10 जन॰ 2017
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आज जिस शख्स के सफलता की कहानी हम पेश कर रहे हैं उन्हें हर कोई जानता है लेकिन उनके संघर्ष की कहानी बहुत कम लोग ही जानते। जी हाँ सफलता की यह कहानी है भारत की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनियों में शुमार टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की। आज भले ही गुलशन कुमार हमारे बीच नहीं हैं किन्तु उनकी कारोबारी सफलता आज भी चर्चा का बिषय है।
दिल्ली के एक गरीब पंजाबी परिवार में पैदा लिए गुलशन कुमार बचपन से ही अपने पिता के जूस की दूकान पर काम में हाथ बटाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उन्हें कारोबार में ही दिलचस्पी पैदा हो गयी। 23 साल की उम्र में उन्होंने ख़ुद के एक कारोबार शुरू करने की दिशा में काम शुरू कर दिया।
फैमिली की मदद से उन्होंने एक दुकान को टेकओवर किया और फिर ऑडियो कैसेट बेचना शुरू किया। उन्होंने अपने ऑडियो कैसेट के बिजनेस को ‘सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ के नाम से दुनिया के सामने पेश किया।
गुलशन कुमार ओरिजिनल गानों को दूसरी आवाजों में रिकॉर्ड कर कम दामों में बेचने शुरू कर दिए। जहाँ अन्य कंपनियां एक कैसेट को 28 रुपए में बेचती वही गुलशन कुमार उसे महज़ 15 रूपये में बेचते। 70 के दशक में उनकी कैसेट के डिमांड बहुत बढ़ गए। फिर उन्होंने भक्ति गानों की सीरीज़ भी निकली। उन्होंने खुद भी कई भक्ति गानें गाये जो आज भी मशहूर है। धीरे-धीरे वो म्यूजिक इंडस्ट्री के सफल बिजनेसमैन में शुमार हो गए।
कैसेट की दुनिया में सफलता मचाने के बाद उन्होंने फ़िल्मी दुनिया का रुख किया। इसके बाद वे म्यूजिक और बॉलीवुड फिल्मों के अलावा हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित फिल्मों और सीरियल्स को भी प्रोड्यूस करने लगे। अपनी तरक्की को देखते हुए गुलशन कुमार ने कमाई का एक हिस्सा समाजिक और धार्मिक संगठनों को दान देना शुरू कर दिए।
धर्म के प्रति उनकी अभिन्न रूची की बदौलत उन्होंने माता वैष्णो देवी के दरबार में भंडारा का आयोजन शुरू कर दिया। गुलशन कुमार का यह भंडारा श्री माता वैष्णो देवी मंदिर में आने वाले भक्तों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराता है। ख़बरों की मानें तो जब अबु सलेम ने गुलशन कुमार से हर महीने 5 लाख रुपए फिरौती माँगा था तो उन्होंने फिरौती देने की बजाय उस रूपये से भंडारा शुरू कर दिया था।
12 अगस्त 1997 को मुम्बई के साउथ अंधेरी इलाके में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। फिर 19 साल की उम्र में उनके बेटे भूषण कुमार ने कंपनी की कमान संभाली। उनकी बेटी तुलसी कुमार एक जानी-मानी प्लेबैक सिंगर है। आज टी-सीरीज भारत की सबसे बड़ी म्यूजिक इंडस्ट्री में से एक है। गुलशन कुमार की कारोबारी सफलता के साथ-साथ उनकी भक्ति-भावना भी लोगों के लिए प्रेरणादायक है।
कभी पिता संग बेचा करते थे जूस, फिर कैसेट बेच खड़ी की अरबों रूपये की कंपनी
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On: जनवरी 10, 2017
आज जिस शख्स के सफलता की कहानी हम पेश कर रहे हैं उन्हें हर कोई जानता है लेकिन उनके संघर्ष की कहानी बहुत कम लोग ही जानते। जी हाँ सफलता की यह कहानी है भारत की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनियों में शुमार टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की। आज भले ही गुलशन कुमार हमारे बीच नहीं हैं किन्तु उनकी कारोबारी सफलता आज भी चर्चा का बिषय है।
दिल्ली के एक गरीब पंजाबी परिवार में पैदा लिए गुलशन कुमार बचपन से ही अपने पिता के जूस की दूकान पर काम में हाथ बटाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उन्हें कारोबार में ही दिलचस्पी पैदा हो गयी। 23 साल की उम्र में उन्होंने ख़ुद के एक कारोबार शुरू करने की दिशा में काम शुरू कर दिया।
फैमिली की मदद से उन्होंने एक दुकान को टेकओवर किया और फिर ऑडियो कैसेट बेचना शुरू किया। उन्होंने अपने ऑडियो कैसेट के बिजनेस को ‘सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ के नाम से दुनिया के सामने पेश किया।
गुलशन कुमार ओरिजिनल गानों को दूसरी आवाजों में रिकॉर्ड कर कम दामों में बेचने शुरू कर दिए। जहाँ अन्य कंपनियां एक कैसेट को 28 रुपए में बेचती वही गुलशन कुमार उसे महज़ 15 रूपये में बेचते। 70 के दशक में उनकी कैसेट के डिमांड बहुत बढ़ गए। फिर उन्होंने भक्ति गानों की सीरीज़ भी निकली। उन्होंने खुद भी कई भक्ति गानें गाये जो आज भी मशहूर है। धीरे-धीरे वो म्यूजिक इंडस्ट्री के सफल बिजनेसमैन में शुमार हो गए।
कैसेट की दुनिया में सफलता मचाने के बाद उन्होंने फ़िल्मी दुनिया का रुख किया। इसके बाद वे म्यूजिक और बॉलीवुड फिल्मों के अलावा हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित फिल्मों और सीरियल्स को भी प्रोड्यूस करने लगे। अपनी तरक्की को देखते हुए गुलशन कुमार ने कमाई का एक हिस्सा समाजिक और धार्मिक संगठनों को दान देना शुरू कर दिए।
धर्म के प्रति उनकी अभिन्न रूची की बदौलत उन्होंने माता वैष्णो देवी के दरबार में भंडारा का आयोजन शुरू कर दिया। गुलशन कुमार का यह भंडारा श्री माता वैष्णो देवी मंदिर में आने वाले भक्तों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराता है। ख़बरों की मानें तो जब अबु सलेम ने गुलशन कुमार से हर महीने 5 लाख रुपए फिरौती माँगा था तो उन्होंने फिरौती देने की बजाय उस रूपये से भंडारा शुरू कर दिया था।
12 अगस्त 1997 को मुम्बई के साउथ अंधेरी इलाके में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। फिर 19 साल की उम्र में उनके बेटे भूषण कुमार ने कंपनी की कमान संभाली। उनकी बेटी तुलसी कुमार एक जानी-मानी प्लेबैक सिंगर है। आज टी-सीरीज भारत की सबसे बड़ी म्यूजिक इंडस्ट्री में से एक है। गुलशन कुमार की कारोबारी सफलता के साथ-साथ उनकी भक्ति-भावना भी लोगों के लिए प्रेरणादायक है।
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