4 मई 2017

क्या होता है जब आप पहली बार ध्यान करते है जानिए कुछ अनदेखी बातो को

By: Successlocator On: मई 04, 2017
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  • ध्यान में हमें कई अनुभव होते है और बहुत लम्बे समय तक ध्यान करने से हमारे शरीरऔर मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है या मस्तिष्क में क्या बदलाव आते है इसके बारे में हम काफी कुछ पढ़ चुके है लेकिन पहली बार ध्यान में अनुभव क्या होता है या फिर पहली बार ध्यान में बैठने पर क्या होता है के बारे में बहुत कम ही लोगो को बताया जाता है। आज की पोस्ट में हम बाते करेंगे की क्या होता है जब हम पहली बार ध्यान करते है।

    बहुत सारी स्टडी इसके ऊपर कई रिसर्च कर चुकी है जिसमे हॉवर्ड की रिसर्च सबसे खास है इसके अंदर उन्होंने पता किया है की ध्यान के वक़्त मस्तिष्क के अंदर क्या गतिविधि होती है इसमें ग्रे मेटर कैसे विकसित होता है का पता लगाया गया है। कई स्टडी ध्यान द्वारा हमारे IQ के बढ़ने की बात भी करते है जिसके अलावा तनाव में कमी और अलग अलग स्टडी के अनुसार निम्न बदलाव देख सकते है। मैडिटेशन कैसे करे आइये जानते है अलग अलग अनुभव द्वारा।


    • चीन की रीसर्च के अनुसार ध्यान द्वारा अलकोहाल और ब्लड प्रेशर जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है।
    • जटिल चिकित्सा प्रोसेस में हमें जो दर्द महसूस होता है उससे छुटकारा मिलता है। यहाँ तक की जटिल रोगो में भी रोगी को लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार लाता है।

    कई लोगो का मानना है की ध्यान में अनुभव के लिए उन्हें लम्बे समय तक ध्यान करने की जरुरत है। लेकिन ऐसा नहीं है ध्यान करने के 2 माह के अंदर हमें अच्छे अनुभव मिलने शुरू हो जाते है बशर्ते हम ध्यान को अपने व्यव्हार में उतार सके।

    पहली बार ध्यान में अनुभव :

    पहली बार हम जब ध्यान करते है तब हमें जो अनुभव होते है वो हमारे वास्तविक जीवन और उसकी गतिविधि से बिलकुल उलटे हो सकते है। पहली बार ध्यान में अनुभव कुछ ऐसे हो सकते हैजैसे की


    • ध्यान द्वारा हमारे सोचने और समझने में जब बैलेंस बनने लगता है तब हम महसूस करते है की हम उन लोगो से और भी ज्यादा जुड़े हुए है जिन्हे हम खुद से भिन्न मानते है।
    • ध्यान करने से हमारा तनाव का मायना बदलने लगता है छोटी छोटी बातो पर पहले जहा हम स्ट्रेस यानि तनाव में आ जाते थे अब ऐसा नहीं होता है अब हम सिर्फ उच्च स्तर के तनाव पर ही चिंतित होते है जैसे की ट्रैफिक को देखकर रुकना।
    • जब हम ध्यान के लिए बैठते है तब हमारा मस्तिष्क शांत होने लगता है उस वक़्त ऐसा नहीं है की हमें अंतर का अनुभव होने लगता है पर हमारी वास्तविक और ध्यान की स्थिति में बदलाव आने लगता है। ऐसे में जो होता है उसे समझने की बजाय सहज भाव से अपनाना बेहतर होता है।

    ध्यान के बाद हम कम तनाव और दबाव महसूस करते है। ध्यान मानसिक दबाव या तनाव को ख़त्म नहीं करता है उन्हें सिर्फ आप पर हावी होने से दूर रखने में मदद करता है।

    प्राथमिक ध्यान की शुरुआत :

    पहली बार ध्यान में अनुभव के बाद  Meditation Practice से आगे बढ़ते हुए अब बात करते है कुछ दिन ध्यान करने के बाद आपके अंदर आने वाले बदलाव की। इसमें निम्न बाते शामिल है :


    • ध्यान में बैठने के बाद हमें कुछ समय तक दर्द का अहसास होना बंद हो जाता है। अक्सर सभी का ध्यान भटकता है जब वो ध्यान में पहली बार बैठते है लेकिन कुछ समय बाद ध्यान में हमें उस दर्द का अहसास होना बंद हो जाता है क्यों की इसमें मस्तिष्क के उस हिस्से को बिजी कर देते है जो हमें दर्द का अहसास करवाता है।
    • कई लोगो को ध्यान के समय अपने शरीर का अनुभव होना बंद हो जाता है इस वजह से वो कई बार डर भी जाते है जबकि इस अवस्था को थोड़ा और मजबूत कर वो इससे पार पा सकते है।

    जब आप कुछ दिन ध्यान का अभ्यास कर लेते है तो पहले महीने बाद आप दुसरो की फीलिंग को बेहतर तरीके से समझना शुरू कर देते है आपके केस में भी ऐसा हो सकता है की आप लोगो को समस्या से घिरा देखर भावुक हो जाये।

    मास्टर और ध्यान – ध्यान की उपलब्धि :

    जब हम ध्यान में मास्टर बन जाते है तब हम कुछ ऐसा करने में सक्षम हो जाते है जो आज भी विज्ञान के लिए पहेली है और आज भी उस स्टडी चल रही है। जैसे की :

    1.) घंटो एक अवस्था में बिताना :

    आपने कुछ साधुओ को कांटो पर सोते और चलते हुए देखा होगा, कुछ तिब्बत साधु तो घंटो तक ध्यान की एक अवस्था में बैठे रह सकते है जितना वक़्त हम सोने में बिता देते है, वो भी बिना कुछ लिए हुए। वो अपने शरीर को कड़कड़ाती ठण्ड में भी गरम रख सकते है और गर्म पानी में भी बैठ सकते है। ध्यान द्वारा उनके शरीर में कुछ ही मिनट में गर्मी बनने लगती है जो उन्हें घंटो हिमालय की ठण्ड में बैठने की हिम्मत देती है।

    2.) ह्रदय की गति को कम या न्यूनतम करना :

    ध्यान द्वारा समाधी के बारे में हम सबने सुना है जिसमे योगी अपने शारीरिक गतिविधि को लगभग जीरो कर देते है। ऐसे में वो जिन्दा कैसे रह पाते है जबकि उनके दिल की गति लगभग जीरो आती है। विज्ञान इसे आज तक समझ नहीं पाया है और इसे अब तक चमत्कार ही मानता आ रहा है। इस अवस्था में हिमालय के योगी वर्षो तक तपस्या में बैठे रहते है।

    3.) मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाना

    ध्यान द्वारा हमारे मस्तिष्क की अनंत क्षमता को विकसित करना वाकई एक चमत्कार जैसा ही तो है। जैन साधु के अनुसार उन्होंने ध्यान द्वारा अपने मस्तिष्क की क्षमत को इस हद तक बढ़ा लिया है की वो किसी भी बात को सेंकडो बार बगैर अटके सुना सकते है यही नहीं उन्हें कई भाषाओ में भी सुना सकते है। ये दर्शाता है की मस्तिष्क की क्षमता को ध्यान द्वारा बढ़ाया जा सकता है इसका प्रयोग मंदबुद्धि के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।

    4.) बहुत कम लोग जानते है साँस लेने की की खास प्रणाली को

    ध्यान में खास साँस लेने की प्रणाली है जिसके द्वारा हम किसी भी वातावरण के खिलाफ अपने अंदर प्रतिरोधक क्षमता को विकसित कर सकते है। इसका उदहारण एक डचमैन है जिन्होंने एवरेस्ट को फतह किया है और 20 बार लिम्का बुक में अपना नाम दर्ज करवाया है। ऐसा उन्होंने सिर्फ जूतों और कपड़ो के सहारे किया है बगैर कुछ खाये पिए सिर्फ साँस की खास प्रणाली द्वारा।

    ध्यान में कुछ समय बिताना आपको इसमें मास्टर तो नहीं बना सकता है लेकिन आप ध्यान के शुरुआती अभ्यास में अपने विचारो को कण्ट्रोल कर सकते है, उन्हें एक जगह फोकस कर सकते है और विचारो को सही मायने में महसूस कर सकते है। सब कुछ संभव है सिर्फ कमी है तो शुरुआत की तो फिर वो शुरुआत आज ही क्यों नहीं ! आज ही हर रोज ध्यान का प्रण ले अपने जीवन को बेहतर बनाए।
    क्या करे और किस पर ध्यान दे :

    पहली बार ध्यान में अनुभव क्या होगा कैसे होगा और कितना सही होगा हर किसी के मन ऐसे सवाल उठना लाजमी है। ज्यादातर लोग जो सोचते है की कैसे पता चलेगा की ध्यान में समूर्णता हासिल हुई है या नहीं या फिर सही जा रहे है इसका कैसे पता चलेगा उन्हें में सिर्फ यही कहना चाहूंगा की 95% लोग ध्यान ना कर सिर्फ उसकी बातो में उलझे रहते है ऐसे में पहले शुरुआत करे और फिर अपनी समस्या पर गौर करे।

    बचे 5% लोग जो अभ्यास करते है पर कुछ अनुभव नहीं करते है इसकी वजह ज्यादातर उनका अभ्यास में होने वाली घटनाओ में उलझना हो सकता है जिसमे हम अभ्यास में घट रहे घटनाक्रम में उलझ जाते है जबकि हमें स्थिर होना है। इसलिए पहली बार ध्यान में अनुभव को लेकर ज्यादा परेशान ना हो और हो जो घटता है उसे घटने दे। जब उच्च अवस्था में पहुँचते है तब हमें प्रतिक्रिया करना चाहिए।