ध्यान कैसे करें
1. सही माहौल ढूँढें: ऐसी जगह चुने जहाँ अपेक्षाकृत शांति हो और जहां आप कम से कम 30 मिनट के लिए अकेले रह सकें। ज़रूरी नहीं है कि वह संपूर्णतः शांत हो, पर ऐसी जगह खोजने की कोशिश करे जहां आपका ध्यान ज़्यादा भटके नहीं।
2. ध्यान की मुद्रा में आएं: अपने पैरों को सुखासन में मोड़कर बैठे, पीठ सीधी रखें, और हाथों को घुटनों पर टिकाएं। अगर आप ज़मीन पर बैठना आपके लिए सुविधाजनक नहीं है, तो आप पीठ को सीधी रखकर कुर्सी पर बैठ सकते हैं।
- शरीर के ऊपरी हिस्से को आधार देने के लिए पेट की मांसपेशियों का प्रयोग करें, पीढ को झुकने ना दें। सीना बाहर निकालें और कंधे नीचे रखें।
3. शरीर को ढीला छोड़ दें: हर इन्सान अपने शरीर में रोज तनाव लिए जीता है, ऐसी स्थिति में एकाग्र होना बड़ा मुश्किल हो जाता है। जब तक आप उस पर ध्यान देकर उन्हें शिथिल करने के सभान प्रयास नहीं करेंगे तब तक आपको इस बात का पता तक नहीं चलेगा। कंधों को नीचे होने दें, गर्दन के मांसपेशियों को ढीला छोड़े, और शिथिल होने के लिए सिर को धीरे से दाहिनी और बायीं ओर बारी बारी घूमाएं।
4. मन को शांत होने दें: तीसरी आंख को खोलने का यह शायद सबसे महत्वपूर्ण और सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि आपको मन को सारे विचारों से मुक्त करना होगा। इसके लिए अपने घ्यान को भौतिक जगत के किसी भी हिस्से पर केद्रित करें, फिर चाहे वह आते-जाते श्वास और उच्छ्वास हो या बाहर से गुज़रती कारों की आवाज़, या ज़मीन की आपको महसूस हो रही संवेदना।
- विचार से पूरी तरह से मुक्ति पा लेना असंभव है। अगर मन में कोई विचार आए तो उसको स्वीकार करे, मान लें कि एक सिर्फ एक "विचार" आया है और अपने मन की आंखों से ओझल हो जाने दें।
- इसके लिए बहुत अभ्यास और धैर्य चाहिए तभी आप प्रभावी तरीके से अपने विचारों से मुक्ति पा सकेंगे। अक्सर, लोगों को ध्यान के पहले 10-15 मिनट में कठिनाई होती है।, क्योंकि उनका मन रोज की ज़िंदगी के वही कोलाहल में लगा होता है। अपने आपको बाह्य विश्व से ध्यान की स्थिति का सफर तय करने के लिए थोड़ा वक्त दें।
5 . रोज़ ध्यान करने की आदत डालें: समझ लो कि ध्यान सुबह ब्रश करने जैसा है, जितनी ज्यादा बार करेंगे वह उतना ही ज़्यादा प्रभावी बनेगा। रोज़ अगर आप केवल 3-5 मिनट के लिए भी ध्यान करेंगे तो, समय के साथ धीरे धीरे आप खुदको अपने मन को समान प्रयासो से जागृत होने के लिए प्रशिक्षित कर देंगे।
- आप ध्यान के समय के लिए टाइमर भी सेट कर सकते हैं ताकि ध्यान करते सारा वक्त आपका ध्यान, अभी और कितनी देर बैठना है यह सोचने में व्यतीत न हो जाए।
अपने अन्तरज्ञान को जागृत करें
1. अपने आसपास की दुनिया का अवलोकन करें: कुछ लोग अपने आपको "दिव्यदृष्टा" मानते है, उनको यह भी लगता है कि उनका दुनिया के बारे में अन्तरज्ञान औसत व्यक्ति की तुलना में ज्य़ादा है, और वह बात सच भी हो सकती है। वे अपना बहुत बहुत सा वक्त अन्य लोगों का अवलोकन करने में व्यतीत करते है, और ऐसा करने से उनमें शरीर के अंगो की भाषा, चेहरे के हावभाव, और अन्य अप्रकट प्रकार के संचार की बेहतर समझ आकार लेती है। इससे वे झूठ, व्यंग्य, यौन समीकरण, और अन्य गुप्त संदेशों का बेहतर पता लगा सकते हैं।
- खुद पार्क, रेस्टोरेंट, या कैफे जैसे सार्वजनिक स्थान पर जाएं और सिर्फ लोगों का निरीक्षण करें। दूसरे लोगों के संवाद सुनें, पर ध्यान रहे कि आप असभ्य या गले पड़ते न दिखें। अपने मन में ये लोग एक दूसरे को कैसे जानते होंगे, उनकी बातचीत का संदर्भ क्या होगा, या उनके बारे में अन्य कोई भी जानकारी की कल्पना करें। इस प्रक्रिया को जितना ज़्यादा करते जाएंगे, उतने आप बेहतर होते जाएंगे।
- अगली बार जब आप परिवार या दोस्तों के साथ एक मेज के पर बैठे हो, तब थोड़ी देर के लिए शांत रहे और सिर्फ उनके संवाद सुनें। जो लोग नहीं बोल रहे हैं उनका निरीक्षण करें, और वे जो संवाद चल रहा है उस पर क्या प्रतिक्रिया दे रहे हैं यह देखें। इस बात की कल्पना करें कि जब लोग मौन होते हैं तब उनके मन में क्या चल रहा होता है। फिर से वही बात कि, जितना ज्यादा करेंगे उतना असरदार काम होगा।
2..अपने सपनों पर ध्यान दें: मानसिक शक्तियों वाले कुछ लोग मानते है कि कुछ विशिष्ट सपने हमें पूर्वचेतावनी देने के लिए आते हैं। आप अपने सपनों का विश्लेषण शुरू करे इससे पहले आपको इसको नियमित रूप से लिखने होंगे और बाद में उन पर नज़र रखनी होगी। इसका सबसे बेहतर तरीका है सपनों की डायरी बनाने का, और उसे बिस्तर के पास रखकर सपनों या नींद से जागकर तुरन्त ही अपने सपने लिख लेने का।
- अपने सपनें मन में याद रखें और वास्तविक दैनिक जीवन और स्वप्नों के बीच संबंध खोजने की कोशिश करें। याद करें कि क्या पिछले दो दिन या सप्ताह पहले देखे सपनों में से कुछ भी वास्तविक जीवन में सच में हो गया है।
3.. अपने अंदर की आवाज़ को सुनना: क्या कभी आपको किसी व्यक्ति, स्थल या घटना को देखकर आप वर्णन ना कर सकें ऐसी विशेष अनुभूति हुई है? कभी कोई भी ठोस सबूत के बिना ही आपको ऐसा आभास हुआ है कि कोई निश्चित घटना घट सकती है? इस प्रकार की भावनाओं को अंतःस्फुरणा या अंदर की आवाज़ कहते है, और वो सबके साथ होता है। दुर्भाग्य से, बहुत लोग जीवन में अपने सहज ज्ञान को अनदेखा करके तर्क पर कुछ ज्य़ादा ही आधारित रहते हैं। अगली बार ऐसी अनुभूति हो, तो उसे लिख लें और वह सच होती है या नहीं वह देखें। यह जानने की कोशिश करे कि यह अंदर की आवाज़ का आपके जीवन के साथ क्या रिश्ता है।
- याद रखें कि सिर्फ अंदर से आवाज़ सुनाई दी है इसलिए वह सही ही होगी ऐसा आवश्यक नहीं है। उसके विपरीत, अगर वह सच है फिर भी वह घटना वास्तविक जीवन में दिन, माह और सालों तक ना घटे ऐसा हो सकता है। पता लगाने का सबसे बेहतर तरीका है कि आपको जब भी ऐसी अनुभूतियां होती तो उन्हें लिख ले और समय समय पर पढ़ा करें।
सलाह
- और एक चीज़ है डीजा वू, अगर कभी आपको इस उलझन से भरी दुविधा का अनुभव हो तो, उसे लिख लें। इसका अर्थ यह हो सकता है कि किसी सपने को याद कर रहे हो या फिर भविष्य को।
- अधिक जानकारी के लिए starseeds (स्टारसीड्स) के बारे में खोजें।
- आप के अंदर, कहीं ना कहीं, पूरा ब्रह्मांड छुपा हुआ है।
- ध्यान करने से आपको अच्छा लगेगा तो रोज़ कम से कम 5-30 मिनट ध्यान करें, इससे आपका मन प्रबुद्ध होगा।
- बहुत लोग आत्मबोध से वंचित रह जाते है क्योंकि वे दैनिक जीवन के विचार, प्रवृत्तियां और व्यस्तताओं में बहुत फंस चुके हैं। अगर आप सचेत रूप से अपने मन से ज्यादा जागरूक बनना चाहते हैं तो रोज़ ध्यान करने के लिए कम से कम चंद मिनट निकालने होंगें।
- किसी ध्यान के ग्रुप में जुड़ जाएं या ध्यान के क्लास में जाएं। गुरु आपको सही दिशा का मार्गदर्शन दे सकते हैं, और अन्य लोगों के साथ ध्यान करने से एकाग्र होने में आसानी होगी।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें