4 सित॰ 2017

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फालतू विचारो को कैसे बंद करे।

By: Successlocator On: सितंबर 04, 2017
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  • जीवन में हम कई सारी परेशानीयों से गुज़रते हैं। कुछ तकलीफ़ें हमें तोड़ कर रख देती हैं। तो कुछ समस्याएँ हमें शारीरिक और मानसिक रूप से और मज़बूत बना जाती हैं। यह तो देखने का नज़रिया है की आप जीवन में आने वाली चुनौतीयों का सामना किस attitude के साथ करते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी मानसिक समस्या की जिसमें हमारा दिमाग फालतू के विचारों में खो जाता है। और ऐसे बेमानी विचारों के चलते हम अपने रोज़मररा के कामकाज में जी नहीं लगा पाते हैं। यह समस्या कम या ज़्यादा सब को होती ही है। जब हम सो जाते हैं तब भी हमारा दिमाग जागता ही रहता है। और कुछ ना कुछ सोचता रहता है। तो आइये फालतू के विचारों से मुक्ति पाने का आसान रास्ता खोजें।

    खुद को क्षमा करें
    कुछ लोग होते हैं जो छोटी छोटी गलतियों पर खुद से इतने खफा हो जाते हैं की, अपने आप को ही गंदी वाली गालियां देने लगते हैं। खुद को कोसने लगते हैं। यह आदत तुरंत बदल देनी चाहिए। खुद को समझाये की गलती तो पहले भी हुई है, अब भी होगी, और आगे भी हो सकती हैं। हार और गलती को सहजता से लें। कोई गलती इतनी बड़ी नहीं की माफ ना किया जा सके।

    खुद से बातें करना बंद कर दो    
    जब हम किसी विषय पर अधिक चिंतन करते हैं। किसी बात को बहुत ज़्यादा गंभीरता से लेते हैं तो वह बात हमारे दिमाग पर सवार हो जाती है। और हम उसको सोच सोच कर खुद ही से बाते करना शुरू कर देते हैं। अगर अकेलापन महसूस हो रहा है तो दोस्तों से बात करें। परिवार के साथ समय बिताएँ। घूमने निकल जाएँ। पर पागलों की तरह खुद से ना बड़बड़ करें।

    स्वीकार करना सीखें।
    अगर आप को बे फिज़ूल बाते करने की आदत है। सोच में डूबे रहने की आदत है तो उसका स्वीकार करो। चूँकि जब तक आप यह मनोंगे नहीं की समस्या है, तब तक आप उसका समाधान नहीं ढूंढोगे। और समाधान नहीं ठुंढोगे तो ठीक कैसे हो सकोगे। और जब आप यह मान लोगे की आप को ज़्यादा सोचने की आदत है तो ही, आप खुद बख़ुद अपने आप को इस से दूर करना शुरू कर देंगे।

    व्यस्त रहें। खाली ना बैठे
    खाली दिमाग शैतान का अड्डा होता है। यह बात तो आजकल पाँच साल का बच्चा भी जानता है। इस लिए एक्टिव रहें। कुछ शौक पैदा करें। कोई लक्ष बनाएँ। किसी की मदद करें। किसी प्रवृति में हिस्सा लें। बस अकेले रह कर खाली ना बैठे। मक्खीयों को जीने दें।  

    फेसबुक और व्हाट्स उप की दुनियाँ से बाहर आयें
    आज कल सोशल मिडया का बड़ा ट्रेंड है। कई लोग दिन रात ऑनलाइन रह कर पता नहीं क्या तीर मारते रहते हैं। कुछ ज्ञानी लोग तो किसी पर्यटन स्थल पर जा कर भी, फोन में अपना मुह घुसेड़ कर बैठे रहते हैं। कोई तो 500 रुपए खर्च कर के मल्टीफ़्लेक्स सिनेमा जाते हैं और मूवी देखने की वजाय उसे अपने फोन पर रेकॉर्ड करते रहते हैं। ऐसे घनचक्कर लोगों का तो भगवान ही मालिक है। जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी ऐसी फालतू आदतें बदल देना सही होता है।

    सकारात्मक सोच रखें
    कुछ लोग होते हैं जो सिर्फ ऐसा बोलते हैं की नहीं होगा। कैसे होगा। कब होगा। इस तरह के लोग वाकय में पृथ्वी का बोज बढ़ाने के लिए होते हैं। अगर इन्सान में किसी तरह का जोश नहीं। उत्साह नहीं। कुछ कर गुज़रने की चाह नहीं। ज़रा भी हिम्मत नहीं। तो ऐसा इन्सान खुद को ईश्वर की सब से उत्तम कलाकृति कैसे मान सकेगा। कहने का मतलब बड़ा साफ और सीधा है। खुद पर विश्वास करो। घमंड ना करो पर गर्व ज़रूर करो। पॉज़िटिव रहो और दरवाज़ा तब तक ठोकते रहो जब तक खुल ना जाए। मतलब प्रयत्नशील रहो। हार मत मानों। और अगर हार भी गए तो जिद्दी बन कर फिर से उसी रास्ते पर लगे रहो। यही success का फॉर्मूला है।

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