मनुष्य के मस्तिष्क की 20 महान
शक्तियाँ और
प्रबंधन
हमारे ideas हमारा लक्ष्य(GOAL)
निर्धारित करते हैं उसे पाने के लिए
जरुरत होती है आस्था (trust, faith,
confidence) की। आस्था के लिए हमें
अपना मस्तिष्क खुला रखना होगा,
इसे मस्तिष्क का उचित प्रबंधन भी
कहते हैं।
हम सबके मस्तिष्क में असीमित शक्ति
होती है, मानव मस्तिष्क में असीम स्मरण शक्ति और सोचने की क्षमता मौजूद होती है , विश्व का कोई भी कंप्यूटर एक स्वस्थ मस्तिष्क की बराबरी नहीं कर सकता । मस्तिष्क जिस किसी चीज को
स्वीकार करता है और विश्वास करता है, वह उसे प्राप्त भी कर सकता है क्योंकि आपका मस्तिष्क जिन चीजों को सोचता है, देखता है, विश्वास करता है और महसूस करता है वह उन्हें अवचेतन मन में भेज देता है। फिर आपका अवचेतन मन ब्रह्मांड की शक्तियों के साथ कार्य करने के पश्चात एक ऐसी वास्तविकता की रचना करता है, जो कि उस संदेश पर आधारित रहती है, जिसका उद्गम (starting) मस्तिष्क में हुआ था, परंतु सिर्फ इस प्रकार से सोचना और यह आशा करना कि यह सब अपने आप हो जाएगा, पर्याप्त नहीं है। यदि आप ठीक प्रकार से अपने कार्य के
प्रति dedicated हैं तो आप उसे अवश्य पूरा कर लेंगे, लेकिन आवश्यकता है यह जानने की, कि आप अपने मस्तिष्क की शक्तियों का प्रयोग कैसे करेंगे।मनुष्य के मस्तिष्क की 20 महानशक्तियाँ
1. मस्तिष्क में कल्पना शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा आशाओं और उद्देश्यों को साकार करने के तरीके सुझाएँ जाते हैं। इसमें इच्छा और उत्साह की प्रेरक क्षमता दी गई हैं, जिसके द्वारा योजनाओं और उद्देश्यों के अनुरूप कर्म किया जा सके। इसमें इच्छा शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा योजना पर लंबे समय तक काम किया जा सके।
2. इसमें आस्था की क्षमता दी गई हैं, जिसके द्वारा पूरा मस्तिष्क
असीम बुद्धि की प्रेरक शक्ति की तरफ मुड जाता हैं तथा इस
दौरान इच्छाशक्ति और तर्कशक्ति शान्त रहती हैं।
3. इसमें तर्कशक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा तथ्यों और सिद्दांतों को अवधारणाओं, विचारों और योजनाओं में बदला जा सकता हैं।
4. इसे यह शक्ति दी गई हैं कि यह दुसरें मस्तिष्कों के साथ मौन सम्प्रेषण (Transmission) कर सके, जिसे टेलीपैथी(Telepathy) कहते हैं।
5. इसे निष्कर्ष की शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा अतीत का विश्लेषण करके भविष्य का पूर्वानुमान लगाया जा सकता हैं। यह क्षमता स्पष्ठ करती हैं कि दार्शनिक भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत की तरफ क्यों देखते हैं।
6. इसे अपने विचारों की प्रकर्ति चुननें, संशोधित करने और नियंत्रित करने के साधन दिए गए हैं, इसके द्वारा व्यक्ति को अपने चरित्र के निर्माण का अधिकार दिया गया हैं, जोकि इच्छानुसार ढाला जा सकता हैं। और इसे यह शक्ति भी दी गई हैं कि यह यह तय करें कि मस्तिष्क में किस तरह के विचार प्रबल होंगे।
7. इसे अपने हर विचार को ग्रहण करने, Record करने और याद करने के एक अदभुदत फाइलइंग सिस्टम (filing
system) दिया गया हैं जिसे स्मरण शक्ति कहा जाता हैं। यह अदभुद तंत्र अपने आप सम्बन्ध विचारों
को इस तरह से वर्गीकृत कर देता हैं कि किसी विशिष्ट विचार को याद करने से उससे जुड़े विचार अपने आप याद आ जातें हैं।
8. इसे भावनाओं की शक्ति दी गई हैं। जिसके द्वारा यह शरीर को इच्छित कर्म के लिए प्रेरित का सकता हैं।
9. इसे गोपनीय रूप से और ख़ामोशी से कार्य करने की शक्ति दी गई हैं जिससे सभी परिस्थितियों में विचार की गोपनीयता सुनिश्चित होती हैं।
10. इसके पास सभी विषयों पर ज्ञान प्राप्त करने, संगठित करने, संगृहीत करने और व्यक्त करने की असीमित क्षमता होती हैं, चाहे यह ज्ञान भोतिकी का हो या रहस्यवाद का, बाह्यः जगत का हो या आन्तरिक जगत का।
11. इसके पास शारीरिक सेहत को अच्छा बनायें रखने की शक्ति भी हैं और स्पष्ठ रूप से यह सभी
बीमारियों के उपचार का एकमात्र स्त्रोत भी हैं बाकी सभी स्त्रोत तो सिर्फ योगदान देते हैं यह तो शरीर को संतुलित रखने के लिए मरम्मत-तंत्र भी चलाता हैं, जो स्वचालित हैं।
12. इसमें रसायनों का अद्भुद स्वचालित तंत्र भी होता हैं जो शरीर के रखरखाव और मरम्मत के
लिए आहार को आवश्यक तत्वों में बदलता हैं।
13. यह हर्दय को अपने आप चलाता हैं, जिसके द्वारा यह रक्त के जरिएं भोजन को शरीर के हर अंग तह
पहुचाता हैं और अवशिष्ट सामग्री तथा मृत कोशिकाओं को शरीर से बाहर निकलता हैं।
14. इसके पास आत्म-अनुशासन की शक्ति हैं, जिसके द्वारा यह किसी भी अच्छी आदत को
ढाल लेता हैं और तब तक कायम रख सकता हैं, जब तक की आदत स्वचलित नहीं हो जाती।
15. यहाँ हम प्रार्थना द्वारा असीम बुद्दिमता से सम्प्रेषण कर सकते हैं इसको प्रक्रिया बहुत आसान हैं इसके लिए आस्था के साथ अवचेतन मस्तिष्क के प्रयोग की जरुरत होती हैं।
16. यह भौतिक जगत के हर विचार, हर औजार, हर मशीन और हर यन्त्र के अविष्कार का एकमात्र जनक हैं।
17. यह सुख और दुःख का एक मात्र स्त्रोत हैं यह गरीबी और अमीरी का स्त्रोत हैं इन दोनों विरोधी विचारों में से जिसकी शक्ति भी प्रबल होती हैं यह उसे अभिव्यक्ति करने में अपनी उर्जा लगाता हैं।
18. यह समस्त मानवीय संबंधों और समस्त मानवीय व्यवहारों का स्त्रोत हैं इसी से मित्रता और शत्रुता होती हैं, जो इस बात पर निर्भर करता हैं कि इसे किस तरह के निर्देश दियें गए हैं।
19. इसकें पास सभी बाह्य परिस्थितियों और स्थितियों का विरोध करने तथा उनसे अपनी रक्षा करने की शक्ति हैं, हालंकि यह हमेशा उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकता।
20. तर्क के भीतर इसकी कोई सीमा नहीं हैं, इसकी सीमायें वही हैं, जिन्हें व्यक्ति आस्था के आभाव के कारण स्वीकार करता हैं, यह सच हैं मस्तिष्क जो सोच सकता हैं और जिसमे विश्वास कर सकता हैं, उसे वह हासिल भी कर सकता हैं। मस्तिष्क कितना अद्भुद और शक्तिशाली हैं मस्तिष्क की इतनी आश्चर्यजनक शक्ति के बावजूद की कोशिश ही नहीं करते हैं यही वजय हैं कि वे डरों और मुश्किलों से भयभीत होकर जीवन जीते हैं, उचित दृष्टिकोण, उपयुक्त मन:स्थिति और सकारात्मक सोच के साथ सही दिशा में कार्य करने वाले व्यक्ति अपने जीवन में सफलता के नयें आयाम स्थापित करते हैं।