दोस्तों असफलता अपनी मंजिल को पाने का एक महत्वपूर्ण पहलू है. अगर हमें सफल होना है तो अपनी असफलताओं का डट कर मुकाबला करना होगा. आप दुनिया के कितने भी अच्छे से अच्छे काम की शुरुआत करने की कोशिश कीजिये, आपको कोई न कोई तो उसके बारे में नकारात्मक विचार देने वाला मिल ही जायेगा. अपनी जिन्दगी के सफ़र में हमारा कई बार असफलताओं से सामना हो सकता है. इस दौरान हम यह सोच कर कि लोग हमारे बारे में क्या कहेंगे, हमारी इज्जत का क्या होगा, रिश्तेदारों को हम क्या जबाब देंगे, हम मानसिक तनाव तो झेलते ही है साथ ही साथ हम अपने जीवन का भी नाश कर लेते हैं.
अगर आगे बढ़ना है तो ये मत सोचो की लोग क्या कहेंगे? सीधी सी बात है दोस्तों अगर सफल होना है तो लोगो की परवाह करना छोड़ दो. जो आपको अच्छा और सच्चा लगे बस वही काम करते रहो. मैं यह नहीं कहता कि हमें किसी की राय नहीं लेनी चाहिए या फिर किसी का सुझाव नहीं मानना चाहिए, बल्कि हमें हर एक व्यक्ति के विचार सुनने चाहिए और जो विचार हमें अच्छे और सच्चे लगे उन्हें अपने जीवन में, अपने काम में अपना लेने चाहिए. लेकिन दोस्तों बहुत बार देखा जाता है कि हम दूसरों की बातों से निरासा के जाल में घिर जाते हैं.
इस बात को अच्छे से समझने के लिए ये कहानी जरुर पढ़ें और उसके बाद मैं अपनी कुछ personal experience share करने की कोशिश करूँगा. उम्मीद है आप लोगों को मेरी यह कोशिश ज़रूर पसंद आएगी.
एक बार रामलाल नाम का व्यक्ति अपने बेटे को गधे पर बैठा कर कहीं जा रहा था. कुछ दूर चलने पर उन्हें दो लोगो को आपस में बात करते हुए दिखाई दिए वो कह रहे थे “देखो भाई आज कल क्या जमाना आ गया है. बेटा मजे से गधे पर सवारी कर रहा है और बाप पैदल चल रहा है.”
दुसरे ने कहा “हां भाई अब बच्चों में पहले जैसे संस्कार कहाँ.”
यह सब सुन कर रामलाल ने तुरंत अपने बेटे को गधे से नीचे उतार दिया और खुद उस गधे पर बैठ गये और चलने लगे. कुछ दूर चलने के बाद रामलाल को कुछ महिलाएं यह कहते हुए सुनाई दी कि “अरे! ये देखो कितना बुरा बाप, खुद तो गधे पर बैठा है और बेचारे बच्चे को पैदल चला रहा है.”
महिलाओं की बात सुन कर रामलाल ने अपने बेटे को भी अपने साथ गधे पर बैठा लिया और आगे चलने लगे. कुछ दूर चलने पर उन्हें एक बुजुर्ग व्यक्ति मिला और रामलाल को कहने लगा “अरे मुर्ख व्यक्ति! तुम्हे शर्म नही आती है? एक बेजान प्राणी पर दोनों बाप-बेटा बैठे हो. इस बेचारे गधे पर कुछ तो दया करो.” उस बुजुर्ग की बातें सुनकर रामलाल का दिमाग खराब होने लगा. फिर उसने सोचा कि अब हम दोनों पैदल ही चलेंगे. फिर दोनों बाप और बेटा गधे के साथ पैदल ही चलने लगे. वो तीनो कुछ दूर ही चले थे कि रामलाल को कुछ लोग उन पर जोर-जोर से हँसते हुए दिखाई दिए और कह रहे थे कि “ये देखो दुनिया के सबसे बड़े मुर्ख जो इतना अच्छा गधा होते हुआ भी दोनों पैदल चल रहे है.”
तो दोस्तों इस कहानी का एक मात्र आशय ही की आपको समझाना दुनिया की परवाह किये बिना जो आपका दिल कहे करिये ।और आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी
"जब जब जिस पर दुनिया हसी है तब तब उसी ने इतिहास रचा है"।
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