आपकी उम्र चाहे जितनी भी हो, आप जहाँ भी रहते हों या जो भी आपके जीवन के लक्ष्य हो, सब का सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य अपने जीवन में खुश और सफल होना होता है। अपने बाहरी जीवन (मतलब आपकी परिस्थितियाँ) और अंदरूनी जीवन (मतलब आपका भावात्मक जीवन) दोनों में सफलता पाने के तरीकों को सीखने के लिए इस लेख को पढ़ें।
बाहरी सफलता प्राप्त करना
1. अपने जुनून को पहचानें: सफलता पाने से पहले, आपको यह परिभाषित करना होगा कि आपके लिए सफलता का मतलब क्या है। यद्यपि आपको यह समझने में कई साल लग सकते हैं, कि आप अपने जीवन के साथ क्या करना चाहते हैं, परंतु अपने जुनून, चाहत, और मूल्य को पहचान ने से अपने जीवन का लक्ष्य बनाने में, और आपके जीवन को एक अर्थ मिलने में मदद होगी। नीचे दिए गए सवाल अपने आप से पूछें:
2. अपने लक्ष्यों की, और उनको प्राप्त करने के लिए आप क्या करेंगे उसकी एक सूची बना लें: ध्यान रहे कि आप अपने सूची में अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों लक्ष्यों का उल्लेख करें; और आर्थिक/व्यवसाय के लक्ष्यों से परे सोचने की कोशिश करें।
3. उद्देश्यपूर्ण जीवन बिताएं: अपने सपनों को साकार करने और वह इंसान बनने के लिए जो आप बनना चाहते हैं, आपको अपने चाल-चलन पर ध्यान देना शुरू करना होगा। अपने आप से पूछें, कि जो मैं कर रहा हूँ, क्या वह मुझे वहाँ ले जाएगा जहाँ मैं जीवन में पहुंचना चाहता हूँ?
4. शिक्षित बनें: शिक्षा से आपको ज्ञान, कुशलता और अपनी अधिकतम क्षमता को प्राप्त करने की विश्वसनीयता मिलती है। आर्थिक सफलता के लिए, आँकड़ों के मुताबिक आप जितना ज़्यादा शिक्षित होते है (मतलब जितनी उच्च डिग्री आप प्राप्त करते हैं), आपकी पैसे कमाने की संभावना उतनी ज्यादा होती है।
5 अपनी आमदनी का प्रबंधन करें: अपने पैसों का प्रबंधन करना सीखने से एक लम्बी अवधी तक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है, फिर चाहे आपकी आय जितनी भी हो।
6. अपने समय का प्रबंधन करें: ज़रूरी कार्य को आखिरी समय तक टालते रहने से आपको बिन बात का तनाव होगा और गलतियाँ होने की संभावना बढ़ेगी। अपने समय का प्रबंधन ऐसे करें ताकि कोई भी काम सही ढंग से करने के लिए आपके पास काफी समय रहें।
अंदरूनी सफलता प्राप्त करना
1. मौजूद लम्हों का आनंद लें: यदि आप हमेशा अपने अतीत के बारे में ही सोच रहे हैं या भविष्य के बारे में दिन में सपने देखते हैं, तो आप अपने जीवन के मौजूद लम्हों को खो देंगे। याद रखें कि अतीत और भविष्य केवल एक भ्रम है और वास्तविक जीवन यहाँ और आज है।
2. अपने जीवन की तुलना दूसरों के जीवन के साथ न करें: दुर्भाग्य-वश, बहुत से लोग अपनी सफलता की तुलना अपने आस-पास के लोगों की सफलता से करते हैं। यदि आप मुकम्मल और खुश होना चाहते हैं, तो अपने जीवन की तुलना दूसरों के जीवन के साथ करना बंद करें।
3. अपने जीवन में मिलें सुख का शुक्रिया अदा करें: आपने जीवन में कितना कुछ प्राप्त किया है, इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ता है, और आप हमेशा इस बात को लेकर दुखी होते हैं, जो आपके पास नहीं है। इसके बजाय, आपके पास जो है, उसमें संतुष्ट हो जाएं। भौतिक चीज़ों से परे सोचें, अपने प्रियजनों को सराहें और खुशनुमा लम्हों को याद करें।
4. अपनी सेहत का ध्यान रखें: शरीर स्वस्थ रहने से, आपका दिल और दिमाग भी स्वस्थ रहते है। संतुलित आहार का सेवन करें, और ध्यान रखें कि आप आवश्यक पोषक तत्वों को नजरंदाज नहीं कर रहे हैं। स्वास्थ्य संबंधित आने वाली समस्याएं, जैसे एनर्जी की कमी या एकाग्रता का अभाव, और उसका इलाज के लिए अपने डाक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट या किसी स्वस्थ विशेषज्ञ से मिलें। अच्छे से व्यायाम करें, परंतु व्यायाम जो आपको नापसंद है, उन्हें सिर्फ इसलिए न करें कि वह करने हैं, बल्कि ऐसे व्यायाम करें जो आपके पसंदीदा है।
खुद को सही वातावरण में ढालें
1. वातावरण: हमारे आस-पास का वातावरण हम पर और हमारे होश (अवचेतन और अचेतन) पर काफी हद तक असर डालता है। इनमें जिस जगह हम रहते हैं, हमारे दोस्त, जो भी हम पढ़ते हैं, जिन लोगों को हम देखते हैं, ऐसी बहुत सी बातें शामिल है। वातावरण संक्रामक होता है। थॉमस ए. एडिसन ने कहा था कि वह एक सफल आविष्कारक इसलिए बन पाए क्योंकि वह ऐसे लोगों के साथ थे जो उनसे कई ज़्यादा होशियार थे और [१] फिर वह उनसे सीख पाएं। ज्यादातर हम अपनी सोच को[२] वातावरण के अधीन करते है।
2. दीर्घ-वातावरण (Macro-Environment): जिस स्थिति में हम सबसे ज़्यादा अपना समय व्यतीत करते हैं वह दीर्घ-वातावरण (Macro-Environment) कहलाता है। जिस जगह पर आप रहते है, जहाँ काम करते है, जिन दोस्तों के साथ सबसे ज़्यादा समय व्यतीत करते है इत्यादि। यह सब दीर्घ-वातावरण के भाग है। सफल बनने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपने आप को इस वातावरण में ढालें ताकि आप लगातार प्रेरित रहें। इसमें आप भी शामिल है, यदि आप खुद के साथ ज़्यादा समय बिताते हैं, (तो यहाँ आप खुद एक वातावरण है) और यदि आपका दिमाग प्रतिक्रियाशील है तो आपकी सोच भी प्रतिक्रियाशील होगी जब तक आप अपना वातावरण बदल न दें।
3. सूक्ष्म-वातावरण (Micro-Environment): ऐसी स्थिति जहां हम अपना अधिक समय नहीं बिताते हैं, जैसे, कॉफ़ी-शॉप, वह लोग जिनको आप केवल नमस्ते करते हैं, पंसारी की दुकान, बार में मिलने वाले नए लोग इत्यादि। यह आप पर दीर्घकालीन प्रभाव नहीं डालते हैं, जब तक आप इन्हें दीर्घ-वातावरण में न बदल दें।
सलाह
चेतावनी
Description: Safalta time
Lakshya
बाहरी सफलता प्राप्त करना
1. अपने जुनून को पहचानें: सफलता पाने से पहले, आपको यह परिभाषित करना होगा कि आपके लिए सफलता का मतलब क्या है। यद्यपि आपको यह समझने में कई साल लग सकते हैं, कि आप अपने जीवन के साथ क्या करना चाहते हैं, परंतु अपने जुनून, चाहत, और मूल्य को पहचान ने से अपने जीवन का लक्ष्य बनाने में, और आपके जीवन को एक अर्थ मिलने में मदद होगी। नीचे दिए गए सवाल अपने आप से पूछें:
- आप अपनी विरासत में क्या चाहतें हैं?
- कैसे आप दूसरों के द्वारा याद किए जाना चाहते हैं?
- कैसे आप अपने समुदाय को एक बेहतर जगह बनाना चाहते हैं?
- आप अपने जीवन में किस विषय में रुची रखते हैं?
2. अपने लक्ष्यों की, और उनको प्राप्त करने के लिए आप क्या करेंगे उसकी एक सूची बना लें: ध्यान रहे कि आप अपने सूची में अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों लक्ष्यों का उल्लेख करें; और आर्थिक/व्यवसाय के लक्ष्यों से परे सोचने की कोशिश करें।
- विचार करें कि स्कूल में आपको कौन से विषय पढ़ने में आनंद आता था और क्यों। इससे आपको यह अंदाज़ा हो जाएगा कि आपके लिए क्या बेहतर है और आप किस में दिलचस्पी रखते हैं।
3. उद्देश्यपूर्ण जीवन बिताएं: अपने सपनों को साकार करने और वह इंसान बनने के लिए जो आप बनना चाहते हैं, आपको अपने चाल-चलन पर ध्यान देना शुरू करना होगा। अपने आप से पूछें, कि जो मैं कर रहा हूँ, क्या वह मुझे वहाँ ले जाएगा जहाँ मैं जीवन में पहुंचना चाहता हूँ?
- यदि अपने आप को हमेशा ऊबा हुआ पाते हैं, भूत या भविष्य के बारे में दिन में सपने देखते हैं या दिन खत्म होने का इंतजार करते रहते हैं, तो शायद आप ध्यान लगाकर कार्य नहीं कर रहे हैं। अपने व्यवसाय या अध्ययन के मुख्य विषय को अपने रुची के अनुसार बदलने का विचार करें, परंतु याद रखें, कि आपको ऐसे बदलाव का सामना करना पड़ेगा जिसके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा। क्या उस नौकरी से मिलने वाला वेतन आपके उपजीविका के लिए काफी है? क्या वह ऐसा क्षेत्र है जिससे आप कुछ समय बाद ऊब जाएंगे? क्या मैं सच में वह नौकरी करना चाहता हूँ?
- अपने समय की कद्र करें। अपने फ्री-टाइम को बरबाद करने के बदले, उस समय में ऐसा कुछ करें जो आपको करना पसंद है। उदाहरण के लिए, अपने सप्ताहांत को टीवी देख कर बिताने के बदले, उस समय को अपने शौक पूरा करने में या अपने परिवार के साथ बिताएं।
- याद रखें कि ‘समय की बरबादी’ की धारणा तुलनात्मक है। ज़रूरी नहीं जो भी काम आप करें वह औपचारिक तौर पर लाभकारी हो, परंतु वह मज़ेदार और दिलचस्प होना चाहिए।
4. शिक्षित बनें: शिक्षा से आपको ज्ञान, कुशलता और अपनी अधिकतम क्षमता को प्राप्त करने की विश्वसनीयता मिलती है। आर्थिक सफलता के लिए, आँकड़ों के मुताबिक आप जितना ज़्यादा शिक्षित होते है (मतलब जितनी उच्च डिग्री आप प्राप्त करते हैं), आपकी पैसे कमाने की संभावना उतनी ज्यादा होती है।
- सन 2013 में, हाई स्कूल ग्रैजुएट का मासिक वेतन लगभग रु15000, जबकि बैचलर डिग्री वालों का मासिक वेतन लगभग रु30000 तक होता था। और इसी वर्ष, अगर आप देखें तो, जिनके पास मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री है, उनका मासिक वेतन रु50000 या उससे ऊपर है।
- यह जरूरी नहीं है कि सभी शिक्षण फॉर्मल हो। अपनी शिक्षा को उसी क्षेत्र में बढ़ाना (Apprenticeships) और लाँग-टर्म ट्रेनिंग-प्रोग्राम भी सकारात्मक तरीके से उच्च आय में सहयोगी होती हैं।
5 अपनी आमदनी का प्रबंधन करें: अपने पैसों का प्रबंधन करना सीखने से एक लम्बी अवधी तक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है, फिर चाहे आपकी आय जितनी भी हो।
- अपने खर्चो पर नज़र रखें। अपनी बैंक-स्टेट्मेंट को जाँचते रहे और देखें आप अपना पैसा कहाँ खर्च करते हैं। यदि आप ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं तो ध्यान रहे, कि आप अपने पर्सनल-रिकॉर्ड भी रखें। ऐसा करने से आपका फिज़ूल-खर्च कम होगा और साथ ही यह भी पता चलेगा कि आपकी बैंक- स्टेट्मेंट सही है।
- अपनी आय को समझें। अपनी आय का हिसाब लगाते समय केंद्रीय, राज्य और सामाजिक सुरक्षा कर हिसाब रखना न भूलें क्योंकि यह कर आपकी कुल आय से काटा जाता है। बची रकम आपकी वास्तविक आय होती है जो आपको मिलती है।
- प्राथमिकता के अनुसार खर्च करें। आपकी बुनियादी आवश्यकताएं जैसे रोटी, कपड़ा और मकान आपके खर्च की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। जब तक आप इन बुनियादी आवश्यकताओं से संतुष्ट नहीं हो जाएंगे, तब तक महंगी गाड़ियों, कपड़ों और छुट्टियों पर खर्च न करें। अपने आप से ईमानदार रहे और अपनी मूल आवश्यकताओं और सुख-साधन में अंतर करना जानें।
- पैसे बचाएं। हर महीने आपको कुछ पैसे अपने बचत खाते में जमा करने चाहिए। अपने नियोक्ता से कहें कि आपकी आय में से कुछ रकम सीधा आपके बचत खाते में जमा कर दें।
6. अपने समय का प्रबंधन करें: ज़रूरी कार्य को आखिरी समय तक टालते रहने से आपको बिन बात का तनाव होगा और गलतियाँ होने की संभावना बढ़ेगी। अपने समय का प्रबंधन ऐसे करें ताकि कोई भी काम सही ढंग से करने के लिए आपके पास काफी समय रहें।
- अपने आपको पूरा दिन, हफ्ते और महीने तक सुनियोजित रखने के लिए कागज़ या इलेक्ट्रानिक प्लानर का इस्तेमाल करें।
- जो भी कार्य आपको एक दिन में करने हैं, उनकी एक सूची बनाएं और जैसे-जैसे वह काम खत्म होते जाएंगे, वैसे-वैसे उनके सामने सही (राइट) का चिन्ह लगाते रहें। ऐसा करने से आप व्यवस्थित और प्रोत्साहित बने रहेंगे।
अंदरूनी सफलता प्राप्त करना
1. मौजूद लम्हों का आनंद लें: यदि आप हमेशा अपने अतीत के बारे में ही सोच रहे हैं या भविष्य के बारे में दिन में सपने देखते हैं, तो आप अपने जीवन के मौजूद लम्हों को खो देंगे। याद रखें कि अतीत और भविष्य केवल एक भ्रम है और वास्तविक जीवन यहाँ और आज है।
- नकारात्मक विचारों पर ध्यान देना शुरू करें ताकि आप उनसे आसानी से निपट सकें और मौजूद लम्हों का आनंद ले सकें। यदि आपके दिमाग में कोई नकारात्मक विचार आएं तो उन्हें स्वीकार करें, उन्हें नकारात्मक विचार का लेबल करें और फिर उन्हें निकाल दें।
- अपने आस-पास की छोटी-छोटी चीज़ों पर ध्यान देने की आदत डालें। आपकी त्वचा को छूने वाली सूरज की किरणें, नंगे पांव चलते समय महसूस होती ज़मीन या रेस्तरां में लगी चित्रकारी को सराहें। ऐसी चीज़ों पर ध्यान देने से आप अपने भटकते दिमाग को शान्त कर सकते हैं और हर लम्हे को सराह सकते हैं।
2. अपने जीवन की तुलना दूसरों के जीवन के साथ न करें: दुर्भाग्य-वश, बहुत से लोग अपनी सफलता की तुलना अपने आस-पास के लोगों की सफलता से करते हैं। यदि आप मुकम्मल और खुश होना चाहते हैं, तो अपने जीवन की तुलना दूसरों के जीवन के साथ करना बंद करें।
- बहुत से लोग अपने जीवन की विफलता की तुलना दूसरे लोगों के जीवन की सफलता से करते हैं। याद रखें कि दूसरों का जीवन हमें चाहे जितना भी सम्पूर्ण लगे, परंतु हर कोई अपने जीवन में ट्रेजडी, असुरक्षित, और दूसरी कठिनाइयों का सामना करते हैं, जो हमें दिखाई नहीं देता है।
- अपने जीवन की तुलना अपने से “बेहतर लोगों” से करने के बजाय, उन लोगों के बारे में सोचें जो बेघर हैं, लम्बे समय से बीमार है या जो गरीबी में रह रहे हैं। ऐसा करने से आपको अपने जीवन को कोसने के बजाय, जो आपके पास है उन्हें सराहने में मदद मिलेगी।
3. अपने जीवन में मिलें सुख का शुक्रिया अदा करें: आपने जीवन में कितना कुछ प्राप्त किया है, इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ता है, और आप हमेशा इस बात को लेकर दुखी होते हैं, जो आपके पास नहीं है। इसके बजाय, आपके पास जो है, उसमें संतुष्ट हो जाएं। भौतिक चीज़ों से परे सोचें, अपने प्रियजनों को सराहें और खुशनुमा लम्हों को याद करें।
4. अपनी सेहत का ध्यान रखें: शरीर स्वस्थ रहने से, आपका दिल और दिमाग भी स्वस्थ रहते है। संतुलित आहार का सेवन करें, और ध्यान रखें कि आप आवश्यक पोषक तत्वों को नजरंदाज नहीं कर रहे हैं। स्वास्थ्य संबंधित आने वाली समस्याएं, जैसे एनर्जी की कमी या एकाग्रता का अभाव, और उसका इलाज के लिए अपने डाक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट या किसी स्वस्थ विशेषज्ञ से मिलें। अच्छे से व्यायाम करें, परंतु व्यायाम जो आपको नापसंद है, उन्हें सिर्फ इसलिए न करें कि वह करने हैं, बल्कि ऐसे व्यायाम करें जो आपके पसंदीदा है।
खुद को सही वातावरण में ढालें
1. वातावरण: हमारे आस-पास का वातावरण हम पर और हमारे होश (अवचेतन और अचेतन) पर काफी हद तक असर डालता है। इनमें जिस जगह हम रहते हैं, हमारे दोस्त, जो भी हम पढ़ते हैं, जिन लोगों को हम देखते हैं, ऐसी बहुत सी बातें शामिल है। वातावरण संक्रामक होता है। थॉमस ए. एडिसन ने कहा था कि वह एक सफल आविष्कारक इसलिए बन पाए क्योंकि वह ऐसे लोगों के साथ थे जो उनसे कई ज़्यादा होशियार थे और [१] फिर वह उनसे सीख पाएं। ज्यादातर हम अपनी सोच को[२] वातावरण के अधीन करते है।
- इस परीक्षण को करने की कोशिश करें। कुछ समय के लिए ऐसे लोगों के साथ मिल जाएं, जो जूआ खेलते हैं, या वह सब करते जिसमें उनकी दिलचस्पी हो, और फिर अपने विचार और भावनाओं को जाँचें करें। संभवतः आपकी सोच उस वातावरण के अधीन हो जाएगी, जिस वातावरण में आप फिलहाल है। क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब आप किसी सुंदर झील या सुंदर कुदरती वातावरण में जाते हैं तो आप भी निर्मल और शांत महसूस करने लगते है?
2. दीर्घ-वातावरण (Macro-Environment): जिस स्थिति में हम सबसे ज़्यादा अपना समय व्यतीत करते हैं वह दीर्घ-वातावरण (Macro-Environment) कहलाता है। जिस जगह पर आप रहते है, जहाँ काम करते है, जिन दोस्तों के साथ सबसे ज़्यादा समय व्यतीत करते है इत्यादि। यह सब दीर्घ-वातावरण के भाग है। सफल बनने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपने आप को इस वातावरण में ढालें ताकि आप लगातार प्रेरित रहें। इसमें आप भी शामिल है, यदि आप खुद के साथ ज़्यादा समय बिताते हैं, (तो यहाँ आप खुद एक वातावरण है) और यदि आपका दिमाग प्रतिक्रियाशील है तो आपकी सोच भी प्रतिक्रियाशील होगी जब तक आप अपना वातावरण बदल न दें।
3. सूक्ष्म-वातावरण (Micro-Environment): ऐसी स्थिति जहां हम अपना अधिक समय नहीं बिताते हैं, जैसे, कॉफ़ी-शॉप, वह लोग जिनको आप केवल नमस्ते करते हैं, पंसारी की दुकान, बार में मिलने वाले नए लोग इत्यादि। यह आप पर दीर्घकालीन प्रभाव नहीं डालते हैं, जब तक आप इन्हें दीर्घ-वातावरण में न बदल दें।
सलाह
- जिस भी चीज़ से आपको प्रेरणा मिलती है उससे अपने आप को प्रेरित रखें: संगीत, फोटोग्राफी, फैशन इत्यादि। एक सही प्रेरणा आपके कुछ करने की इच्छा को ज़्यादा प्रोत्साहित करेगी।
- अपने जीवन में सकारात्मक रोल-मॉडल्स होने से आप प्रेरित रहते हैं और आपको वह सही दिशा में जाने के लिए मदद करते हैं। आपके रोल-मॉडल्स आपके जानने वाले हो भी सकते हैं या नहीं भी हो सकते। अपने रोल-मॉडल के जीवन के बारे में जानिए और उनकी जीवन शैली को अपनाने की कोशिश करें।
चेतावनी
- दूसरों की उन्नति से ईर्ष्या न करें, बल्कि ऊँची मंज़िलों तक पहुँचने के लिए कड़ा परिश्रम करें।
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