29 अग॰ 2017

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पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के बारे में कुछ बातें

By: Successlocator On: अगस्त 29, 2017
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  • भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गाँव में हुआ था, तमाम अभावों के बावजूद उन्होंने शिक्षा ली, कानून के क्षेत्र में डाक्टरेट की उपाधि भी हासिल की. राजेंद्र प्रसाद ने वकालत करने के साथ ही भारत की आजादी के लिए भी काफी संघर्ष किया.


    1. 1905 में जब गोपाल कृष्ण गोखले ने उन्हें सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी ज्वाइन करने को कहा तो वे असमंजस की स्थिति में थे क्योंकि उन्हें उनका परिवार भी देखना था और पढ़ाई भी करनी थी. इस वाकये के बारे में राजेंद्र प्रसाद ने बाद में कहा कि उनके जीवन का यह सबसे कठिन वक्त था. इसी से उनकी पढ़ाई भी खराब हो गई क्योंकि उनका सारा ध्यान देश की ओर था. उन्होंने किसी तरह से लॉ की परीक्षा पास की.

    2. राजेंद्र प्रसाद हमेशा एक अच्छे स्टूडेंट के रूप में जाने जाते थे. उन्हें हर महीने 30 रुपये की स्कॉलरशिप पढ़ाई करने के लिए मिलती थी. उनकी एग्जाम शीट को देखकर एक एग्जामिनर ने कहा था कि 'द एग्जामिनी इज बेटर देन द एग्जामिनर'.

    3. राजेंद्र प्रसाद दो साप्ताहिक मैगजीन भी निकालते थे. हिंदी में निकलने वाली मैगजीन का नाम 'देश' और अंग्रेजी में निकलने वाली मैगजीन का नाम 'सर्चलाइट' था.

    4. प्रसाद ने  1906 में बिहारी स्टूडेंट्स कॉन्फ्रेंस का आयोजन करवाया, इस तरह का आयोजन पूरे भारत में पहली बार हो रहा था. इस आयोजन ने बिहार के दो बड़े नेताओं अनुग्रह नारायण और कृष्ण सिन्हा को जन्म दिया. प्रसाद 1913 में बिहार छात्र सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गए.

    5. जब 1930 में महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह आंदोलन चलाया तो राजेंद्र प्रसाद को इसके लिए बिहार का मुख्य नेता बनाया गया. प्रसाद ने फंड बढ़ाने के लिए नमक बेचने का काम भी किया.

    6. भारत रत्न अवार्ड की शुरुआत राजेंद्र प्रसाद के द्वारा 2 जनवरी 1954 को हुई थी. उस समय तक केवल जीवित व्यक्ति को ही भारत रत्न दिया जाता था. बाद में इसे बदल दिया गया. 1962 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को देश का सर्वश्रेष्ण सम्मान भारत रत्न दिया गया.

    7. प्रसाद ने सुभाष चंद्र बोस और गांधी के बीच मतभेदों को दूर करने का हर संभव प्रयास किया ताकि स्वतंत्रता आंदोलन प्रभावित न हो सके.

    8. 1934 में बिहार में आए भूकंप और बाढ़ के दौरान उन्होंने रिलीफ फंड जमा करने के लिए काफी मेहनत की. उन्होंने फंड के लिए 38 लाख रुपये जुटाए जो कि वायसराय के फंड से तीन गुना ज्यादा था.

    9. चंपारण आंदोलन के समय जब प्रसाद ने देखा कि महात्मा गांधी जैसा व्यक्ति लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता है तो वे भी आंदोलन में शामिल हो गए. उसी आंदोलन के दौरान जब महात्मा गांधी को ठहरने के लिए जगह नहीं मिल रही था तो वे राजेंद्र प्रसाद के घर पर रुके थे.

    10. राजेंद्र प्रसाद के काम और व्यवहार को देखते हुए भारत के महान कवि रविन्द्रनाथ टैगोर ने राजेंद्र प्रसाद को ख़त में लिखा था कि मैं तुम पर भरोसा करता हूं कि तुम पीड़ित लोगों की मदद करोगे और खराब वक्त में भी लोगों के बीच एकता और प्यार को बनाए रखोगे.

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