17 सित॰ 2017
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एक बार एक देश के राजा ने मुल्ला नसीरूदीन को बुलाया और उस से पूछा कि तुम्हारे बारे में मैंने बहुत सुना है कि तुम बहुत चालाक हो इसलिए क्या तुम एक काम कर सकते हो जो मैं तुमसे कहने वाला हूँ।
इस पर मुल्ला ने कहा मैं कुछ भी कर सकता हूँ बस आप एक बार आज्ञा दें। इस पर राजा ने कहा क्या तुम अपने इस प्रिय गधे को पढ़ना सिखा सकते हो इस पर मुल्ला ने कहा, हाँ क्यों नहीं मैं इसे आराम से सिखा सकता हूँ | इस पर राजा ने कहा ‘बकवास मत करो ‘ क्या गारंटी है तुम ऐसा कर सकते हो |
मुल्ला ने जवाब दिया कि एक काम कीजिये आप मुझे पचास हजार स्वर्ण मुद्राएँ दीजिये उसके बाद मैं गारंटी लेता हूँ कि आठ साल के अंदर मैं इस गधे को पढना सिखा सकता हूँ इस पर राजा ने कहा अगर तुम ऐसा कर पाने में सफल नहीं होते हो तो मैं तुम्हे जेल में डाल दूंगा। मुल्ला ने हामी भर ली और वंहा से चला गया।
घर आने के बाद मुल्ला से उसके एक दोस्त ने कहा ‘ मुल्ला तुमने ये क्या किया ? सब जानते है तुम ऐसा नहीं कर सकते फिर भी तुमने राजा को यह वचन दे दिया है क्या तुम्हे जेल जाने से डर नहीं लगता मुल्ला ने उत्तर दिया तुम इतना ज्यादा मत सोचो।
क्योंकि आठ साल में तो या तो हमारा राजा नहीं रहेगा और हो सकता है मेरा गधा भी तब तक नहीं रहे लेकिन फिर भी अगर ऐसा होता है कि सात साल तक दोनों में से कोई भी नहीं जाता तो मेरे पास पूरा एक साल है कि मैं सोच सकता हूँ राजा की सज़ा से कैसे बचा जा सकता है।
सोच ये ना रखें की मुझे रास्ता अच्छा मिले, बल्कि ये होना चाहिए कि मैं जहां पाव रखूं वो रास्ता अच्छा हो जाए. फर्क सिर्फ सोच का होता हैं सकारात्मक या नकारात्मक वरना सीढियां वही होती है जो किसी के लिए ऊपर जाती हैं, और किसी के लिए नीचे आती हैं साधारण और श्रेष्ठ में सिर्फ इतना सा अंतर है की साधारण उसको चुनते है जो आसान है लेकिन श्रेष्ठ उसे चुनता है जो मुश्किल है कोई फर्क नहीं पड़ता की लोग आपके बारे में क्या सोचते है, फर्क तो इससे पड़ता है की आप अपने बारे में क्या सोचते है सफलता हमेशा अच्छे विचारों से आती हैं और अच्छे विचार अच्छे लोगों के सम्पर्क से आते हैं.
भविष्य के बारे में ज्यादा न सोचें जानिए क्यों?
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Successlocator
On: सितंबर 17, 2017
एक बार एक देश के राजा ने मुल्ला नसीरूदीन को बुलाया और उस से पूछा कि तुम्हारे बारे में मैंने बहुत सुना है कि तुम बहुत चालाक हो इसलिए क्या तुम एक काम कर सकते हो जो मैं तुमसे कहने वाला हूँ।
इस पर मुल्ला ने कहा मैं कुछ भी कर सकता हूँ बस आप एक बार आज्ञा दें। इस पर राजा ने कहा क्या तुम अपने इस प्रिय गधे को पढ़ना सिखा सकते हो इस पर मुल्ला ने कहा, हाँ क्यों नहीं मैं इसे आराम से सिखा सकता हूँ | इस पर राजा ने कहा ‘बकवास मत करो ‘ क्या गारंटी है तुम ऐसा कर सकते हो |
मुल्ला ने जवाब दिया कि एक काम कीजिये आप मुझे पचास हजार स्वर्ण मुद्राएँ दीजिये उसके बाद मैं गारंटी लेता हूँ कि आठ साल के अंदर मैं इस गधे को पढना सिखा सकता हूँ इस पर राजा ने कहा अगर तुम ऐसा कर पाने में सफल नहीं होते हो तो मैं तुम्हे जेल में डाल दूंगा। मुल्ला ने हामी भर ली और वंहा से चला गया।
घर आने के बाद मुल्ला से उसके एक दोस्त ने कहा ‘ मुल्ला तुमने ये क्या किया ? सब जानते है तुम ऐसा नहीं कर सकते फिर भी तुमने राजा को यह वचन दे दिया है क्या तुम्हे जेल जाने से डर नहीं लगता मुल्ला ने उत्तर दिया तुम इतना ज्यादा मत सोचो।
क्योंकि आठ साल में तो या तो हमारा राजा नहीं रहेगा और हो सकता है मेरा गधा भी तब तक नहीं रहे लेकिन फिर भी अगर ऐसा होता है कि सात साल तक दोनों में से कोई भी नहीं जाता तो मेरे पास पूरा एक साल है कि मैं सोच सकता हूँ राजा की सज़ा से कैसे बचा जा सकता है।
सोच ये ना रखें की मुझे रास्ता अच्छा मिले, बल्कि ये होना चाहिए कि मैं जहां पाव रखूं वो रास्ता अच्छा हो जाए. फर्क सिर्फ सोच का होता हैं सकारात्मक या नकारात्मक वरना सीढियां वही होती है जो किसी के लिए ऊपर जाती हैं, और किसी के लिए नीचे आती हैं साधारण और श्रेष्ठ में सिर्फ इतना सा अंतर है की साधारण उसको चुनते है जो आसान है लेकिन श्रेष्ठ उसे चुनता है जो मुश्किल है कोई फर्क नहीं पड़ता की लोग आपके बारे में क्या सोचते है, फर्क तो इससे पड़ता है की आप अपने बारे में क्या सोचते है सफलता हमेशा अच्छे विचारों से आती हैं और अच्छे विचार अच्छे लोगों के सम्पर्क से आते हैं.
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