30 जून 2016

आपका आईना है आपकी संगत(aapki sangat)

By: Successlocator On: जून 30, 2016
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    • जो काम करो जमकर करो, अपना पूरा मन और शरीर उसमें फेंक दो। 
    • कहते हैं कि गलत काम करने वाले व्यक्ति को सजा देना देना जरूरी होता है। यही सजा उसके लिए सबक बनकर उसे सुधरने में मदद करती है। लेकिन हर बार ऐसा हो ये जरूरी नहीं। कभी-कभी हमारा क्षमादान भी उसे उसकी गलती का एहसास कराके इंसान बनने में मदद करता है!
    • कहते हैं हम जो लोगों को देते हैं वही हमें वापस मिला है। अगर हम किसी को प्यार देगें तो ही हमें बदले में प्यार मिल सकता है और अगर किसी से नफरत करेंगें तो बदलें में प्यार की उम्मीद करना बेकार है।
    • कभी-कभी जरूरत से ज्यादा धन भी घर-परिवार में अशांति फैला देता है। धन का अपना स्वभाव है, वह सीमित मात्रा में मिलता रहे, जरूरत के काम पूरे होते रहें तो कभी परेशानी नहीं आती लेकिन जब अचानक बड़ी मात्रा में पैसा मिल जाता है तो वह परिवार में कहीं-न-कहीं लालच फैलाने का काम करता है। व्यक्ति धन संग्रह करने वाला और लालची होने लगता है यही स्वभाव उसके दु:ख का कारण बनता है।
    • कभी-कभी इंसान के जीवन में ऐसा समय आता है कि वह चारों ओर से परेशानियों का शिकार होने लगता है। और समय लगातार उसकी सोच के विपरीत ही चलता है। लेकिन जो ईश्वर पर विश्वास रखता है उनके साथ बुराई में भी अच्छाई छुपी होती है।
    • व्यक्ति के जीवन में परिस्थितियां कैसी भी हों पर जब मन में अटूट विश्वास और अपने आप पर भरोसा हो तो उसकी जीत निश्चित हो जाती है। और दुनिया भी उसके कदम चूमने लगती है।
    • आज आदमी कामयाब होने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। और असफलता के डर से कोई भी गलत कदम उठा लेते हैं। सफलता यूं ही नहीं मिल जाती उसके लिए धैर्य और हर परेशानी से लडऩे की क्षमता का होना जरूरी है।कभी कभी देर से ही सही लेकिन लगातार प्रयास करने से सफलता जरूर मिलती है।


    • कहते हैं इंसान का स्वभाव उसका आईना होता है। आपका दूसरों के प्रति व्यवहार ही आपके स्वभाव को बताता है। जो लोग अच्छी संगत मे रहते हैं वे हमेशा नीतीगत बातों में विश्वास करते है। और जिन लोगों की संगत गलत होती है वे हमेशा गलत रास्ते को ही अपनाते है।

    लीडरशिप आर्ट(leadership)

    By: Successlocator On: जून 30, 2016
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  • आज के इस Corporate World हर कंपनी को एक टीम लीडर की सख्त जरुरत होती हैं क्योंकि एक टीमलीड़ ही उस कंपनी के सारे Employ के साथ तालमेल बिठा सकता हैं .लेकिन इससे भी बड़ा सवाल यह है की टीमलीड़ मैं ऐसी क्या खासियत होनी चाहिये की वह Company के सीईओ और Employ के सामने अपनी लीडरशिप की छाप छोड़े एक अच्छा लीडर तभी बन सकता है जब उसमे कुछ अच्छी बात हो जिससे वह सबको Impress कर सके लीडरशिप के अन्दर इतनी खासियत होनी चाहिये की वह सही निर्णय लेना जनता हो और हर काम को सही तरीके से करना जनता हो. एक अच्छे लीडर की खासियत होती है वह हमेशा रिस्क पसंद करता है और यही से उसकी पहचान होती हैं की वो कितना  मेंटली रूप से स्ट्रोंग हैं ,लीडर के अन्दर इतना अच्छा Communication होना चाहिये जो कम पड़ा लिखा Employ भी आसानी से समझ सके ।

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    लीडर में कभी भी यह भावना नहीं होनी चहिये कि मुझसे बेहतर और कोई नहीं कर सकता बल्कि लीडर को अपनी टीम में यह भावना लाने का प्रायस करना चाहिए कि उनसे बेहतर और कोई नहीं कर सकता.जहा तक मेरा ख्यालहैं हर टीम लीड को अपनी टीम को बेहतर बानाने के बारे में सोचना चहिये न कि अपने बारे में .एक लीडर ही अपनी टीम का हितकारी हो सकता हे इसलिए उसे हर वक़्त अपनी टीम के लिए ही सोचना चहिए जिससे टीम का मनोबल बड़े. एक अच्छे टीम लीडर बनने के लिए कुछ अच्छे विचारों कि भी जरूरत होती हे क्योकि अच्छे विचारों से ही टीम के अन्दर सकरात्मक भावना उत्सर्जित होती हे. एक टीम लीडर को अपनी टीम पर कोंट्रोल रखने से ज्यादा जरुरी हे अपना विश्वास उस टीम पर बनाए जिससे प्रोजेक्ट का आउटपुट अच्छा आये।

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    अक्सर कंपनी की ग्रोथ के लिए हम पब्लिसिटी करते है और वह महत्वपूर्ण भी होती है क्योंकि इसके बदोलत ही हम इस Corporate World में अपनी Company को स्थापित कर सकते हैं इस ग्रोथ मैं सबसे ज्यादा अहम भागीदारी होती ""टीम लीडर ""की क्योंकि वह उसका महत्वपूर्ण हिस्सा होता है इसलिए उसे हमेशा पब्लिसिटी की और ध्यान देना चाहिए एक अच्छा लीडर तब ही कहलाता हैं की वो  weekly रूप से बोंस के साथ मीटिंग करें तथा Employ को भी अपडेट रखें तथा Company Terms & Condition/Company Policies को  Monthly अपडेट करे जिससे Employ को Company rules & Regulations याद रहें.

    लीडरशिप एक आर्ट हैं और यह हर किसी मैं नहीं होती है किसी कंपनी में अपने आप को मेनेज करना भी एक कला हैं Employ से सारा काम टाइम पर और पूरी Perfection के साथ करवान लीडर की काबिलियत पर डिपेंड करता है अगर आप हर काम को सही तरीके से करना चाहते हे तो सबसे पहले आप करें .अक्सर लीडर्स यह सोचता है की उन्हें ओरों से बेहतर लीड करना आता है यह सोचना एक दम गलत हैं ,क्योंकि कभी -कभी बड़े लीडर्स भी  Top Mistakes कर जाते हैं .लीडर यही सोचता हे की जो वो कर रहा है वो सही है पर वक़्त के साथ सब कुछ बदल जाता हे मेरा तो यहीं मानना हे की लीडर की पहचान उसकी काबिलियत होती हें।

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    और हा यह बात उन लीडर्स को ध्यान रखना चाहिए, जरुरी नहीं की Company के सभी Employ अगर मेरी लीडरशिप को पसंद करते इसलिए वह ही लीडर हैं पर ऐसा कुछ नहीं होता हें क्योंकि अगर बोंस आप से खुश ना होतो वो आप की लीडरशिप पोस्ट किसी और को भी दे सकता हें क्योंकि Corporate World में लीडर का काम देखा जाता हें पसंद नहीं .इसलिए लीडर्स को हमेसा अपने बोंस को खुश रखना चहिये क्योंकि बोंस खुश हें तो आप खुश हें और अगर आप खुश हें तो आप के Employ खुश होंगे .

    अगर लीडर ब्लोगर हें तो उसको अपने निजी विचार ,Ideas को ब्लॉग पर पोस्ट करना चहिये क्योंकि उससे उसकी काबिलियत मालूम हो जाती हें

    एक टीम लीड कभी भी गुमशुम न रहें
    मोटिव करो ,बिजनेस चलाओ
    खुद को करे साबित न कि दुसरों को
    अपने हुनर से बने विनर
    लीडर को साहसी होना चाहिए ।
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    सफलता की और अग्रसर (safalta)

    By: Successlocator On: जून 30, 2016
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  •  1. अच्छे विचार मनुष्य को और उसके व्यापार को सफलता की और अग्रसर करता हें !
       2. जीवन में आगे बड़ने की कोशिश करे !
       3. अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखते हें वह और कही नहीं सीखे जाते हें !
       4. ईमानदारी के साथ व्यापार चालू करे क्योकि वह उसकी पहचान होती हे !
       5. इन्सान की पहचान ही काफी होती हें !
       6. हमेशा अच्छे रिश्ते बनाने की कोशिश करे !
       7. सपने वह ही साकार करते जिनके सपनो में जान होती हें और सपने पुरे करने की चाहत होती हें !
       8. मेहनत वह चाबी हें जो किस्मत का दरवाजा खोलती हें !
       9. अच्छी नियत से ही बरकत होती हें !
      10. पद से ज्यादा उसका प्रभाव और चरित्र होता हें !
      11. जब भी नया काम शरू करे उसे पूरा ख़त्म करके ही चेन की नींद ले !
      12. परिश्रम हमेशा पैसे से ज्यादा कीमती होता हें !
      13. हर काम को दिलोदिमाग से करना चाहिए !.
      14. नया काम शुरु करके कभी मैदान छोड़कर नहीं भागना चाहिए बल्कि संघर्ष करना चाहिए !
      15. वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है
      16. प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है।
      17. ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है।
      18. एकाग्रता से ही विजय मिलती है।
      19. कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है।
      20. भाग्य साहसी का साथ देता है।
      21. सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है।
      22. विवेक बहादुरी का उत्तम अंश है।
      23. एकाग्र रहने वाला सदा सफलता का वरण करता है।
      24. कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही।हम जो भी हैं, जो कुछ भी करते हैं, वह तभी होता है जब हम उसे वास्तव में करना चाहते हैं।
      25. संकल्प ही मनुष्य का बल है।
      26. प्रचंड वायु मे भी पहाड विचलित नही होते।
      27. कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही।
      28. मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है।
      29. अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नही होता।
      30. मुस्कान प्रेम की भाषा है।
      31. सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है।
      32. अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नही किया जा सकता।
      33. प्रसन्नता स्वास्थ्य देती है, विषाद रोग देते है।
      34. प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना।
      35. अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नही होता।
      36. एक गुण समस्त दोषो को ढक लेता है।
      37. दूसरो से प्रेम करना अपने आप से प्रेम करना है।
      38. समय महान चिकित्सक है।
      39. समय किसी की प्रतीक्षा नही करता।
      40. हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है।
      41. एक झूठ छिपाने के लिये दस झूठ बोलने पडते है।
      42. प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है।
      43. बिना गुरु के ज्ञान नही होता।
      44. आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है।
      45. जिग्यासा के बिना ज्ञान नही होता।
      46. बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है।
      47. अल्प ज्ञान खतरनाक होता है।
      48. कर्म सरल है, विचार कठिन।
      49. उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन।
      50. धन अपना पराया नही देखता।
      51. जैसा अन्न, वैसा मन।
      52. अहिंसा सर्वोत्तम धर्म है।
      53. बहुमत की आवाज न्याय का द्योतक नही है।
      54. अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है।
      55. विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है।
      56. हर बात का सही वक़्त होता हें कोई भी काम शुरू करने से पहेले उस जगह का माहोल तथा उससे जुड़े हर तथ्यों को  जानने की कोशिश करे !
      57. सकारात्मक शब्दों में हमेशा ताकत नजर आती हें !
      58. जीवन का वही सार होता हें की आप हर मुश्किल काम में भी मुस्कराते हुए नजर आये !
      59. हमेशा सामने वालो को भी सोचने का समय दे !
      60. बदलाव के साथ हमेशा विकास जरुर होता हें !
      61. उदेश्य के साथ जीने की कोशिश करे !
      62. हमेशा सकारात्मक शब्द बोलने की कोशिश करे तथा उसका उपयोग भी करे !
      63. मंदी में भी धंधा हो सकता हें अगर आप कोशिश करे !
      64. एक छोटा सा प्रयास आप की तक़दीर बदल सकता हें इसलिए किसी काम को छोटा न समझे !
      65. आगे बड़ने के लिए हमेसा तत्पर रहें !
      66. आगे बड़ने वालों को हमेशा श्रेय दे !
      67. हमेशा आत्म निर्भर बनने की कोशिश करे !
      68. आपको सामने वाले की गलती न देखकर उसमे विश्वास करना सीखे तथा उसकी गलती को सुधारने की कोशिश करे   69. शब्दों में जादू होता हें इसलिए सही शब्दों का इस्तमाल करे !
      70. सफल होने के लिए सही निर्णय ही काम आता हें !
      71. सच्ची लगन से जो काम करता हें वह हमेशा सफल होता हें !
      72. अच्छे लोग संसार को रोशनी प्रदान करते हें !
      73. समाज सेवा से भी आप का कारोबार चलया जा सकता हें इसलिए समाज के लिए कुछ करना चहिये !
      74. अच्छे वर्कर और मेनेजमेंट हमेशा ऑफिस की और आकर्षित करता हें !
      75. नाम ही उसकी सही पहचान होती हें !
      76. परिवार वालो से हमेशा रिश्ते बनाये रखे !
      77. वक़्त के साथ चले चाहें वक़्त हमारा साथ दे या न दे !
      78. हमेशा परिवर्तनशील रहे !
      79. कारोबार में पैसे को सुलझाये न की उलझाये !
      80. घर में भी रिश्ते को निभाए तथा उनका काम भी करे न की अपना कारोबार पर ही धयान दे !
      81. अपनी मह्त्व्कांश को बरक़रार रखे !
      82. जीवन को जीवन की तरह जीने की कोशिश करे !
      83. अच्छे व्यवहार से ही जीवन की उनती होती हें
      84. विश्वाश के साथ नया काम शुरू करे !
      85. कभी आगे बड़ने की दोड़ में परिवार को नदर अंदाज न करे क्योकि आगे चलकर कही आप अकेले न रह जाये !
      86. कुछ लोग अपने काम को दिल से नहीं करते हें तो अक्सर वह पीछे रह जाते हें !
      87. जिसमे ईमानदारी नहीं होती वह कभी भी प्लानिंग नहीं कर सकता !
      88. जीवन में कभी किसी की मदत जरुर करनी चाइए !
      89. अगर आप के प्रयास से किसी की जिंदगी बदल सकती हें तो वह प्रयास जरुर करना चाइए !
      90. किसी भी स्थति में चिंता नहीं करनी चाइये अक्सर वह चिता बन जाती हें !
      91. जिंदगी में ईमानदारी का स्थान बहुत महत्पूर्ण होता हें !
      92. कई बार इन्सान इसलिए असफल हो जाते की उनको मालूम नहीं होता की वह क्या कर रहे !
      93. बाहने बजी और टालम टोल असफल की निशानी हें !
      94. अँधेरे को कोसने के बजाये स्वयं एक दीपक जलाये !
      95. उपदेश देने के बजाये उनका अनुसरण खुद करे !
      96. विफलता सफलता की कुंजी हें इसलिए विफलता का स्वागत करे !
      97. विफलता हमें कुछ न कुछ शिखाती हें !
      98. असफल सफलता की नीव हें !
      99. जो प्रसन रहते वह हमेशा कुछ नया सोचते हें ! 
     100. हमेशा धेर्य रखे तथा लक्ष्य की और अग्रसर रहें !
     101. जिसे अपनों पर और अपने आप पर विश्वाश नहीं होता वह कभी सफल नहीं हो सकता !
     102. जिसने जीवन में सिर्फ गलतिया की कभी -कभी  वह सफल हो जाता हे !
     103. अपनी सोच को बदलो फिर देखो जिंदगी के मायने केसे बदल जायेगे !
     104. सच्चे दिल से प्रथना हमेशा चमत्कारी होती हें बशर्ते प्रथना होनी चहिये न की याचना !
     105. जीवन में आने वाली समस्त समस्या का समाधान प्रेम हें !
     106. हमेशा लोक प्रिय बनने की कोशिस करे !
     107. आत्म विश्वाश कभी पराजित नहीं होता हें !
     108. धन के पीछे मत भागो वह सयंम आ जाये गा !
     109. अच्छी सूरत की नहीं एक अच्छी अदा की जरुरत होती हें !
     110. रुकते वह इन्सान जिने हारने की आदत होती हें और चलते वही जीने जितने की चाहत होती हें !
     111. हमेशा सुनने की बजाये कभी बोलने की भी आदत रखे !
     112. जब भी कोई विकट समस्या आये तब दिल की आवाज सुन लेना !
     113. क्रोध को हमेशा शांति से हल करे !
     114. आशा के साथ ईश्वर होता हें !
     115. अगर गलती आप की हें तो उसे जरुर माने ! 
     116. समय हर घाव को भर देता हें यह सत्य बात हें !
     117. ज्ञान ही सब कुछ नहीं होता व्यवहार होना भी जरुरी हें !
     118. हर समस्या का समाधान हमेशा अच्छे प्रबंधक से करवाना चहिये !
     119. अपने आस-पास भी अच्छे लोग रहते हें सिर्फ नजर उठा के देखने की जरुरत हें !
     120. अच्छे लोग की आज भी कमी नहीं बस उन्हें समझाना चहिये !
     121. सुख के जेसे ही दुख भी जीवन में आते हें इसलिए उनका भी स्वागत करे !
     122. सबके सामने बोलने से इज्जत व आत्म बल बड़ता हें !
     123. नोकरी जाना ही जीवन का अंत नहीं कभी - कभी अपने आप के लिए भी लड़ना पड़ेगा !
     124. हमेशा गुरु का सम्मान करना सीखे !
     125. अक्सर लोग सफलता हासिल करने के बाद पुराने दिनों को भूल जाते हें पर अपनी परम्परा को नहीं भूलते हें !
     126. आपका कोई भी काम महत्वहीन नहीं हो सकता पर महत्वपूर्ण जरुर हो सकता !
     127. जब किसी लक्ष्य को पाना चाहते हो तो उसक प्रयास ही न करे बल्कि लक्ष्य पर आने वाली समस्या का समाधान भी करे !
     128. उम्मीद से बड़कर और कोई चीज नहीं होती !
     129. जो सुख संतोष में हें वह किसी और में नहीं होता ,क्योकि तृष्णा कभी खत्म नहीं होती !
     130. जो व्यक्ति अपनी योग्यता और कमजोरी को जानता हें वह जीवन में सफल जरुर होता हें !
     131. उचाईयो के शिखर पर पहुचने के बाद इन्सान को अपनी मूल जड़ो को भूल नहीं जाना चाइये ! 
     132. एक समझाइश से नजारा बदल सकता हें ! 
     133. शक्ती ही इन्सान को आगे बड़ाती हें ! 
     134. अच्छे लोगो की की बाते हमेशा ध्यान से सुने यह भी एक कला हें ! 
     135. किसी के साथ या अपने साथ अत्याचार हो रहा तब हमें क्रोध और विरोध दोनों करना चहिए ! 
     136. लम्बी आयु के लिए विनर्म होना जरुरी हें ! 
     137. लोगो का मानना हें की मोबाइल ने उनेह गुलाम बना दिया पर कभी कभी यह बहुत काम आती हें ! 
     138. अपने शोब्दो पर विश्वाश रखे ! 
     139. जरुरत ज्यादा कभी संग्रह न करे ! 
     140. स्वभाव से व्यवहार बनाये न की व्यवहार से स्वभाव बनाये ! 
    141. झुठ बोलकर भी अच्छा कहने की भावना पैदा करे ! 
     142. झुठ बोलकर  खुद को अच्छा साबित करना भी एक कला हें ! 
     143. सही निर्णय हमेशा सफलता दिलाता हें ! 
     144. लोगो की बातों को घोर से सुने और उन्हें जीवन में उतारने की कोशिश करे ! 
     145. सत्य महान हें और सत्य ही बड़ा धर्म हें ! 
     146. जीवन में जितनी बड़ी समस्या हो उस से ज्याद प्रभु के सामने प्राथना हो ! 
     147. कर्म ही जीवन हें कर्म करते रहो ! 
     148. सोचने का तरीका दिलाता हें सफलता ! 
     149. नजर हमेशा तिखी होनी चहिये ! 
     150. लोग जितनी आप में रूचि रखते हें उतनी आपकी समस्या पर भी रखते हें ! 
     151. सत्य में ही ईश्वर हें और वहि आपका आधार हें !
     152. अक्सर सुख के दरवाजे खुल जाते हें पर इन्सान उस को समझ नहीं पाता हें !
     153. जीवन में आल्श्य को छोड़कर पुरुषार्थ को रखो !
     154. आप कितने बुद्धिमान हें इसका पाता सिर्फ आप की बुद्धि ही बता सकती हें !
     155. कर्म करने से किस्मत को बदला जा सकता हें !
     156. जल्दबाजी ना करे क्योकि किसी को पहचान ने में टाइम लग सकता हें !
     157. कभी अपनी दिल की बात भी सूने !
     158. समस्या का समाधान करो न की भागने का !
     159. मोंन रहने से कलह नहीं होती और जागने से कभी भय नहीं रहता !
     160. हर वस्तु सुन्दर दिखने वाली कभी सही नहीं होती !
     161. लीडर वहि होता जो अपनी साख को ना गवाए !
     162. देने से दिल खुलता हें और बोलने से इन्सान खुलता हें !
     163. दान देने से सुख मिलता हें !
     164. लक्ष्य को पाना जितना कठिन होता हें उससे ज्यादा उसे समझना !
     165. अधिकार तरह अपने कर्तव्य का पालन भी करे !
     166. बड़ी सोच जादू की तरह होती हें
     167. जिन्दगी के दो ही पहलु हें कभी हार तो कभी जित हें
     168. जिन्दगी में हालात केसे भी हो उसका डटकर मुकाबला करे !
     169. श्रेष्ठ होने के लिए उर्जा होनी जरुरी हें !
     170. इच्छा शक्ति जरुर रखे !
     171. बहेतर होगा कि बच्चों को रोकने ,टोकने के बजाए उसके स्थान पर उन्हें काम करने के लिए पेरित कर्रे !
     172. व्यवहार में इतनी सरलता हो कि लोग सच्चे दिल से सम्मान कर्रे !
     173. अच्छी किताब और सच्चे दोस्त देर से समझ में आते हें !
     174. जन्म भूमि हि आप कि कर्म भूमि होती हें
     175. आलोचक से इन्सान के आत्मसम्मान को ठोस पहुचती हें और उसके प्रति गलत भावना रखने लगता हें !
     176. सफलता का द्वार कभी खुलता नहीं उसे खोला जीता हें !
     177. जीवन में किसी के प्रति रूचि रखे !
     178. असम्भव को सम्भव बना देता हें आत्मबल !
     179. अपने हाथ में हि रखे अपनी जीवन कि डोर !
     180. जिंदगी का भरपूर आनन्द लेते रहे !
     181. महज तकनीकि ज्ञान हि काफी नहीं होता व्यवहार का होना भी जरुरी हें !
     182. जिंदगी का भरपूर आनन्द वहि उठा सकता जो अपनी इच्छा को आसमान तक ले गया हो !
     183. कोई साथ दे या न दे पर अपना जमीर साथ देना चहिये !
     184. दिल कि बात मानने वाला हि सफल होता हें !
     185. में हि हु ---ना इसके सिवा कोई और हें ,ना मेरे जेसा कोई हें और नहीं कोई कभी होगा !
     186. सच्चे दिल से मुकाम हासिल करना चाहते हो तो दूसरों कि मंजिल कभी ना तोड़े !
     187. सत्य,प्रेम,न्याय,धर्म,कर्म,त्याग,उपासना,व्यवहार यह सभी मानवीय साधभाव हें जो इन्सान को महान बना देती हे
     188. नोकरी कर्रे प्यार से व्यापार कर्रे दिमाग से !
     189. माँ और जन्म भूमि दोनों स्वर्ग के सम्मान ,इनका आदर करना सीखे !
     190. आपकी आत्मा हि सबसे बड़ा मार्गदर्शक हें !
     191. सत्य हि मानव का आभूषण हें !
     192. विश्वाश में बड़ी शक्ति होती हें !
     193. गुरु कि डाट पिता के प्यार से अच्छी होती हें !
     194. सबसे अच्छा दान शमादान होता हें !
     195. उतम तीर्थ अपना मन होता हें 
     196. ईमानदारी इन्सान कि सर्वोतम पूंजी हें !
     197. सपने अगर सच करना चाहते हो तो आलस्य को त्याग दो !
     198. याचन तो केवल भिखारी करता हें भक्त तो केवल प्राथना करता हें !
     199. आलोचना से मत डरो क्योकि आलोचना उन्ही की होती जो कुछ करते हें !
     200. कुछ व्यक्तियों के लिए सफलता उनकी राहों में और आसमान उनकी बाहों में होती हें !
     201. जिसे अपनों पर विश्वास नहीं वह असफल हें !
     202. आज का जो पुरषार्थ हें कल का वह भाग्य हें !
     203. धेर्य जीवन के लक्ष्य के द्वार खोलती हें !
     204. निराशा होने से जीवन के बहुत सरे अच्छे अवसर भी ख़त हो जाते हें !
     205. आत्मविश्वासी कभी पराजित नहीं होता !
     206. असफल होना कोई गुनाह नहीं हें पर कोशिश न करना गुनाह हें !
     207. दिन का शुभारम ईश्वर के स्मरण और अंत उसे धन्यवाद से होना चहिये !
     208. प्रसन रहने से आलश्य नहीं आता हें !
     209. सब कुछ कामयाबी नहीं होती और भी कुछ होता हें !
     210. आदमी न छोटा होता और नहीं वह कभी बड़ा होता हें !
     211. असफलता एक चुनोती हें उसे सिव्कारे !
     212. सत्य यही हें इन्सान गलती करता

    मनोबल ही जीवन शक्ति है(manobal hi jeevan sakti hai)

    By: Successlocator On: जून 30, 2016
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  • इटली के एक प्रमुख शहर गिएरुपे में बारुद के एक कारखाने में फिनोज पी॰ वेग नामक फोरमैन काम करता था। इस कारखाने के बारुद के मिश्रण से धातुओं की छोटी परतों में छेद करने का काम होता था। फिनोज पी॰ वेग के साथ एक विचित्र दुर्घटना घटी। हुआ यह कि वह सुराख करने के एक बरमे के पास काम कर रहा था। बरमा करीब पौने चार फीट लम्बा और तेरह पौंड वजन का था। काम चल ही रहा था। कि अचानक न जाने क्या गड़बड़ी आई जो मशीन से एक भारी ध्माके के साथ बरमा निकल कर उचटा और वेग के मस्तिष्क को बेधता हुआ बाहर निकल गया। बरमा चेहरे के बाँई ओर वाले भाग से घुसा था और भीतरी हड्डियों को तोड़ता हुआ आँख के निचले भाग को छेदता हुआ बाहर निकल गया। आस-पास काम कर रहे कर्मचारियों को लगा कि वेग के परखचे उड़ गये हैं।
    वह झटके के साथ नीचे गिरा और ऐंठ गया। फिर भी आर्श्चय था कि उसमें जान बाकी थी। उसे कारखाने से करीब एक मील दूर स्थित अस्पताल में पहुँचाया गया। अस्पताल के प्रमुख चिकित्सकों ने उसका परीक्षण किया आर मुख्य चिकित्साधिकारी इस निर्ष्कष पर पहुँचे कि घायल के साथ कितना ही परिश्रम क्यों न किया जाये असे बचाया नहीं जा सकता। फिर भी चिकित्सकों ने अपना कर्त्तव्य निभाया और साधारण मरहम पट्टी कर दी। आर्श्चय तो उस समय हुआ जब उसी दिन वेग की बेहोशी टूटी। डाँक्टर बेहोशी टूटने की आशा करना तो अलग रहा, इस बात की प्रतीक्षा कर रहे थे कि वेग की साँसें कितनी देर तक साथ देती हैं ?
    उसका खून बहना बन्द नहीं हुआ था, फिर भी दर्द को सहा और रात दस बजे वहाँ उपस्थित लोगों से बातें करने लगा। इसके बाद तो डाँक्टरों में भी वेग के जीवित बच जाने की आशा जगी। वह तेजी से अच्छा होने लगा और तीन माह तक अस्पताल में रहने के बाद पूरी तरह स्वस्थ होकर अस्पताल से घर आ गया। अस्पताल के अधिकारियों ने जो अन्तिम रिपोर्ट तैयार की, वह विश्व के मूर्धन्य चिकित्सकों के लिए आज भी अध्ययन और आर्श्चय की वस्तु बनी हुई है। वेग की नेत्र ज्योति तो चली गई थी, पर उसका बाकी मस्तिष्क पूरी तरह ठीक हो गया और वह अपना सामान्य जीवन क्रम ठीक तरह से चलाने लगा। इतने भयानक मस्तिष्कीय आघात के बाद भी कोई व्यक्ति जीवित बच सकता है, वरन् स्वस्थ सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है, इस पर शरीर विज्ञानियों को सहसा विश्वास नहीं हो सकता। परन्तु वेग की टूटी हुई खोपडी के अस्थि खण्ड तथा उससे सम्बन्धित पदार्थ व कागजात हार्वर्ड मेडिकल कालेज बुकलिन के संग्रहालय में सुरक्षित रखे हैं, साथ ही वह बरमा भी रखा हुआ है जो वेग की खोपड़ी को चीरता हुआ बाहर निकला था।

    यह घटना इस बात की साक्षी है कि जीवन मृत्यु से अधिक बलवान है। यहाँ जीवन का अर्थ जन्म और मृत्यु के बीच की अवधि नहीं है, अपितु उस जीवटता से है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को सक्षम बनाये रखती है। शरीर वैसे हाड़-माँस से बना दिखाई देता है। इसे मिट्टी का पुतला और क्षणभंगुर कहा जाता है, परन्तु इसके भीतर विद्यमान जीवटता को देखते हैं तो कहना पडेगा कि उसकी संरचना अष्ट धातुओं से भी मजबूत तत्वों द्वारा मिलकर बनी हुई है। छोटी-मोटी, टूट-फूट, हारी-बीमारी तो रक्त के श्वेतकण तथा दूसरे संरक्षणकर्ता, शामक तत्व अनायास ही दूर करते रहते हैं, परन्तु भारी संकट आ उपस्थित होने पर भी यदि साहस न खोया जाय तो उत्कट इच्छा शक्ति के सहारे उनका सामना सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

    निश्चित ही मृत्यु की विभीषिका और अनिवार्यता से इन्कार नहीं किया जा सकता, न ही विपत्ति का संकट हल्का करके आँका जा सकता है, परन्तु इतना होते हुए भी जिजीविषा की-जीवन आकाँक्षा की-सामर्थ्य सबसे बडी है और उसके सहारे संकटों को पार किया जा सता है।
    जीवन के लिए संकट प्रस्तुत करने वाले क्षण बहुत लोगों के सामने आते हैं। उनमें से आधे लोग तो भयभीत होकर हिम्मत हार बैठते हैं। और उस कातर मनःस्थिति में ही बेमौत मारे जाते हैं। पेड़ के नीचे चीते को खड़ा देखकर बन्दर हक्का-बक्का हो जाता है और हड़बडी घबड़ाहट में नीचे आ गिरता है। चीता उसे चुपचाप मुँह में दबाकर चल देता है। विपत्ति की घड़ी सामने आने पर अक्सर लोग ऐसी ही भयभीत स्थिति में फंस जाते हैं और बेमौत मरते हैं। इसके विपरित यदि उस कठिन समय में उसने अपने मनोबल को स्थिर रखा तो बहुत सम्भव है कि वह विपत्ति बच जाती। इच्छा शक्ति की प्रचण्डता अंग प्रत्यंग में ऐसी अद्भुत सुरक्षा उत्पन्न कर देती है जिसके सहारे माटी का पुतला कही जाने वाली अपनी यही देह मृत्युँजय बन जाती है। मनस्वी और मनोबल सम्पन्न लोगों के ऐसे अगणित उदाहरण अपने चतुर्दिक बिखरे देखे जा सकते हैं।

    सन् 1891 की घटना है। एक अंग्रेज मछुआरा अपना जहाज लेकर दलबल के साथ व्हेल मछली का शिकार करने के लिए निकला। आकलैंड द्वीप समूह के पास उसे एक विशालकाय व्हेल दिखाई पड़ी। दो नावों पर सवार  ने उस पर ‘भाला’ द्वारा आक्रमण किया। व्हेल ने पलटा खाया तो एक नाव उसकी पूँछ की चपेट में आ गई। एक नाविक तत्काल डूब गया। दूसरा जेम्स वर्टली गायब हो गया। उसे व्हेल ने निगल लिया था उसके भी जीवित न बचने की आशा थी। टनों भारी व्हेल मछली के उदर में समा जाने के बाद साढ़े पाँच छह फुट आदमी का बच सकना सम्भव भी कैसे हो सकता है ? पर यह सम्भव हुआ!

    वर्टली जब व्हेल मछली के पेट में पहुँच गया तो भी उसने अपना होशो-हवास कायम रखा और उसने अपनी पेंट की जेब में रखे हुए शिकारी चाकू से व्हेल का पेट चीरना आरम्भ कर दिया। हालाँकि ऐसा करने में बडी परेशानी हो रही थी। भीतर की जकड़न कुछ करने नहीं दे रही थी, फिर भी उसने अपना प्रयास जारी रखा और व्हेल का पेट चीरकर बाहर आने में सफल हो गया। दो दिन बाद वह अचेत अवस्था में समुद्र की सतह पर तैरता हुआ पाया गया। नाविकों ने उसे देखा तो बाहर निकाला और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। व्हेल मछली के पेट में रहने के कारण उसका शरीर क्षत-विक्षत हो गया था। उसका सारा शरीर पीला पड़ चुका था और चमड़ी का रंग तो अन्त तक वैसा ही बना रहा। तीन हप्ते तक उपचार के बाद उसके मस्तिष्क ने काम करना शुरु किया और उसकी बेहोशी टूटी। धीरे-धीरे वह ठीक होता गया और करीब दो महीने में पूरी तरह स्वस्थ होकर घर वापस आ गया।

    व्हेल मछली के पेट में पहुँच जाने के बाद बर्टली को अपने जीवन की रक्षा के लिए जो संघर्ष करना पड़ा था उसका विवरण “डेट डिवैट्स” पत्र के जनवरी 1892 अंक में प्रकाशित हुआ था। वर्टली ने अपने अनुभव बताते हुए लिखा है कि “व्हेल के मुँह में मैंने एक अंधेरी गुफा में घसीटे गए व्यक्ति की तरह प्रवेश किया। उस तालाब जैसे पेट में साँस लेने की गुँजाइश तो थी पर गर्मी इतनी तेज पड़ रही थी मानों खोलते पानी में उबाला जा रहा हो, फिर भी मैंने साहस से काम लिया। बड़ी कठिनाई से मैंने अपना चाकू निकाला और खोला। मैं मछली की आँतों में बेहतर कसा हुआ था। हिलने-डुलने की गुँजाइश नहीं थी फिर भी किसी तरह चाकू निकाला और मछली का पेट चीरने का सिलसिला चलाया। पेट की परत इतनी मोटी थी कि उसकी परतों को फाड़ने में घण्टों लग गये तब कहीं बाहर निकलने का रास्ता बन सका।”

    शरीर की शक्ति, सामर्थ्य सीमित है यह ठीक है, पर शरीर से भी अधिक शक्तिशाली और सामार्थ्यवान है- मनोबल। यह मनोबल दुर्बल से दुर्बल काया को भी मृत्युँजयी बना देता है, बड़े से बड़े संकटों को भी पार करा देता है और इसका अभाव साधारण संकटों में भी परास्त कर देता है। स्वामी विवेकानन्द ने मनोबल की महत्ता बताते हुए कहा है, “मनोबल ही सुख सर्वस्व है। यही जीवन है और यही अमरता है तथा मनोदौर्बल्य ही रोग है, दुःख और मृत्यु है।” मनोबल के द्वारा शरीर को अजेय वज्र के समान बनाया जा सकता है। यदि इस शक्ति का भली-भाँति विकास किया जाय तो साधारण से दीखने वाले मानवीय व्यक्तित्व में ही ऐसी विशेषताएँ उत्पन्न की जा सकती है जो साधारणतया असम्भव महसूस पड़ती हैं। परन्तु जो लोग शरीर पर मन के नियंत्रण का तथ्य जानते हैं उन्हें यह समझना कठिन नहीं होना चाहिए कि इस शक्ति के बल पर देह के अवयव अपनी प्रकृति बदल सकते हैं और मन की इच्छानुसार ऐसी हलचलें भी कर सकते हैं। जो सामान्य प्रयत्नों के द्वारा सम्भव ही प्रतीत हो। साम्राज्ञी मेरीलुइस के संबंध में प्रसिद्ध है कि वह अपनी इच्छानुसार अपने कानों को बिना हाथ से छुए किसी भी दिशा में मोड़ सकती थीं और आगे पीछे हिला सकती थी।

    एक फ्राँसीसी अभिनेता अपनी इच्छानुसार अपने बालों को घुमा सकता था। बालों को गिराने, उठाने और घुँघराले बनाने की क्रिया इच्छानुसार कर सकने में अपनी अद्भुत क्षमता के बल पर उसने ढ़ेरों रुपये कमाये। वह एक बाल को घुंघराला बना लेता और ठीक उसी के बगल वाला बाल चपटा कर लेने का अपना आर्श्चयजनक करतब भी कर दिखाता था। डाक्टरों ने उसका परीक्षण किया और ‘प्रो॰ आगस्ट कैवेनीज’ ने बताया कि उसने अपने सिर की माँस-पेशियों और त्वचा के तन्तुओं को अपनी इच्छाशक्ति के द्वारा असाधारण रुप से विकसित और संवेदनशील बना लिया है।

    एक व्यक्ति ने अपने पेट को प्रशिक्षित किया और उसने असाधारण खुराक खाने में ही नहीं उसे पचाने में भी सफलता प्राप्त की। ग्रीस का क्रोटोनाकामिलो नामक पेटू अधिक खाने और पचाने के लिए प्रसिद्ध था। वह एक दिन में 150 पौंड माँस तक खा जाता था। डेट्रायर (मिशीगन) के एडिको, जो एक रेल्वे मजदूर था, ने तो कमाल ही कर दिया। उसने 60 सुअरों के माँस से बनी हुई टिकिया एक दिन में खाकर पचाई। एडिको की सामान्य खुराक सत्तर आदमियों के बराबर थी। उसने केवल इसीलिए शादी नहीं की कि वह जो कमाता था उससे उसका अपना पेट ही नहीं भरता था। फिर बीबी को क्या खिलाता? उसे जितना कुछ वेतन मिलता था, वह उसके लिए प्रायः कम पड़ता था और ऐसी दश में उसके मित्र लोग उसकी सहायता करते थे ताकि वह भूखा न मरे।

    कहा जाता है कि नींद न आने पर आदमी पागल हो जाता है और अकाल मृत्यु हो जाती है किन्तु ऐसे भी उदाहरण हैं जिनमें बिल्कुल न सोने वाले लोग सामान्य जीवन जीते रहे और अपना काम ठीक प्रकार चलाते रहे। पेरिस का प्रख्यात वकील जैक्विसल हरवेट 72 वर्ष तक जीवित रहा। इस अवधि में वह 68 वर्ष तक एक क्षण के लिए भी नहीं सोया। चार वर्ष की आयु में ही उसकी नींद खो गई थी। हुआ यह था कि फ्राँस के सम्राट सोलहवें लुई को जब सन् 1793 में फाँसी दी गई तो जैक्विसल भी अपनी माँ के साथ वह दृश्य देखने गया। शूली पर चढ़ाये जाने का दृश्य देखकर जैक्विसल के मन में ऐसी दहशत बैठी कि वह बुरी तरह डर गया और मूर्छित अवस्था में उसे अस्पताल पहुचाया गया। वहाँ वह ठीक तो हो गया, पर उसकी नींद बिल्कुल गायब हो गई। वह इसके बाद एक क्षण के लिए भी नहीं सोया। परन्तु इसका उसके स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा।

    कहा गया है कि मन की शक्ति का कोई पारावार नहीं हैं। कई बार तो सये शक्तियाँ अनायास ही जागृत हो जाती हैं, परन्तु ऐसा होता अपवाद रुप में ही है। उन्हें जागृत करने के अलग अभ्यास है जिन्हें योग-साधना भी कहा जा सकता है।

    यदि मनोबल का महत्व समझ लिया जाये और उसे अर्जित किया जा सके, संचित किया जा सके तो न केवल बडे-बडे विचलित कर देने वाले संकटों को आसानी से पार किया जा सकता है, वरन् चमत्कार कही जाने वाली सफलताँ भी अर्जित की जा सकती हैं।