मेरे प्रिय युवा साथियों, यदि मैं आपसे सफलता की परिभाषा पूछूँ, तो मैं जानता हूँ कि आपका उत्तर क्या होगा। आपका उत्तर यही होगा कि जिस उद्देष्य में हम लगे हुए है, उस उद्देष्य को पा लेना ही सफल हो जाना है।
एक खिलाड़ी जब गोल्ड मैडल पा लेता है, एक विद्यार्थी जब परीक्षा में पास हो जाता है, इन्टरव्यू देने वाले को जब नौकरी मिल जाती है, मजदूर को जब मजदूरी मिल जाती है और किसान जब अपनी बोयी हुई फसल काट लेता है तो इसे ही सफल हो जाना कहते हैं। मैं समझता हूँ कि यही आपका उत्तर होगा और निष्चित रूप से आपका यह उत्तर गलत नहीं है। लेकिन मैं यहाँ आपको सफलता की थोड़ी सी अलग और एक नई परिभाषा से परिचित कराना चाहता हूँ। हो सकता है कि यह नई परिभाषा आपके गले न उतरे। लेकिन विष्वास कीजिए कि यदि आपने किसी तरह इस परिभाषा को अपने गले उतार लिया, तो आपका जीवन एक नई गुणवत्ता और एक नए आनन्द से भर उठेगा।
आप एक पेड़ लगाते हैं। जब उसमें फल आने लगते हैं, तो इसका मतलब यह हुआ कि आप सफल हो गए। वृक्ष जब फल सहित हो गया, तो आपका वृक्ष लगाना सफल हो गया। इसके ठीक विपरीत क्या हम यह भी कह सकते हैं कि यदि वृक्ष में फल नहीं आया, जैसा कि अक्सर पपीतों के साथ हो जाता है, तो आपका वृक्ष लगाना व्यर्थ हो गया। यानी कि आप असफल हो गये। मित्रों, मैं इसी बारे में आपको एक नया विचार देने जा रहा हूँ। इसके लिये आपको मेरे द्वारा दिये गये इन कुछ प्रष्नों के उत्तर देने होंगे। इनके उत्तर में ही शायद सफलता की यह नई परिभाषा आपको दिखाई देने लगेगी। मेरे कुछ प्रष्न इस प्रकार हैं:-
1. जब आपने उस वृक्ष को लगाया था, तो क्या आपको इसे लगाने की खुषी नहीं हई थी?
2. वृक्ष को बढ़ता हुआ देखकर क्या आपको आनन्द की अनुभूति नहीं हुई?
3. जब आप उसमें खाद-पानी देते थे, तो क्या आपका मन प्रसन्न नहीं होता था? ठीक इसके विपरीत जब वह वृक्ष सूखने लगता था, तो क्या आपके मन में पीड़ा नहीं होती थी?
4. क्या किसी भी वृक्ष की उपयोगिता केवल इतनी ही है कि उसमें फल लगें? क्या फूलों का कोई भी महत्व नहीं है? आम का पेड़ बौरों से लदा-फदा रहता है लेकिन सारे बौर आम नहीं बनते। यदि बनने लगें, तो पक्का जानिए कि पेड़ की डँगालें फलों के बोझ को बर्दाष्त नहीं कर पायेंगी। फिर तो पेड़ ही नहीं बचेगा। जब पेड़ ही नहीं बचेगा, तो फिर फल आयेंगे कहाँ से। तो क्या हम यह नहीं माने कि उन फूलों का भी महत्व कम नहीं था, जो फल नहीं बने? बल्कि उन फूलों का महत्व तो इसलिए अधिक है, क्योंकि उन्होंने कुछ फूलों की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी दे दी।
5. चलिए हम फल और फूल के बारे में तो जानते ही हैं। लेकिन क्या वृक्ष का महत्व केवल फल और फूल से ही है? क्या वृक्ष अपने आपमें ही देखने में सुन्दर और सन्तोष देने वाला नहीं होता? क्या उसकी छाया की कोई कीमत नहीं है? क्या उसके पत्ते, उसकी डँगालों और उसकी लकड़ी का कोई मूल्य नहीं है? यदि इस पेड़ का सही मूल्य पूछना है, तो हमें उस पक्षी से भी बात करनी चाहिये, जिसने उस पेड़ की डंगालों पर या खोह में अपना छोटा-सा घोंसला बना रखा है। क्या इस बात को कोई महत्व नहीं है कि पेड़ कार्बनउाइआक्साइड को अवषोषित करते हैं और बदले में ऑक्सीजन छोड़ते हैं?
मित्रों, आप जब मेरे इन प्रष्नों का सिलसिलेवार उत्तर देने की कोषिष करेंगे, तो आपके सामने सफलता की नई-नई परतें खुलने लगेंगी। ये नई-नई परतें खुलते-खुलते हो सकता है आपको इस निष्कर्ष पर पहुँचा दें कि असफलता नाम की कोई वस्तु होती ही नहीं है। यदि असफलता होती भी है, तो उसका स्थान केवल हमारे दिमाग में होता है, जीवन में नहीं। हम कुछ कर रहे थे। हमने सोच लिया था कि इसके करने से ऐसा होगा। जब वैसा नहीं हुआ, तो हम समझ लेते हैं कि करा-कराया सब बेकार चला गया। हम ऐसा इसलिए सोचते हैं, क्योंकि हमारे विचारों की आँखें मोतियाबिन्द की षिकार हो गईं हैं। वे दूर की चीजों को देख ही नहीं पातीं। उसकी दृष्टि फल तक इतनी अधिक सिमट गई हैं कि वृक्ष का अपना सम्पूर्ण सौन्दर्य वहाँ से गायब हो गया है।
साथियों, सच तो यह है कि सफलता की सच्ची परिभाषा है-कर्म में आनन्द की प्राप्ति करना। यदि आप काम कर रहे हैं और काम करते हुए आपको अच्छा लग रहा है, तो इसका अर्थ यही हुआ कि आप सफल हो गये। आप संगीत इसलिए सुनते हैं, क्योंकि आपको संगीत सुनना अच्छा लगता है। आप खुद बताइये कि इस संगीत सुनने के बदले आपको यथार्थ में मिलता क्या है-कोई डिग्री, कोई धन, कोई पुरस्कार, कोई प्रषंसा या इसी तरह की अन्य कोई वस्तु? सच तो यही है कि इस संगीत को सुनने के बदले आप अपनी ओर से ही कुछ न कुछ देते हैं। तो यदि आपको संगीत सुनने के बदले कुछ नहीं मिलता, तो क्या यह आपका असफल हो जाना हुआ? और यदि ऐसा नहीं हुआ, तो इसका मतलब हुआ कि आप सफल हो गय
आप संगीत इसलिए सुनते हैं, क्योंकि आपको संगीत सुनना अच्छा लगता है। आप खुद बताइये कि इस संगीत सुनने के बदले आपको यथार्थ में मिलता क्या है-कोई डिग्री, कोई धन, कोई पुरस्कार, कोई प्रषंसा या इसी तरह की अन्य कोई वस्तु? सच तो यही है कि इस संगीत को सुनने के बदले आप अपनी ओर से ही कुछ न कुछ देते हैं। तो यदि आपको संगीत सुनने के बदले कुछ नहीं मिलता, तो क्या यह आपका असफल हो जाना हुआ? और यदि ऐसा नहीं हुआ, तो इसका मतलब हुआ कि आप सफल हो गये। और आप सफल इसलिए हो गये, क्योंकि संगीत सुनने में आपको आनन्द आ रहा था। तो यदि कर्म करने में ही आनन्द आने लगे, तो क्या वह अपने आप में ही सफलता नहीं बन जायेगी? बन जायेगी, और मेरे प्यारे मित्रों, खूब अच्छी सफलता बन जायेगी। जिस दिन आप सफलता की इस नई परिभाषा को जान लेंगे, उस दिन से आपके जीवन से तनाव, दुख, अवसाद, खीझ और निराषा जैसे नकारात्मक भाव आपसे कोसों दूर चले जायेंगे।
ऐसा मत समझिए कि मैं कोई कोरे सिद्धान्त की बात कर रहा हूँ। ऐसा भी मत समझिए कि मैं आपको चौंकाने के लिए यह बात कह रहा हूँ। मैं यह बात सिर्फ इसलिए कह रहा हूँ, क्योंकि यही एकमात्र सच है। दुनिया में जितने भी लोगों ने सफलता के एवरेस्ट को छुआ है, वे ऐसा केवल इसलिए कर सके, क्योंकि उन्हें चढ़ाई में ही आनन्द आ रहा था। कोई भी बड़ा काम बिना आनन्द के किया ही नहीं जा सकता। आप मेरी इस बात पर तभी विष्वास करेंगे, जब आप थोड़ा-सा इसका स्वाद चख लेंगे। मैं यह बात दावे के साथ इसलिए कह रहा हूँ, क्योंकि मैंने इसका स्वाद चखा है। और मैं चाहता हूँ कि आप भी इसका स्वाद चखें।