्टा त्राटक कीजिये। अगली बार जब त्राटक करे तो दूसरी चीज पर कीजिये। सबका प्रभाव एक ही है।
जिन लोगों की नजर कमजोर है वो त्राटक का समय पॉच दस मिनट से शुरू करे व धीरे धीरे समय बढाये। धीरे धीरे नजर ठीक हो जायेगी। धेर्य की आवश्यकता है त्राटक ध्यान या प्राणायाम में किसी प्रकार की जोर जबरदस्ती अपने शरीर के साथ ना करे।। ये जोर जबरदस्ती आपको स्थाई रूप से नुकसान पहुचा सकती है।
आप किसी भी चीज को एकटक देख कर त्राटक कर सकते है। मेज पर रखा कलम कप गिलास आदि कोई भी वस्तु। दूर कोई टेलीफोन टावर मकान खम्भा चॉद तारा आदि। बस नजर चीज पर जमा लो ध्यान से देखते रहो कुछ ना सोचो। सडक चलते हुये भी कर सकते है सडक की हर चीज को ध्यान से देखों कोई विश्लेशण मत करो मन शांत रहने लगेगा। मगर यदि कोई अच्छी अध्यात्मिक सफलता शक्ति या सिद्धि चाहिये तो रोज दो तीन बार सही प्रकार से उपर बताई विधियों से त्राटक करना चाहिये। किसी चीज पर जब हम नजर जमाते है तो उसके आसपास की चीजें दिखना बंद हो जाती है तो समझ लो कि आपका मन शांत हो रहा है और आपको ध्यान में सफलता मिल रही है। ध्यान की सबसे सफल व शीघ्र सफलता दिलाने वाली विधि त्राटक है।
कोई भी त्राटक तेज प्रकाश में ना करे। उसके लिये दिन का प्राक्रतिक प्रकाश या रात में दीपक के प्रकाश का इस्तेमाल करे। तेज चमकती चीजों पर त्राटक ना करे जैसे बिजली का बल्ब हैलोजन टीवी स्क्रीन कम्प्यूटर या मोबाइल स्क्रीन आदि। Description: Dhyan
आज्ञाचक्र ध्यान अथवा अंतर त्राटक अथवा ध्यान साधना प्रयोग
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On: नवंबर 24, 2016
जिसे हम ध्यान कहते है वो आज्ञा चक्र ध्यान ही है मगर इसको सीधे ही करना लगभग असम्भव है उसके लिये साधक को पहले त्राटक करना चाहिये और एकाग्रता हासिल होने पर ध्यान का अभ्यास आरम्भ करना चाहिये। इस त्राटक में हमकों अपनी आंख के अंदर दिखने वाले अंधेरे में नजर जमानी होती है मगर नये साधक के लिये सीधे ही आज्ञाचक में नजर जमाना मुश्किल होता है इसलिये इसके अभ्यास के पहले त्राटक का अभ्यास कर लीजिये। अन्यथा इसमें सफलता मिलने की उम्मीद कम ही होती है। त्राटक से जब आपके विचार शान्त होने लगते है नजर एक ही स्थान पर जमने लगती है तो इसमें सफलता शीघ्रता से मिल जाती है।
* सर्व प्रथम साधक प्रतिदिन एक निश्चित समय पर अपने पूजा स्थान या अपने सोने के कमरे अथवा किसी निर्जन स्थान में सिध्दासन या सुखासन में बैठ कर ध्यान लगाने का प्रयास करे, ध्यान लगाते समय अपने सबसे पहले अपने आज्ञा चक्र पर ध्यान केद्रित करे तथा शरीर को अपने वश मे रखने का प्रयास करें बिल्कुल शांत निश्चल और स्थीर रहें, शरीर को हिलाना डूलना खुजलाना इत्यादि न करें। तथा नियम पुर्वक ध्यान लगाने का प्रयास करें। साधना के पहले नहाना आवश्यक नही है प्रयास करे कि उठने पर जितनी जल्दी साधना आरम्भ कर दे उतना ही लाभ दायक रहता है क्योंकि सो कर उठने पर हमारा मन शान्त रहता है मगर फिर वो धीरे धीरे चलायमान हो जाता है जागने के जितना देर बाद आप ध्यान में बैठेंगे उतना ही देर में वो एकाग्र हो पायेगा। ये नियम सभी त्राटक या साधनाओं पर लागू होता है
* साधक जब ध्यान लगाने की चेष्टा करता है तब मन अत्यधिक चंचल हो जाता है तथा मन में अनेकों प्रकार के ख्याल उभरने लगते हैं। साधक विचार को जितना ही एकाग्र करना चाहता है उतनी ही तिव्रता से मन विचलित होने लगता है तथा मन में दबे हुए अनेकों विचार उभर कर सामने आने लगते हैं। त्राटक के बिना सीधे ही ध्यान लगाना मुश्किल है इसलिये त्राटक से शुरूआत करके आज्ञा चक्र ध्यान पर आइये। बस आंखों को बंद कर लीजिये व आंख के अंदर दिखने वाले अंधेरे को देखते रहिये। जो कुछ दिखे देखते रहिये कोई विश्लेशण मत कीजिये। कुछ समय बाद आपको अपनी आंखों के अदर प्रकाश के गोले से दिखना शुरू हो जायेंगे हल्के प्रकाश के छोटे गोले आयेंगे वो एक जगह एकत्र होते हुये तेज प्रकाश में बदलते जायेंगे आपस में मिलते जायेंगे। कुछ दिन बाद आपको उनमें कुछ सीन दिखाई देना शुरू हो जायेंगे। एकदम फिल्म की तरह। बस उसको देखते रहिये। शुरूआत में ये सीन हमारे मनचाहे नही होते। कुछ भी दिख सकता है अनदेखा दिख सकता है कल्पना नही है वो सब विश्व में कही ना कही मौजूद है। फिर अभ्यास बढ जाने पर एकाग्रता बढ जाने पर हम मनचाहे सीन देख सकते है वो अपना या किसी का भूत भविष्य वर्तमान सबकुछ हो सकता है जो आप सोच सकते है वो हो सकता है हजारों लाखों साल पुराना देख सकते है या भविष्य मे घटने वाली घटनायें भी देख सकते है।
आज्ञाचक्र ध्यान वाली विधि आप अंधेरे में आखे खोल कर देखते हुये भी कर सकते है। उसके लिये कमरे में एकदम अंधेरा होना चाहिये। बस अंधेरे में ध्यान से देखते रहिये। इसका वही प्रभाव है जो आज्ञाचक्र घ्यान या तीसरे नेत्र पर ध्यान का है।
त्राटक के नियम व सावधानियॉ
पलकों पर ध्यान ना दीजिये पलकों को जबरदस्ती खुला रखने का प्रयत्न ना कीजिये। पलक झपकी है झपकने दीजिये। जबरदस्ती आंखे खोले रखने पर आंखों की नमी सूख जाती है वा अंधापन आ जाता है। मगर नेट पर व किताबों में वर्णन आता है कि आप आधा एक घण्टा आंखे खुली ही रखों जबकि नये अभ्यासी के लिये ये असम्भव है। आंखें और ज्यादा देर तक खुली रहने का समय अपने आप ही आपके अभ्यास के अनुसार दिन बीतने पर बढता जाता है। आप टी वी देखते पर या कोई चीज देखते पर जिस प्रकार पलकों पर ध्यान नही देते उसी प्रकार से त्राटक कीजिये। आंखों पर ध्यान ही ना दीजिये। यदि कोई व्यक्ति वेट लिफटर बनने का प्रयास कर रहा है तेा पहले दिन वो बीस तीस किलो वजन ही उठा पायेगा फिर धीरे धीरे अभ्यास बढने पर वो समय के साथ चालीस किलो पचास किलो सौ किलो दो सौ किलो वजन उठाने लगेगा। मगर यदि उसको बताया जाये कि तुम एकदम से दो सौ किलो वजन उठा लो तो वो उसको हिला भी नही सकता या उसके उपर जबरदस्ती उतना वजन लाद दिया जाये तो गिर कर या उस वजन से दब कर उसकी हडडी पसली टूटेगी या उसकी मौत होगी। इसी प्रकार से योग या ध्यान की कोई क्र्रिया है। आप अपने आप शरीर से कोई जबरदस्ती नही कर सकते1। यदि करेंगे तो अपना नुकसान ही होगा। आपको शक्ति मिलेंगी नही बल्कि खर्चा होगी। इस लिये अपनी आंखों को जबरदस्ती खुला रखने का प्रयास ना करे ओर जिस चीज पर त्राटक कर रहे है उसी पर अपनी नजर जमा कर पूरा ध्यान वही रखे।
त्राटक के लिये वस्तु से आंख की दूरी का कोई महतव नही है। आपको जहॉ से अच्छी तरह वस्तु नजर आये वही पर रखिये। इसकी दूरी तीन फिट से दो चार किलोमीटर तक कुछ भी हो सकती है// दूर का मकान टावर पेड चांद तारा आदि कुछ भी। दूरी कोई मायने नही रखती।।
ये कह देने से कि आंखे खुली रखना पलक ना झपकाना। बस आदमी का विश्वास इस विधि से टूट जाता है वो सोचता है कि ये बडा मुश्किल है मै नही कर पाउंगा वो बडे सिद्ध महात्मा होते है जो ये करते है। घण्टा दो घण्टा आंखे खुली रहने वाली स्थिति साधना की आगे की अवस्था में आती है मगर लोग वो बाद की अवस्था शुरूआती साधकों को बता कर भ्रमित करते है। आदमी त्राटक को बेकार समझता है जबकि तीसरा नेत्र वा सहस्रार जागरण की इससे अच्छी विधि नही है। मगर इसकी मुश्किल व्याख्या की वजह से आदमी इसमें छुपे वैज्ञानिक तथ्य को नही समझ पाता व दो चार बार प्रयास के बाद ही इसको बेकार कह कर निराश होकर इसको छोड देता है।
त्राटक या ध्यान की कोई भी क्रिया करने के बाद आधा घण्टा योग निद्रा अवश्य करे।। योग निद्रा हमारे किसी भी अभ्यास को दस गुना तेजी से बढाने में सहायक है।
त्राटक के बाद यदि आपको तुरन्त उठना है तो दस मिनट बाद आंखों को सादे पानी से धो लीजिये
यदि आंखों में किसी प्रकार का कष्ट महसूस हो तो ये क्रिया कुछ दिनों के लिये रोक दे। यदि आंख में इंफेक्शन वाली कोई मौसमी बीमारी है जिसे आंख उठना कहते है तेा उस समय त्राटक ना करें क्योंकि उस दशा में आंखों पर अतिरिक्त दबाव पडता है क्योंकि बीमारी की दशा में आंखों की नसों में सूजन आ जाती है। आपके द्वारा त्राटक का अभ्यास करने पर वो आपको और नुकसान करेगा।
दिन में दो बार अपनी सुविधानुसार किसी निश्चित समय पर 45 मिनट से लेकर 1 घण्टा तक त्राटक करे। शुरू में हर आदमी इतनी देर त्राटक नही कर पायेगा। इस दशा में यदि आप अपनी आंखों की क्षमता के अनुसार दस बीस मिनट में ही आंखों मे तनाव महसूस कर रहे है तो आप दस बीस मिनट ही त्राटक करे। मगर उसके बाद भी आप पूरा एक घण्टा उसी स्थान पर शांति से आंख बंद करके बैठने का अभ्यास करे। इससे आपके मन की आदत होगी शांत होने की। यदि आपने बीस मिनट त्राटक किया तो उसके बाद शांति से बैठ कर अपने आप काे महसूस कीजिये। मन बार बार भागेगा मगर उसको फिर वही खीच लाइये। अपने आप को महसूस कीजिये अपनी सांसों पर ध्यान दीजिये अपनी सांसों को चलता देखिये। एक घण्टा बैठने का तात्पर्य यही है कि हमारी आदत पडनी चाहिये ध्यान के लिये एक ही स्थान पर एक घण्टा बैठने की।
बहुत से लाेग पूछते है कि एक साथ सारे त्राटक कर सकते है या नही।। हॉ कर सकते है मगर एक समय में एक ही त्राटक करे। यदि एक घण्टा त्राटक करते है तो एक ही चीज पर एक घण्टा त्राटक कीजिये। अगली बार जब त्राटक करे तो दूसरी चीज पर कीजिये। सबका प्रभाव एक ही है।
जिन लोगों की नजर कमजोर है वो त्राटक का समय पॉच दस मिनट से शुरू करे व धीरे धीरे समय बढाये। धीरे धीरे नजर ठीक हो जायेगी। धेर्य की आवश्यकता है त्राटक ध्यान या प्राणायाम में किसी प्रकार की जोर जबरदस्ती अपने शरीर के साथ ना करे।। ये जोर जबरदस्ती आपको स्थाई रूप से नुकसान पहुचा सकती है।
आप किसी भी चीज को एकटक देख कर त्राटक कर सकते है। मेज पर रखा कलम कप गिलास आदि कोई भी वस्तु। दूर कोई टेलीफोन टावर मकान खम्भा चॉद तारा आदि। बस नजर चीज पर जमा लो ध्यान से देखते रहो कुछ ना सोचो। सडक चलते हुये भी कर सकते है सडक की हर चीज को ध्यान से देखों कोई विश्लेशण मत करो मन शांत रहने लगेगा। मगर यदि कोई अच्छी अध्यात्मिक सफलता शक्ति या सिद्धि चाहिये तो रोज दो तीन बार सही प्रकार से उपर बताई विधियों से त्राटक करना चाहिये। किसी चीज पर जब हम नजर जमाते है तो उसके आसपास की चीजें दिखना बंद हो जाती है तो समझ लो कि आपका मन शांत हो रहा है और आपको ध्यान में सफलता मिल रही है। ध्यान की सबसे सफल व शीघ्र सफलता दिलाने वाली विधि त्राटक है।
कोई भी त्राटक तेज प्रकाश में ना करे। उसके लिये दिन का प्राक्रतिक प्रकाश या रात में दीपक के प्रकाश का इस्तेमाल करे। तेज चमकती चीजों पर त्राटक ना करे जैसे बिजली का बल्ब हैलोजन टीवी स्क्रीन कम्प्यूटर या मोबाइल स्क्रीन आदि। Description: Dhyan
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