22 अक्तू॰ 2015

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"जोश में होश खोना"

By: Successlocator On: अक्तूबर 22, 2015
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  • उतेजना ,भावना और जोश हमारी
    मानवीय गुण हैं जीवन में हम कभी कभी
    बहुत ही जोशिलें हो जाते हैं. क्या
    सही है क्या बुरा इसका ख्याल ही
    नहीं रह जाता है. जोश में आना बुरा
    नही है परन्तु होश के साथ.बिना होश
    का जोश विनाशक होता है.इसका
    बैज्ञानिक कारण यह है की जब हम
    जोश में होश खोते हैं तो उस स्थिति
    में हमारी श्वाँस की लय बिगड़
    जाती है ,हमारे मस्तिष्क में आक्सीजन
    की आपूर्ति नही हो  है.इसका
    परिणाम यह होता है की
    दिमाग सही निर्णय नही ले पता है
    की क्या बुरा है सही और हमारे से गलत
    कार्य हो जाता है.इसी बात पर आज
    के नेता(हमारे कर्णधार) की कहानी
    को लेते
    हैं.........
    नाव चली जा रही थी। बीच मझदार
    में नाविक ने कहा,
    "नाव में बोझ ज्यादा है, कोई एक
    आदमी कम हो जाए तो अच्छा, नहीं
    तो नाव डूब जाएगी।"
    अब कम हो जए तो कौन कम हो जाए?
    कई लोग तो तैरना नहीं जानते थे: जो
    जानते थे उनके लिए नदी के बर्फीले
    पानी में तैर के जाना खेल नहीं था।
    नाव में सभी प्रकार के लोग
    थे-,अफसर,वकील,, उद्योगपति,नेता
    जी और उनके सहयोगी के अलावा आम
    आदमी भी।
    सभी चाहते थे कि आम आदमी पानी
    में कूद जाए।
    उन्होंने आम आदमी से कूद जाने को
    कहा, तो उसने मना कर दिया।
    बोला, जब जब मैं आप लोगो से मदत
    को हाँथ फैलता हूँ कोई मेरी मदत नहीं
    करता जब तक मैं उसकी पूरी कीमत न
    चुका दूँ , मैं आप की बात भला क्यूँ मानूँ?
    "
    जब आम आदमी काफी मनाने के बाद
    भी नहीं माना, तो ये लोग नेता के
    पास गए, जो इन सबसे अलग एक तरफ बैठा
    हुआ था।
    इन्होंने सब-कुछ नेता को सुनाने के बाद
    कहा, "आम आदमी हमारी बात नहीं
    मानेगा तो हम उसे पकड़कर नदी में फेंक
    देंगे।"
    नेता ने कहा, "नहीं-नहीं ऐसा करना
    भूल होगी। आम आदमी के साथ
    अन्याय होगा। मैं देखता हूँ उसे - नेता ने
    जोशीला भाषण आरम्भ किया
    जिसमें राष्ट्र,देश, इतिहास,परम्परा
    की गाथा गाते हुए, देश के लिए बलि
    चढ़ जाने के आह्वान में हाथ
    ऊँचा करके कहा,
    ये नाव नहीं हमारा सम्मान डूब रहा है
    "हम मर मिटेंगे, लेकिन अपनी नैया नहीं
    डूबने देंगे… नहीं डूबने देंगे…नहीं डूबने देंगे"….
    सुनकर आम आदमी इतना जोश में आया
    कि वह नदी के बर्फीले पानी में कूद
    पड़ा।
    "दोस्तों पिछले 65 सालो से आम
    आदमी के साथ यही तो होता आया
    है "

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