मार्क्स हि सफलता का पैमाना नहीं, marks hi safalta ka scale nahi.
marks hi success ka scale( measure) nahi:
NOte ::-- परीक्षाओ में अच्छे अंक लाना हर
स्टूडेंट का पहला प्रयाश होता है, किन्तु जीवन में सफल ता का एक मात्र
पैमाना नहीं है है. कई बार अच्छे अंक संयोग के परिणामे भी होता है . इसलिए
केवल इस्ससे हि बेहतर कैरिएर कि गर्णाति नहीं मिल जाती, बल्क्जी यह बड़ी
चुनौती कि वजह बन जाते है. तब आपसे ज्ञान कि आपेक्षा उसी अनुपात में कि
जाती है.इसके बिपरीत कम अंक लाना कैरिएर का अंत या ढलान नहीं है.
- दुनिया में ऐशे महापुरुषों कि फेहरिस्त लम्बी है , जिन्हें स्कूल और कॉलेज कि परीक्षाओ में अच्छे अंक नहीं आये ,जबकि वे क्लास कि अच्छे स्टूडेंट रहे और उनका बाद का कैरिएर भी शानदार रहा .इसके उलट आनेक ऐशे लोग है,जो परीक्षाओ में अछि अंक लाते रहे किन्तु व्यबहार और ज्ञान के क्षेत्र में असफल रहे. या कम सफल रहे .पहले श्रेणी के बड़े लोगो में जिनका नाम बरी सहजता से लिए जाते है .,, उनमे महात्मा गाँधी और अलबर्ट आइन्स्टीन के नाम लिए जा सकते है .इसलिए क्लास कि परीक्षा में अछे अंक लाने के साथ साथ जीवन और कैरिएर के व्य्बहरिक क्षेत्र भी अच्छे अंक पाने कि योग्यता विकशित करनी चाहिए और अगर क्लास कि परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला सके , तो भी आप बेहतर कैरिएर पा सकते है. अंको के बारे में इन तथ्यों को समझना चाहिए :;;;
मार्क्स आना महज एक संयोग भी
-
दुनिया के
महान गनिताझ में श्री निवास रामानुजन को गणित कि पहली परीक्षा में मात्र
57% अंक मिले थे . दुश्रे बिषय में भी उनको बहुत हि ख़राब अंक मिला . अगर
अंको के हिशाब से बात करे तो इनके इतने बड़े गणितज होने का जरा भी असार नहीं
थे ., लेकिन वो गणितज हुए .उनकी अंबक तालिका को देख कर लोग अब ये आश्चर्य
करते है कि . कि अंग्रेजी में 200 में ३८, और संस्कृत में 100 में 34 तथा
गणित में 150 में 85 अंक मिले थे. यही हाल गाँधी जी का था |
वे तो रामानुजन से भी एक कदम आगे थे
वे आपनी 10 कक्षा कि परीक्षा में
इतिहाश में हि फेल हो गए , जबकि आज कि वास्तविकता यह है कि शायद हि कोई
इतिहाश कि पुस्तक हो, जिसमे गाँधी जी का नाम न आता हो. उसी तरह महान
व्य्व्शायी धीरू भाई अम्बानी भी दशवी कि परीक्षाओ में गणित में फेल हो गए
थे, लेकिन आपने करोवारि दिमाग से उन्होंने दुनिया को लोहा मनवा लिया .कहने
का मतलब यह कि परीक्षाओ में मिलने वाले अंक किसी कि सफलता का वाश्ताविकता
पैमाने नहीं हो सकता और न हि उसकी बौधिक क्षमता का .
कम अंक निराश का कारन नहीं
- दुनिया के महान गनिताझ में श्री निवास रामानुजन को गणित कि पहली परीक्षा में मात्र 57% अंक मिले थे . दुश्रे बिषय में भी उनको बहुत हि ख़राब अंक मिला . अगर अंको के हिशाब से बात करे तो इनके इतने बड़े गणितज होने का जरा भी असार नहीं थे ., लेकिन वो गणितज हुए .उनकी अंबक तालिका को देख कर लोग अब ये आश्चर्य करते है कि . कि अंग्रेजी में 200 में ३८, और संस्कृत में 100 में 34 तथा गणित में 150 में 85 अंक मिले थे. यही हाल गाँधी जी का था |
कम अंक आने
कि बजह से कई छात्र निराश हो जाते है. कई तो आत्महत्या जैसी खतरनाक कदम भी
उठा लेते है.बिन ये जाने कि उनकी जीवन में इशी निराशा में हि उनकी जीवन कि
सबसे बड़ी सफलता छुपी हुई है . दुनिया के जितने सफल व्यक्ति हुए जिनका ये
मानना रहा कि , जो व्यक्ति जितना जल्दी असफलता का स्वाद चखता है वो उतना हि
सफल होता है .. अमेरिका के महान रास्ट्रपति abraham लिंकन का हि उदहारण
ले लीजिये . उनकी असफलता कि सूचि अगर देखोगे तो, फेहरिस्त बहुत लम्बी है
लेकिन तब भी वे हार नहीं माने.
और उन्होंने जो चाह वो बनकर हि दम लिए.
नयी संभावनाओ कि खोज
नयी
संभावनाओ कि खोज :;;' --- बिलगेट्स विश्वविदालय कि आपनी पहली परीक्षा
में हि असफल रहे थे.उन्हें हार वर्ड यूनिवर्सिटी से इसलिए निकाल दिया
गया कि वह न्युन्ताम स्कोर पाने में कामयाब नही रहे.फिर जब जीवन कि
परीक्षा माइक्रोसॉफ्ट के को फाउंडर पाल एलेन के साथ एक bussinessman के
रूप में शुरू किया , तब भी आपने पहले हि प्रयाश में उन्हें असफलता मिली
,लेकिन उन्होंने हार नही मानी .नयी संभावनाओं कि तलाश कि और आपने सॉफ्टवेर
आईडिया को बढाया . इसमें अंतत : सफल रहे.
रुचि के अनुसार कैरिएर ::-
ब्रूसली
ने कहा था कि ज़िन्दगी में अंको का हमरे लिए कोई मायने नहीं . बस आपको आपने
पर बिश्वाश और संतुस्ट होना चाहिए. अनेक बिशेसज्ञ और बारे काम्लोग मानते
है कि परीक्षाओं में अंक अछे आये हो या ख़राब , इस पर समय बर्बाद नहीं करे
. इस पर समय बर्वाद कार्नर के बजाय छात्र को व्यक्तित्व और ज्ञान बढ़ने
पर ध्यान केन्द्रित करे . इसके लिए आपने रूचि के अनुशार कैरिएर का चुनाव
करे और उनके अनुरूप स्वम को बिकसित करे , या हामे करना चाहिए...
सफलता अंक से नहीं , मनोबाल से.
इस
बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि , सफलता केवल मार्क्स से नहीं , बल्कि
मनोबल से मिलती है. अगर किसी को बहुत अछेव मार्क्स मिले हो,और उसका मनोबल
कम्जूर हो, तो वह कभी सफल नहीं हो सकता है. जबकि कम अंक पाना छात्र भी
ऊँचे मनोबल कि बदौलत जीवन और कैरिएर के क्षेत्र में बड़ी सफलता प्राप्त कर
लेता है .इसलिए परीक्षाओ में अच्छे अंक लाने का प्रयास करना चाहिए , लेकिन
इसे कैरिएर कि गारंटी नही और सफलता का निर्णायक पैमाना नही मानना चाहिए .
वाही काम करे , जिससे आपको लगाओ हो या प्यार हो.
-
स्टीव जॉब्स एप्पल कंपनी का संस्थापक , इन्होने कहा कि जीवन कभी कभी चोट तो देता है पर आस्था न खोये...
स्टीव
जॉब्स कि ज़िन्दगी ने दुनियाभर में करोरो लोगो को प्रभावित किया है.
उनके बातचीत करने के ढंग हो या प्रस्तुतिकरन या फिर किसी भी उत्पाद को
देखने और मार्किट करने का ढंग हो,सब कुछ बिलकुल अलग सोच लिए होता था .इशी
अलग सोच ने उन्हें स्टीव जॉब्स बनाया .आइये जानते है कि स्टीव जॉब्स कि
सफलता के मूल मंत्र क्या था .
LIFE IS EASY:
-
वही
काम करे जिसे आपको प्यार हो .दुनियाभर में कई लोग ऐशे है , जो एषा काम कर
रहे है , जो उन्हें दिल से पसंद नहीं , अगर एषा हो जाए कि जिसे जो काम पसंद
है, वाही करे ,तब दुनिया हि बदल जाएँगी
- दुनिया को बताओ कि आप कौन है,और दुनिया को बदलना का मादा आप में नही होगा.,तब तक आपको दुनिया नहीं पहचानेगी.
-
आपने
जीवनकाल में बिभिन्य विषयो का अध्यन करो .भले वह तुम्हे तुरंत लाभ नही
पहुचायेगा ,लेकिन अगर तुम्हारी उसमे जरा भी रूचि है,तो ओ आपकी गुणों को जरा
भी जरुर बढ़ाएगा .और एक दिन बड़ा लाभ पहुचायेगा.
-
जिंदगी
में मना करना खूब सीखना चाहिए , इसका फायेदा भी मिलता है . मै 1997 में
वापस एप्पल में आया था , तब कंपनी का ३५० उत्पाद था .मात्र मैंने कंपनी
उत्पादों कि संख्या १० कर दिया , १० उत्पादों पर ध्यान केंद्रीयत किया और
सफलता पाई..
-
जब तक आप आपने ग्राहक को अलग तरह कि अनुभव नहीं देंगे,वे आपके उत्पाद कि तारफ आकर्षित नहीं होंगे बिलकुल नहीं होंगे...
ब्रूसली
ने कहा था कि ज़िन्दगी में अंको का हमरे लिए कोई मायने नहीं . बस आपको आपने
पर बिश्वाश और संतुस्ट होना चाहिए. अनेक बिशेसज्ञ और बारे काम्लोग मानते
है कि परीक्षाओं में अंक अछे आये हो या ख़राब , इस पर समय बर्बाद नहीं करे
. इस पर समय बर्वाद कार्नर के बजाय छात्र को व्यक्तित्व और ज्ञान बढ़ने
पर ध्यान केन्द्रित करे . इसके लिए आपने रूचि के अनुशार कैरिएर का चुनाव
करे और उनके अनुरूप स्वम को बिकसित करे , या हामे करना चाहिए...
सफलता अंक से नहीं , मनोबाल से.
इस
बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि , सफलता केवल मार्क्स से नहीं , बल्कि
मनोबल से मिलती है. अगर किसी को बहुत अछेव मार्क्स मिले हो,और उसका मनोबल
कम्जूर हो, तो वह कभी सफल नहीं हो सकता है. जबकि कम अंक पाना छात्र भी
ऊँचे मनोबल कि बदौलत जीवन और कैरिएर के क्षेत्र में बड़ी सफलता प्राप्त कर
लेता है .इसलिए परीक्षाओ में अच्छे अंक लाने का प्रयास करना चाहिए , लेकिन
इसे कैरिएर कि गारंटी नही और सफलता का निर्णायक पैमाना नही मानना चाहिए .
- स्टीव जॉब्स एप्पल कंपनी का संस्थापक , इन्होने कहा कि जीवन कभी कभी चोट तो देता है पर आस्था न खोये...
स्टीव
जॉब्स कि ज़िन्दगी ने दुनियाभर में करोरो लोगो को प्रभावित किया है.
उनके बातचीत करने के ढंग हो या प्रस्तुतिकरन या फिर किसी भी उत्पाद को
देखने और मार्किट करने का ढंग हो,सब कुछ बिलकुल अलग सोच लिए होता था .इशी
अलग सोच ने उन्हें स्टीव जॉब्स बनाया .आइये जानते है कि स्टीव जॉब्स कि
सफलता के मूल मंत्र क्या था .
LIFE IS EASY:
- वही काम करे जिसे आपको प्यार हो .दुनियाभर में कई लोग ऐशे है , जो एषा काम कर रहे है , जो उन्हें दिल से पसंद नहीं , अगर एषा हो जाए कि जिसे जो काम पसंद है, वाही करे ,तब दुनिया हि बदल जाएँगी
- दुनिया को बताओ कि आप कौन है,और दुनिया को बदलना का मादा आप में नही होगा.,तब तक आपको दुनिया नहीं पहचानेगी.
- आपने जीवनकाल में बिभिन्य विषयो का अध्यन करो .भले वह तुम्हे तुरंत लाभ नही पहुचायेगा ,लेकिन अगर तुम्हारी उसमे जरा भी रूचि है,तो ओ आपकी गुणों को जरा भी जरुर बढ़ाएगा .और एक दिन बड़ा लाभ पहुचायेगा.
- जिंदगी में मना करना खूब सीखना चाहिए , इसका फायेदा भी मिलता है . मै 1997 में वापस एप्पल में आया था , तब कंपनी का ३५० उत्पाद था .मात्र मैंने कंपनी उत्पादों कि संख्या १० कर दिया , १० उत्पादों पर ध्यान केंद्रीयत किया और सफलता पाई..
- जब तक आप आपने ग्राहक को अलग तरह कि अनुभव नहीं देंगे,वे आपके उत्पाद कि तारफ आकर्षित नहीं होंगे बिलकुल नहीं होंगे...
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