28 सित॰ 2016

कैसे मेडीटेशन करें

By: Successlocator On: सितंबर 28, 2016
  • Share The Gag
  • कैसे मेडीटेशन करें

    ध्यान या मेडिटेशन (Meditation) का लक्ष्य एकाग्रता और मन की शान्ति को प्राप्त करना है, और इस प्रकार अंततः इसका उद्देश्य आत्म-चेतना और आंतरिक शांति के एक ऊँचे स्तर पर चढ़ना है। यह जानकारी आपके लिए कुछ आश्चर्यजनक होगी कि ध्यान आप कहीं भी और किसी भी समय कर सकते हैं, अपने आपको शांति तथा सौम्यता की ओर पहुंचा सकते हैं, इस दौरान इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप के आसपास क्या हो रहा है। यह लेख ध्यान की मूल बातों से परिचय कराते हुए ज्ञान और सुख की ओर यात्रा शुरू करने में आपको सक्षम बनाएगा।

    ध्यान के लिए तैयारी
    1   एक शांत वातावरण का चुनाव कीजिए : ध्यान का अभ्यास किसी ऐसे परिवेश में करना चाहिए जो शोर-शराबे रहित और शांतिदायी हो। यह विशेष रूप से आपको अपने लक्ष्यों पर केंद्रित करने में समर्थ बनाएगा और आपके मन को भटकाने वाली बाहरी चीजों की बौछार से बचायेगा। एक ऐसा स्थान तलाश करने की कोशिश कीजिए जहां ध्यान के क्षणों में आपको कोई बाहरी बाधा नहीं पहुँचे – भले ही यह पांच मिनट तक चले या पच्चीस मिनट। जरूरी नहीं कि यह स्थान बहुत बड़ा हो – चहलकदमी की जगह का या यहाँ तक कि दफ्तर का भी, अगर उसमें एकांत का अवसर हो, तो ध्यान के लिए उपयोग किया जा सकता है।

    • जो लोग ध्यान करने में अभी बिल्कुल नए हैं, उनके लिए किसी भी बाहरी भटकाव से बचना विशेष जरूरी है। टीवी, फोन या शोर-शराबा करने वाले दूसरे उपकरणों को बंद कर दीजिए। यदि संगीत बजाना हो, तो शांत, आवृति वाली कोमल धुनों का चयन कीजिए जो आपकी एकाग्रता को न तोड़ें। दूसरा उपाय यह है, कि पानी के एक छोटे फव्वारे को चालू कर लें - बहते पानी की संगीतमय ध्वनि अत्यंत शांतिदायी हो सकती है।
    • यह जान लीजिए कि ध्यान की जगह पूरी तरह निःशब्द न हो, इसलिए earplugs की कोई ज़रूरत नहीं है। घास काटने की मशीन के चलने या बाहर कुत्ते के भौंकने की आवाजें प्रभावी ध्यान में रुकावट नहीं बनेंगी। इसके विपरीत, इन आवाजों को अपने विचारों पर हावी न होने देना और इनकी ओर से सजग रहना एक सफल ध्यान का महत्वपूर्ण लक्षण है।
    • बहुत से लोगों के लिए खुले स्थानों पर ध्यान करना कारगर होता है। अगर आप एक भीड़-भाड़ वाली सड़क या शोर-शराबा करने वाली चीजों के नजदीक न बैठें हों, तो किसी पेड़ के नीचे या बगीचे के अपने पसंदीदा कोने में हरी-भरी घास पर बैठकर भी शांति पा सकते हैं।

    2   आरामदेह कपड़े पहनिए : ध्यान के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है, मन को शांत करना और बाहरी कारकों को रोकना। अपने टाइट और बंदिश डालने वाले कपड़ों की वजह से यदि शारीरिक रूप से आप असहज महसूस कर रहे हैं, तो यह बड़ा मुश्किल हो सकता है। ध्यान के अभ्यास के दौरान ढीले कपड़े पहनिये और अपने जूते को उतारना मत भूलिए।

    • अगर एक ठंडी जगह पर ध्यान करना है, तो स्वेटर या कार्डिगन जरूर पहनें। ऐसा न करने पर ठंड की अनुभूति आपके विचार-प्रवाह को भंग कर देगी और आप अपने अभ्यास को अल्प समय में ही रोक देने पर मजबूर हो जाएंगे।
    • अगर कार्यालय में हैं, या किसी ऐसी जगह पर जहां कपड़े बदलना आसान हो, तो अपने को अधिक से अधिक सहज और आराम से रखने में कोई कसर मत छोड़िये। जूते और जैकेट उतार दीजिए, शर्ट या ब्लाउज के कॉलर को खुला छोड़ दीजिए और बेल्ट को भी उतार दीजिए।

    3   निर्धारित कीजिए कि कितनी देर तक ध्यान करना है : आरंभ करने से पहले यह तय करना चाहिए कि आपको कितनी देर ध्यान करना है। कई अनुभवी साधक एक दिन में दो बार बीस मिनट के सत्र पर जोर देते हैं, हालाँकि नौसिखिए के तौर पर आप दिन में एक बार पांच मिनट के ध्यान से शुरुआत कर सकते हैं।

    • आपको हर दिन एक ही समय में ध्यान करने का भी प्रयास करना चाहिए – चाहे वह आपकी सुबह के शुरुआती 15 मिनट हों, या लंच के समय के पांच मिनट। समय जो भी चुनें, ध्यान को अपनी दैनिक दिनचर्या का अटूट अंग बनाने का प्रयास करें।
    • एक निश्चित समय-सीमा तय कर लेने के बाद उस पर अड़े रहिये। ‘नहीं हो पा रहा है’ - ऐसे किसी भी नकारात्मक आभास के कारण इसे बिल्कुल मत छोड़िये - ध्यान में अभ्यास और सफलता हासिल करने में थोड़ा समय लगेगा। इस समय सबसे महत्वपूर्ण यह है, कि कोशिश जारी रखी जाए।
    • आप समय पर जरूर निगाह रखना चाहेंगे, फिर भी बार-बार घड़ी देखना आपको कोई ख़ास फायदा नहीं पहुंचाएगा। अभ्यास ख़त्म होने पर अपने आपको सजग करने के लिए एक मधुर अलार्म लगाने के बारे में सोचिये, अन्यथा अपने अभ्यास के समापन को एक निश्चित घटना से जोड़ दीजिए – जैसे अपने साथी के बिस्तर से उठने, या सूरज की किरणों के दीवार पर एक ख़ास स्थान से टकराना अदि।

    4   स्ट्रेचिंग कीजिए : ध्यान में एक निश्चित अवधि के लिए एक ही स्थान पर बैठे रहना पड़ता है, अतः इसे शुरू करने से पहले शरीर में किसी भी तनाव या जकड़न को कम कर लेना जरूरी है। एक-दो मिनट अंगों को लचकाने और फैलाने वाले व्यायाम (Stretching) कर लेना शरीर को ढीला करता है, देह और मन दोनों को ध्यान के लिए उपयुक्त रूप से तैयार करने में मदद कर सकता है। यह आपके मन को ध्यान की एकाग्रता से हटकर शरीर के किसी दुखते बिंदु पर जाने से भी रोकेगा।

    • यदि आप कंप्यूटर के सामने बैठे हों, तो ख़ास तौर पर गर्दन और कंधों की स्ट्रेचिंग कीजिए, और पीठ के निचले हिस्से को मत भूलिए। पद्मासन में ध्यान करने के लिए पैरों को, विशेषतः जांघ के भीतरी भाग को फैलाना और खींच देना सहायक हो सकता है।

    5  एक आरामदेह मुद्रा में बैठिये : जैसा कि ऊपर कहा गया है, ध्यान के वक्त शारीरिक रूप से आरामदेह स्थिति में होना बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए अपने लिए सबसे अच्छी मुद्रा को ढूँढ़ लेना अति आवश्यक है। परंपरागत रूप से, जमीन पर एक दरी या आसन पर, पद्मासन या अर्ध पद्मासन की मुद्रा में बैठकर ध्यान का अभ्यास किया जाता है। पैर, कमर, और पीठ के निचले भाग जिन लोगों के बहुत लचीले नहीं होंगे, उनके लिए पद्मासन की मुद्रा पीठ के निचले भाग में जबरदस्त खिंचाव पैदा करेगी, और धड़ को रीढ़ की हड्डी के साथ संतुलित रखने से रोकेगी। एक ऐसी मुद्रा चुनें जो आपको लंबे समय तक सीधे और संतुलित बैठे रहने में सहायक हो।

    • लेकिन, आप एक दरी, कुर्सी, या ध्यान की बेंच पर पैरों को बिना एक-दूसरे पर चढ़ाये भी बैठ सकते हैं। आपके कूल्हे (pelvis) आगे की ओर पर्याप्त रूप से झुके हों, जिससे कि मेरूदण्ड नितम्ब की दोनों हड्डियों पर संतुलित खड़ा रहे। अपने कूल्हे को सटीक मुद्रा में झुकाने के लिए एक मोटी गद्दी के आगे के किनारे पर बैठ जाइए, या कुर्सी के पिछले पायों के नीचे 3-4 इंच मोटी चीज रख दीजिए। ध्यान के लिए बनाई जाने वाली बेंच आमतौर पर थोड़ी झुकी हुई सीट वाली होती हैं। अगर आपकी कुर्सी वैसी विशिष्ट नहीं है, तो इसे झुकाने के लिए इसके नीचे आधे से एक इंच तक की मोटाई वाली कोई चीज रख दीजिए।
    • सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप आराम से हो, शिथिल हों, और आपका धड़ संतुलित हो जिससे कमर से ऊपर का सारा भार आपकी धड़ पर पड़े।
    • अपने कूल्हों को आगे की ओर झुकाइये। फिर, रीढ़ में हड्डियों को सीधा कीजिए जिससे वे एक-दूसरे के ऊपर संतुलित रूप से कायम रहें और धड़,गर्दन तथा सिर का पूरा वजन आराम से लिए रह सकें, ताकि अपने को संतुलित करने में आपको मामूली प्रयत्न करना पड़े। देह में जहां कहीं भी तनाव महसूस हो, उस क्षेत्र को ढीला छोड़ दीजिए। अगर अपनी मुद्रा को तोड़े बिना इसे ढीला करने में आप निहायत असमर्थ हों तो अपने मुद्रा में किसी असंतुलन की जाँच कीजिए और अपने धड़ को फिर से सामंजस्य में लाने की कोशिश कीजिए, जिससे शरीर का वह क्षेत्र आराम पा सके।
    • ध्यान की पारंपरिक मुद्रा में दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर करके दायी हथेली को बायीं पर रखकर इन्हें गोद में रख लिया जाता है। हालांकि, चाहे तो आप हाथों को आराम से अपने घुटनों पर भी रख सकते हैं, या इन्हें दोनों बगलों से लटकता हुआ भी छोड़ सकते हैं।

    6   आँखें बंद कर लीजिए : आँखें बंद करके या इन्हें खोलकर भी ध्यान किया जा सकता है, लेकिन एक नौसिखिए के रूप में सबसे अच्छा तो यही होगा कि आँखें बंद करके ध्यान का अभ्यास किया जाए। यह तमाम बाहरी दृश्यों से, उद्दीपनों से, आपका ध्यान हटा देगा और जब आप अपने चित को शांत करने में पूरी तरह से एकाग्र हो रहे होंगे, उस समय आपको विचलित होने से रोकेगा।

    • एकबार ध्यान में अभ्यस्त हो जाने के बाद, आप अपनी आँखें खुली रख कर भी अभ्यास कर सकते हैं। यह उन मामलों में बड़ा सहायक हो सकता है, अगर आप उनींदा महसूस कर रहे हों, या आँखें बंद करके एकाग्रचित होने में आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ रही हो, या फिर मन में परेशान करने वाले चित्र दिखाई पड़ रहे हों (एक छोटे अनुपात में लोगों के साथ ऐसा अक्सर होता है)।[१]
    • अगर अपनी आँखें बंद किये हुए हैं, तो उन्हें "कोमल" – रखना चहिये, अर्थात किसी ख़ास चीज पर उन्हें केन्द्रित नहीं रखना है। हालांकि, आपको एक ट्रान्स जैसी स्थिति में भी नहीं जाना है। आपका लक्ष्य तो आराम से लेकिन चोकन्ना होकर रहना है।

    ध्यान की प्रचलित शैलियाँ

    1   श्वसन (Breathing) का अनुसरण कीजिए : ध्यान की तकनीकों में सबसे बुनियादी और सार्वभौमिक, श्वसन-ध्यान से अपने अभ्यास की शुरुआत करना सबसे अच्छा है। अपनी नाभि के ऊपर किसी बिंदु को चुन लीजिए और मन को उसी स्थान पर टिकाइए। सांस को अंदर और बाहर की ओर खींचने और छोड़ने के दौरान पेट के उठने और गिरने के क्रम पर ध्यान दीजिए। अपनी सांस लेने के पैटर्न को बदलने का कोई सचेत प्रयास मत कीजिए, सिर्फ सामान्य ढंग से सांस लेते रहिये।

    • सिर्फ और सिर्फ अपनी साँस पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कीजिए। अपनी साँस के बारे में मत सोचिये या इसपर कोई निर्णय देने मत जाइए (उदाहरण के लिए, यह सांस पिछली सांस से छोटी थी), सिर्फ इसे संज्ञान में रखने और इस ओर से सजग रहने का प्रयास कीजिए।[१]
    • कुछ मनोचित्र (mental image) जो आपकी मदद कर सकते हैं, वे हैं: आपकी नाभि के ऊपर किसी बिंदु पर रखा एक सिक्का जो सांस के फूलने और पिचकने के साथ उठता गिरता है; समंदर में लहरों पर तैरते एक चिन्ह की कल्पना जो सांस के आरोह-अवरोह के साथ लहरों पर उठ-गिर रहा हो, या अपने पेट पर कमल के एक फूल की कल्पना जिसकी पंखुड़ियाँ हर सांस के साथ फहरा रही हैं।
    • आपका मन भटकने लगे तो चिंता मत कीजिए - आप अभी शुरुआत कर रहे हैं, और हर चीज की तरह ध्यान भी अभ्यास की मांग करता है। अपनी सांस पर दोबारा ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास कीजिए और अन्य कुछ भी सोचने की कोशिश मत कीजिए। इधर-उधर की बड़बड़ को भुला दीजिए और अपने दिमाग को स्वच्छ और पारदर्शी रखने का प्रयास कीजिए।

    2   मन को साफ़ करें :

    • ध्यान करने के लिए, आपको एक ही चीज पर ज्यादा से ज्यादा एकाग्रचित होना है।
    • अगर आप नौसिखिए हैं तो एक ही चीज पर ध्यान केंद्रित करना आपकी मदद करेगा और रोजाना ध्यान करने वाले की तरह पूरी तरह से दिमाग को साफ करने में मदद करेगा।

    3  एक मंत्र दोहराइये : ध्यान का एक दूसरा रूप मंत्र-ध्यान है, जिसमें एक मंत्र (एक ध्वनि, शब्द या वाक्य) को बार-बार दोहराना होता है, जब तक कि आप मन को नीरव करके एक गहन ध्यानावस्था में न पहुँच जाएँ। याद रखने लायक आप जो भी चुनेंगे वही मन्त्र है।

    • शुरुआत के लिए कुछ अच्छे मन्त्रों में एक, शांति, कोमल, विश्राम, और मौन जैसे शब्द शामिल हैं। यदि आप अधिक पारंपरिक मंत्र का उपयोग करना चाहते हैं, तो "ओम" शब्द को ले सकते हैं, जो सर्वव्यापी चेतना का प्रतीक है, या फिर वाक्यांश "सत्, चित, आनंद" को, जिसका अर्थ "अस्तित्व, चेतना, परमानंद" है।
    • संस्कृत में, मंत्र शब्द का अर्थ "मन का उपकरण" है। मंत्र वह साधन है जो मन में कंपन पैदा करता है और आपको सोच-प्रवाह से अलग करके चेतना के गहन प्रदेश में ले जाता है।[३]
    • चुपचाप मन्त्र को बार-बार दोहराते जाइए, और शब्द या वाक्य को पूरे मन-मस्तिष्क से गूँजने दीजिए। मन भटकने लगे तो परेशान मत होइए, सिर्फ अपने ध्यान को पुनः एकाग्र कीजिए और शब्द को बार-बार दोहराने में जुट जाइए।[४]
    • जब आप अनुभव और चेतना के गहरे धरातल की ओर प्रवेश कर जाएँ तो फिर मंत्र को दोहराना अनावश्यक लग सकता है।

    4  एक साधारण सी दृश्यमान वस्तु पर ध्यान केन्द्रित कीजिए: मंत्र का उपयोग करने की तरह ही, अपने मन को भरने के लिए एक मामूली सी दृश्यमान वस्तु का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, इसके जरिये गहरी चेतना के स्तर तक पहुंच सकते हैं। यह खुली आंखों से ध्यान करने का ही एक रूप है, जो कुछ लोगों को आसान लग सकता है, क्योंकि इसमें दृष्टि को टिकाने के लिए एक बिंदु सामने रहता है।

    • यह दृश्यमान वस्तु आप जो चाहें वही हो सकती है, हालाँकि कई लोगों को जलती मोमबत्ती की लौ विशेष रूप से सुखद जान पड़ती है। अन्य संभावित वस्तुओं में क्रिस्टल, फूल, और बुद्ध की तरह दिव्य मूर्तियां या तस्वीरें हो सकती हैं।
    • वस्तु को अपनी आँखों की ऊँचाई पर रखें, ताकि इसे देखने में अपने सिर और गर्दन पर जोर न डाला जाए। इस पर टकटकी लगाइए, जब तक कि परिधीय-दृष्टि (peripheral vision) धुंधली न पड़ जाए और आपकी पूरी दृष्टि को वह वस्तु एकाग्र न कर ले।
    • वस्तु पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित हो जाने के बाद, जब दूसरा कोई उद्दीपन आपके मस्तिष्क तक न पहुंचे, तो आप अपार शांति-भाव महसूस करेंगे।

    5  अन्तःदर्शन का अभ्यास: अन्तःदर्शन ध्यान की ही एक अन्य लोकप्रिय तकनीक है, जिसमें मन के भीतर एक शांतिपूर्ण क्षेत्र का निर्माण करके उसका अन्वेषण किया जाता है, जब तक कि आप पूर्ण शांति की एक अवस्था मंभ न पहुँच जाएँ। मन में निर्मित यह स्थान आपकी पसंद के अनुरूप कुछ भी हो सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से कोई वास्तविक स्थान न होकर आपके लिए बिल्कुल अनोखा और व्यक्तिगत होना चाहिए।

    • दर्शन किया जाने वाला आपका यह काल्पनिक स्थान थोड़ा गर्म, रेतीला समुद्र-तट, फूल-भरे घास का मैदान, एक नीरव वन यहाँ तक कि जलते अलाव वाला एक आरामदायक कमरा भी हो सकता है। आप जो भी स्थान चुनें, उसे अपना अभयारण्य बनने दीजिए।
    • एक बार जब आप अपने अभयारण्य में प्रवेश कर चुके हैं, तो उसमें विचरण कीजिए। अपने आसपास की चीजों की "कल्पना" जकरने की जरूरत नहीं है, वे वहाँ पहले से ही हैं। उन्हें अपने मन में सबसे आगे आने दीजिए।
    • अपने भीतर के उस स्थान के दृश्यों, आवाजों और खुशबू को महसूस कीजिए – चेहरे पर ताजी हवा का स्पर्श, या शरीर में गरमाहट लाती उष्मा को महसूस कीजिए। इस परिवेश का आनंद लीजिए, इसे स्वाभाविक रूप से विस्तृत, और विस्तृत, और अधिक ठोस होने दीजिए। जब आप प्रस्थान के लिए तैयार हों तो कुछ गहरी साँसें लीजिए, और फिर आँखें खोल दीजिए।
    • ध्यान रहे कि अगली बार अन्तःदर्शन के ध्यान के पलों में आप वापस इस जगह पर आ सकते हैं, या एक नई जगह की भी कल्पना कर सकते हैं। आप जो भी स्थान बनायेंगे वह आपके लिए अनोखा और निजी व्यक्तित्व का प्रतिबिंब होगा।

    6   आत्म-काया निरीक्षण कीजिए : आत्म काया निरीक्षण में बारी-बारी से अपनी देह के प्रत्येक अंग पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है, और उसे सजग रूप से ढीला छोड़ दिया जाता है। ध्यान की यह एक आसान तकनीक है, जिसमें आप शरीर को आराम देते-देते मन को विश्राम की अवस्था में ले जाते है।

    • आँखें बंद करके अपने शरीर पर एक आरम्भ बिंदु चुन लीजिए, आमतौर पर यह पाँव का अंगूठा होता है। अपने पैर की उंगलियों में जो भी संवेदना आपको महसूस हो रही हो उस पर ध्यान केन्द्रित कीजिए। अपनी देह में किसी भी सिकुड़ी हुई मांसपेशी को ढीला करने और इसके तनाव या जकड़न को दूर करने का एक सचेत प्रयास कर सकते हैं। पैर की उंगलियों के पूरी तरह से आराम की अवस्था में आ जाने के बाद अपने पैरों की और बढ़िये और विश्राम की उसी तकनीक को दोहराइए।
    • अपने बाकी शरीर की ओर बढ़िये, पाँव से होकर पिंडली, घुटने, जांघों, कूल्हों, कमर, पेट, छाती, पीठ, कंधे, हाथ, उंगलियों, गर्दन, चेहरा, कान और अपने सिर के ऊपरी भाग तक जाइए। इसमें जितना भी समय लगे, दीजिए।
    • शरीर के प्रत्येक अंग को विश्राम में ले जाने के बाद, अब समग्र शरीर पर ध्यान केंद्रित कीजिए और शांति और आराम की सुखद अनुभूति का आनंद लीजिए। ध्यान के अभ्यास से बाहर आने से पहले कुछ मिनटों के लिए अपनी साँसों पर मन को एकाग्रचित कीजिए।

    7  ह्रदय-चक्र ध्यान को आजमाइए : ह्रदय-चक्र शरीर के भीतर स्थित सात चक्रों या ऊर्जा-केन्द्रों से एक है। ह्रदय-चक्र छाती के बीचोंबीच स्थित है और प्रेम, करुणा, शांति और सदभाव से जुड़ा हुआ है। ह्रदय-चक्र ध्यान में इन भावनाओं के संसर्ग में आकर उन्हें संसार के लिए प्रवाहित किया जाता है।

    • इसे शुरू करने के लिए, अपनी आँखें बंद कर लीजिए और हाथों की हथेलियों को एक-दूसरे से रगड़ कर गर्मी और ऊर्जा पैदा कीजिए। फिर, अपने दाहिने हाथ को छाती के बीच, ह्रदय-चक्र के ऊपर रखिये, और बाएं हाथ को उसके ऊपर रख लीजिए।
    • एक गहरी सांस लें और जैसे-जैसे साँस छोड़ें, "याम" शब्द का उच्चारण करें, जो कि ह्रदय-चक्र के कम्पन से जुड़ा हुआ शब्द है। इसे करते हुए, अपने सीने और हथेलियों से विकिरण की शक्ल में एक चमकती हुई हरे रंग की ऊर्जा की कल्पना कीजिए।
    • हरे रंग की यह ऊर्जा है; प्रेम, जीवन और अन्य जो भी सकारात्मक भावनायें उस पल आप महसूस कर रहे हों सब। जब आप तैयार हो जाएँ, सीने से अपने हाथ हटा लीजिए और संसार में अपने आत्मीय-परिजनों तक हथेलियों से ऊर्जा प्रसारित होने दीजिए।
    • अंदर से अपने शरीर को महसूस कीजिए। क्या आप अपनी देह में उर्जा के एक फील्ड को महसूस कर रहे हैं, ख़ासकर बाहें, और पैर में? नहीं महसूस कर रहे हैं तो कोई बात नहीं। लेकिन सोचिये; हम शरीर के विभिन्न अंगों को कैसे गतिशील रखने में सक्षम हैं? यह हमारे शरीर में बहता ऊर्जा क्षेत्र ही है। ऊर्जा-फील्ड पर ध्यान केंद्रित करना न केवल आपको वर्तमान में रखेगा बल्कि यह आपको अपने स्वत्व और अपने भीतर जीवन के प्रवाह से भी जुड़ने में मदद करेगा।

    8   सचल ध्यान को आजमाइए : ध्यान का एक वैकल्पिक रूप चलते हुए ध्यान करना है जिसमें पैरों की गति का अनुसरण करते हुए शरीर और पृथ्वी के संयोग के प्रति सचेतहोना होता है। यदि आपकी योजना लंबे समय के लिए बैठेकर ध्यान करने की है, तो उसमें सचल ध्यान को शामिल कर लेने का ख़याल अच्छा रहेगा।

    • सचल ध्यान का अभ्यास करने के लिए एक शांत स्थान चुनें, जहाँ भटकाव के कम से कम साधन हों। इस स्थान का बहुत बड़ा होना जरूरी नहीं, लेकिन मुड़ने से पहले एक सीध में कम से कम सात कदम चल पाने भर की जगह होनी चाहिए। संभव हो तो जूते उतार दें।
    • आगे की ओर एकटक देखती आपकी आँखों के साथ आपका सिर सीध में रहे और हाथ आपके आगे की ओर एज-दूसरे से बंधे हों। धीमी लेकिन संतुलित चाल से दाहिने पैर को एक कदम आगे बढ़ाइए। पैर में किसी संवेदना या अहसास को भूल जाइए और सिर्फ गति पर अपना ध्यान केन्द्रित कीजिए। एक कदम चलने के बाद एक पल रुकिए। एक समय में सिर्फ एक ही कदम उठाना चाहिए।
    • अपने चलने के स्थान के अंतिम छोर पर पहुंचकर, दोनों क़दमों को रोक दीजिए। फिर दायें पैर पर टिककर मुड़ जाइए, अब वैसे ही धीमे लेकिन सधे हुए क़दमों से विपरीत दिशा में चलना जारी रखिये।
    • सचल ध्यान का अभ्यास करते समय पैरों की गति पर ध्यान केंद्रित कीजिए, ठीक उसी तरह जैसे श्वसन ध्यान में साँसों के चढ़ाव-उतार पर केन्द्रित किया जाता है। अपने दिमाग को साफ करने की कोशिश कीजिए और पैर और नीचे पृथ्वी के बीच के संयोग पर एकाग्रचित होने का प्रयास कीजिए।

    रोजमर्रा के जीवन में ध्यान
    1  रोजमर्रा की जिंदगी में मानसिक पूर्णता का अभ्यास कीजिए : अभ्यास के परिभाषित सत्रों तक ही ध्यान को सीमित नहीं रखना चाहिए, रोजमर्रा के जीवन में पूरे दिन भी आप ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं।

    • उदाहरण के लिए, तनाव के क्षणों में, कुछ सेकंड तक अपने श्वास पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने और किसी भी नकारात्मक विचार या भावना से अपने दिमाग को मुक्त करने की कोशिश कीजिए।
    • मानसिक परिपूर्णता का अभ्यास आप खाना खाते समय भोजन के प्रति और इसे खाने से होने वाली संवेदना के अनुभव से सचेत होकर भी कर सकते हैं।
    • इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दैनिक जीवन में कौन से कार्य कर रहे हैं, कंप्यूटर के आगे बैठे हैं या फर्श पर झाडू लगा रहे हैं, अपने शरीर की गतिविधियों के प्रति अधिक जागरूक होने की कोशिश कीजिए और यह कि वर्तमान में आप कैसा महसूस कर रहे हैं। यह मानसिक पूर्णता के साथ जीना है। 

    2  स्वस्थ जीवन शैली अपनायें : एक स्वस्थ जीवनशैली अधिक प्रभावी और लाभप्रद ध्यान में योगदान कर सकती है, इसलिए स्वस्थ खाने, व्यायाम और अच्छी और पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करें। ध्यान से पहले बहुत ज्यादा टीवी देखने, शराब पीने या धूम्रपान से बचना चाहिए, क्योंकि ये गतिविधियाँ दिमाग को सुन्न करके आवश्यक एकाग्रता के स्तर को प्राप्त करने से आपको रोकती हैं।
    3   आध्यात्मिक ग्रन्थ पढ़िए: हालांकि सबके मामले में यह लागू नहीं होता, लेकिन कुछ लोगों को ध्यान की समझ, अंदरूनी शांति और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा देने में आध्यात्मिक पुस्तकें और पवित्र ग्रन्थ मदद कर सकते हैं।

    • शुरुआत करने के लिए जो अच्छी किताबें हो सकती हैं उनमें ये नाम लिए जा सकते हैं; दलाई लामा की A Profound Mind: Cultivating Wisdom in Everyday Life, जेन रॉबर्ट्स की The Nature of Personal Reality, एश्कार्ट टॉले (Eckhart tolle) की "A New Earth" और डॉनल्ड ऑल्टमैन की One-Minute Mindfulness।
    • अगर आप चाहें तो अपने अनुसार किसी भी आध्यात्मिक या पवित्र ग्रंथ से एक मूल्यवान अंश ले सकते हैं, और अगले ध्यान-सत्र के दौरान एकाग्रचित होकर उसका मनन कर सकते हैं।

    4   ध्यान-प्रशिक्षण की कक्षा में शामिल होइये : घर में ध्यान कैसे शुरू किया जाए, इस बारे में आप निश्चित नहीं हो पा रहे हैं तो एक अनुभवी शिक्षक की निगरानी में किसी निर्देशित कक्षा में प्रशिक्षण लेना अच्छा रहेगा।

    • ध्यान की कक्षाओं में प्रायः सभी प्रकार का ध्यान होता है, लेकिन आप एक आध्यात्मिक स्थल पर भी जा सकते हैं, जहां ध्यान की सभी विधियां दिखाई पड़ेंगी और आप यह जान पायेंगे कि आपके लिए सबसे उपयुक्त कौन सा रहेगा।

    5   प्रतिदिन एक निश्चित समय में ध्यान का अभ्यास करने की कोशिश कीजिए: इससे जल्द ही ध्यान आपकी दिनचर्या का अंग बन जाएगा, और आप अधिक गहराई और व्यापकता में इसके फायदों को महसूस कर पायेंगे।

    • इससे पहले कि आपका दिलो-दिमाग दिन के तनाव और चिंताओं में उलझने लगे, सुबह-सुबह ध्यान कर लेना ही उपुक्त समय होता है।
    • सीधे भोजन से उठकर ध्यान में बैठ जाना कोई अच्छा ख़याल नहीं है, इसमें आप असहज महसूस कर सकते हैं और यह एकाग्रता में हस्तक्षेप करेगा।

    6  यह जान लीजिए कि ध्यान एक यात्रा है : ध्यान का उद्देश्य मन को शांत करना, अंदरूनी शान्ति स्थापित करना, और इस तरह से एक उच्च आध्यात्मिक आयाम पर जाना है, जिसे अक्सर सरल रूप में होना कहते हैं।

    • हालांकि, इस बात का आभास होना चाहिए, कि योगियों और भिक्षुओं द्वारा अनुभव की जाने वाली चेतना और आत्मज्ञान के ऊँचे स्तर को प्राप्त करने के लिए वर्षों अभ्यास की जरूरत होती है।
    • ध्यान एक यात्रा है, एक पहाड़ पर चढ़ने जैसा, जहां आत्मज्ञान के मार्ग में प्रत्येक कदम आपको शिखर के करीब ले जाता है।
    • आरम्भ के चरणों में आपको ध्यान की गुणवत्ता के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। अपने अभ्यास के अंत में जैसे-जैसे आप कोमल, सुखप्रद और अधिक शांति का अनुभव करते जायेंगे तो आप जानेंगे कि आपका ध्यान सफल रहा था।

    सलाह

    • ध्यान के दौरान समय का ज्ञान खो देना आसान है। समय की चिंता ध्यान को भंग करने वाली भी हो सकती है। कुछ लोगों का मानना है कि एक टाइमर लगा लेना और ध्यान की अवधि को उसी पर छोड़ देना इस चिंता से मुक्तिदायक होता है। एक मधुर टाइमर चुनें। कलह पूर्ण शोर से भरा अलार्म ध्यान भंग कर सकता है।
    • जब ध्यान नहीं कर रहे हों, तो अपनी मनोदशा और विचारों का थोड़ा जागरूक होकर निरीक्षण करें। आप पायेंगे कि जिन दिनों में आपने ध्यान-साधना नहीं की थी उनकी अपेक्षा ध्यान के दिनों में आपने अधिक शांति, सुख और तेज को महसूस किया था।
    • आपके लिए जो सबसे अच्छा हो वही कीजिए। कुछ लोगों के लिए जो कारगर होता है, उसमें ऐसी तकनीकें हो सकती हैं जो आपके लिए बिल्कुल काम न कर पाए। इससे निराश न हों। विश्राम की बात हमेशा याद रहे!
    • अपनी अंतरात्मा की आवाज को मन के पिछले दरवाजे से रेंगने की अनुमति न दें। इस पर नज़र रखिये, लेकिन इसके साथ अपने को मत जोड़िये।
    • लम्बे अरसे के लिए ध्यान के अभ्यास ने कई लाभकारी परिणाम दिखाए हैं, और निरंतर अभ्यास तो सर्वोत्तम ही है। इसके फायदों में हैं; मानसिक पूर्णता और चेतना में वृद्धि, तनाव में कमी, शांत और आरामदेह मनोदशा, चित की एकाग्रता और याददाश्त में सुधार, और मस्तिष्क के विभिन्न भागों में ग्रे मैटर (brain cells) में वृद्धि।
    • यदि आप ध्यान करना चाहते हैं, लेकिन थका हुआ, टूटन, या कुछ ऐसा महसूस करते हैं जिससे आप कोशिश करके भी सफल नहीं हुए, तो कुछ आरामदायक कीजिए। थोड़ा टहलना, दौड़ना, फिर स्नान। ये सभी तनाव से राहत देंगे। फिर वापस जाइए, और फिर से ध्यान की कोशिश कीजिए।
    • तत्काल परिणाम की उम्मीद मत कीजिए। ध्यान का उद्देश्य आपको रातोंरात एक सिद्धगुरु या जिन में बदल देना नहीं है। परिणामों से जोड़े बिना, जब सिर्फ ध्यान के लिए ही ध्यान किया जाता है, तो यह सर्वोत्तम परिणाम देता है।
    • सही मुद्रा के कारण फेफड़ों के लिए अधिक जगह होने से सांस लेना आसान हो जाएगा। वास्तव में, आप गौर करेंगे कि, आपकी धड़ की अधिकाँश मांसपेशियाँ कैसे आपके साँस लेने में मदद पहुँचाने के लिए कार्य करती रहती हैं, आपके कूल्हों के आधार से लेकर गर्दन तक की पेशियाँ मुख्य श्वसन मांसपेशी, डायाफ्राम के साथ जुडी होती हैं, वे डायाफ्राम की सहायता में बहुत कम काम करती हैं। आप यह नोटिस कर रहे हैं, तो यह एक अच्छा संकेत है, कि आपने सही मुद्रा स्थापित कर ली है। सही मुद्रा सहज और आरामदायक होती है। आप बस अपने को तैरता हुआ महसूस करेंगे।
    • ध्यान का अभ्यास करने वाले के इसके जरिये एकाग्रता और मानसिक स्वच्छता हासिल कर लेने में कामयाबी से बहुत पहले से ही ध्यान के फायदों का अनुभव किया जा सकता है।
    • एक निशब्द मन के साथ आप क्या करेंगे यह आप पर निर्भर है। कुछ लोगों का मानना है अवचेतन मन के समक्ष एक वांछित परिणाम पेश करने का यही अच्छा समय होता है। दूसरे लोग नीरवता के इस दुर्लभ साम्राज्य में जो कि ध्यान से मिलता है, "आराम" करना पसंद करते हैं। धार्मिक लोगों द्वारा, ध्यान अक्सर अपने ईश्वर से जुड़ने और दृष्टि प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है।
    • यदि चुनिन्दा अवधि तक ध्यान करना आपको मुश्किल लग रहा है, तो इस समय को छोटा कर लीजिए। घुसपैठ करने वाले विचारों के बिना एक या दो मिनट तक का ध्यान तो प्रायः सभी लोग कर सकते हैं। फिर मन:समुद्र की लहरें जब शांत होने लगें तो धीरे-धीरे अपने ध्यान-सत्र को लंबा करते जाइए जब तक की समय की वांछित लंबाई पर न पहुँच जाएँ।
    • अधिकांश लोगों के लिए कम प्रत्यक्ष किये जाने वाले ध्यान के कुछ लाभ इस प्रकार हैं: अधिक आसानी से नींद आना, मनोदशा में परिवर्तन (जो बौद्ध भिक्षुओं की तरह से 1,000 घंटे से अधिक ध्यान कर चुके लोगों में ज्यादा स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है)।
    • नाक से अन्दर की और सांस लेना और मुंह के माध्यम से िसर छोड़ना सांस को नियमित करने में मदद करेगा।


    27 सित॰ 2016

    मार्क्स हि सफलता का पैमाना नहीं, marks hi safalta ka scale nahi. marks hi success ka scale( measure) nahi

    By: Successlocator On: सितंबर 27, 2016
  • Share The Gag
  • मार्क्स हि सफलता का पैमाना नहीं,  marks hi safalta ka scale nahi.


    marks  hi success ka scale( measure) nahi:





    NOte ::-- परीक्षाओ में  अच्छे अंक लाना  हर स्टूडेंट का पहला  प्रयाश होता है, किन्तु जीवन  में सफल ता का एक मात्र पैमाना नहीं है है. कई बार अच्छे अंक  संयोग के परिणामे भी होता है . इसलिए केवल इस्ससे  हि बेहतर कैरिएर कि  गर्णाति नहीं मिल जाती, बल्क्जी यह बड़ी चुनौती  कि वजह  बन जाते है. तब आपसे ज्ञान कि आपेक्षा  उसी अनुपात में कि जाती है.इसके बिपरीत कम अंक लाना कैरिएर का अंत या ढलान नहीं है.


    • दुनिया में ऐशे महापुरुषों कि फेहरिस्त लम्बी है , जिन्हें स्कूल और कॉलेज कि परीक्षाओ में अच्छे अंक नहीं आये ,जबकि वे क्लास कि अच्छे स्टूडेंट रहे  और उनका बाद का कैरिएर भी शानदार रहा .इसके उलट आनेक ऐशे लोग है,जो परीक्षाओ में अछि अंक लाते रहे  किन्तु व्यबहार और ज्ञान के क्षेत्र में असफल रहे. या कम सफल रहे .पहले श्रेणी के बड़े लोगो में जिनका नाम बरी सहजता से लिए जाते है .,, उनमे महात्मा गाँधी और अलबर्ट आइन्स्टीन के नाम लिए जा सकते है .इसलिए क्लास कि परीक्षा में अछे अंक लाने  के साथ साथ  जीवन और कैरिएर के व्य्बहरिक क्षेत्र भी अच्छे अंक पाने कि योग्यता विकशित करनी चाहिए और अगर क्लास कि परीक्षा में अच्छे अंक  नहीं ला सके , तो भी आप बेहतर कैरिएर पा सकते है. अंको के बारे में इन तथ्यों को समझना चाहिए :;;;
    मार्क्स  आना महज एक संयोग भी 

    • दुनिया के महान गनिताझ  में श्री निवास रामानुजन को गणित कि पहली परीक्षा में मात्र 57% अंक मिले थे . दुश्रे बिषय में भी उनको बहुत हि ख़राब अंक मिला . अगर अंको के हिशाब से बात करे तो इनके इतने बड़े गणितज होने का जरा भी असार नहीं थे ., लेकिन वो गणितज हुए .उनकी अंबक तालिका को देख कर  लोग अब ये आश्चर्य करते है कि . कि अंग्रेजी में 200 में ३८, और संस्कृत में 100 में 34 तथा  गणित में 150 में 85 अंक मिले थे. यही हाल गाँधी जी का  था |

     वे तो रामानुजन से भी एक कदम आगे थे 
    वे आपनी 10 कक्षा  कि परीक्षा में इतिहाश में हि फेल हो गए , जबकि  आज कि वास्तविकता  यह है कि शायद हि कोई इतिहाश कि पुस्तक हो, जिसमे गाँधी जी  का नाम न आता हो. उसी तरह महान व्य्व्शायी धीरू भाई अम्बानी  भी दशवी कि परीक्षाओ में गणित में फेल हो गए थे, लेकिन आपने करोवारि दिमाग से  उन्होंने दुनिया को लोहा मनवा लिया .कहने का मतलब यह कि परीक्षाओ में मिलने वाले अंक किसी कि सफलता का वाश्ताविकता पैमाने नहीं हो सकता  और न हि उसकी बौधिक क्षमता का .

    कम अंक निराश का कारन नहीं 


    कम अंक  आने कि बजह से कई छात्र निराश हो जाते है. कई तो आत्महत्या जैसी खतरनाक कदम भी उठा लेते है.बिन ये जाने कि उनकी जीवन में इशी निराशा में हि उनकी जीवन कि सबसे बड़ी सफलता छुपी हुई है . दुनिया के जितने सफल व्यक्ति हुए जिनका ये मानना रहा कि , जो व्यक्ति जितना जल्दी असफलता का स्वाद चखता है वो उतना हि सफल होता है .. अमेरिका के महान रास्ट्रपति abraham लिंकन  का हि उदहारण ले लीजिये . उनकी असफलता कि सूचि अगर देखोगे तो, फेहरिस्त बहुत लम्बी है लेकिन तब भी वे हार नहीं माने.
     और उन्होंने जो चाह वो बनकर हि दम लिए.

    नयी संभावनाओ कि खोज  

    नयी संभावनाओ कि खोज :;;' --- बिलगेट्स  विश्वविदालय  कि आपनी पहली परीक्षा में हि असफल रहे  थे.उन्हें हार वर्ड  यूनिवर्सिटी  से इसलिए निकाल दिया गया कि वह न्युन्ताम स्कोर  पाने में कामयाब नही रहे.फिर जब जीवन कि परीक्षा माइक्रोसॉफ्ट  के को फाउंडर  पाल एलेन  के साथ एक bussinessman के रूप में शुरू किया , तब भी आपने पहले हि प्रयाश में  उन्हें असफलता मिली ,लेकिन उन्होंने हार नही मानी .नयी संभावनाओं कि तलाश कि  और आपने सॉफ्टवेर  आईडिया को बढाया . इसमें अंतत : सफल रहे.

    रुचि के अनुसार कैरिएर ::-


    ब्रूसली ने कहा था कि ज़िन्दगी में अंको का हमरे लिए कोई मायने नहीं . बस आपको आपने पर बिश्वाश और संतुस्ट होना चाहिए. अनेक बिशेसज्ञ  और बारे काम्लोग मानते है कि परीक्षाओं में अंक अछे आये हो या ख़राब , इस पर समय बर्बाद नहीं करे  . इस पर समय बर्वाद कार्नर के बजाय छात्र को  व्यक्तित्व  और  ज्ञान  बढ़ने पर ध्यान केन्द्रित करे . इसके लिए आपने रूचि के  अनुशार  कैरिएर का चुनाव करे  और उनके अनुरूप  स्वम को बिकसित करे , या हामे करना चाहिए...





    सफलता अंक से नहीं , मनोबाल से.
    इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि , सफलता केवल मार्क्स  से नहीं , बल्कि मनोबल से मिलती है. अगर किसी को बहुत अछेव मार्क्स मिले  हो,और उसका मनोबल कम्जूर हो, तो वह कभी सफल नहीं हो सकता है. जबकि कम अंक पाना  छात्र भी ऊँचे मनोबल कि बदौलत जीवन और कैरिएर के क्षेत्र में बड़ी सफलता प्राप्त कर लेता है .इसलिए परीक्षाओ में अच्छे अंक लाने का प्रयास करना  चाहिए , लेकिन इसे कैरिएर कि गारंटी नही  और सफलता का निर्णायक पैमाना नही मानना चाहिए .





    वाही काम करे , जिससे आपको लगाओ हो या प्यार हो.
    • स्टीव जॉब्स एप्पल कंपनी का संस्थापक , इन्होने कहा कि जीवन कभी कभी चोट तो देता है पर आस्था न खोये...
    स्टीव जॉब्स  कि ज़िन्दगी  ने दुनियाभर  में करोरो  लोगो को प्रभावित किया  है. उनके बातचीत करने के ढंग हो या प्रस्तुतिकरन  या फिर किसी भी उत्पाद को देखने और मार्किट  करने का ढंग  हो,सब कुछ बिलकुल अलग सोच लिए होता था .इशी अलग सोच ने उन्हें स्टीव जॉब्स  बनाया .आइये जानते है कि स्टीव जॉब्स कि सफलता  के मूल मंत्र क्या था .



    LIFE IS EASY:


    • वही काम करे जिसे आपको प्यार हो .दुनियाभर में कई लोग ऐशे है , जो एषा काम कर रहे है , जो उन्हें दिल से पसंद नहीं , अगर एषा हो जाए कि जिसे जो काम पसंद है, वाही करे ,तब दुनिया हि बदल जाएँगी 
    • दुनिया को बताओ कि आप कौन है,और दुनिया को बदलना का मादा आप में नही होगा.,तब तक आपको दुनिया नहीं पहचानेगी.
    • आपने जीवनकाल में बिभिन्य विषयो का अध्यन करो .भले वह तुम्हे तुरंत लाभ नही पहुचायेगा ,लेकिन अगर तुम्हारी उसमे जरा भी रूचि है,तो ओ आपकी गुणों को जरा भी जरुर बढ़ाएगा .और एक दिन बड़ा लाभ पहुचायेगा.
    • जिंदगी में मना करना खूब सीखना चाहिए , इसका फायेदा भी मिलता है . मै 1997 में वापस एप्पल में आया था , तब कंपनी का ३५० उत्पाद था .मात्र मैंने कंपनी उत्पादों कि संख्या १० कर दिया , १० उत्पादों पर ध्यान केंद्रीयत किया और सफलता पाई..

    • जब तक आप आपने ग्राहक को अलग तरह कि  अनुभव नहीं देंगे,वे आपके उत्पाद कि तारफ आकर्षित नहीं होंगे बिलकुल नहीं होंगे...

    26 सित॰ 2016

    कुछ सवालों के जवाब से जानें क्या है आप की सफलता

    By: Successlocator On: सितंबर 26, 2016
  • Share The Gag
  • सफलता का अर्थ  असफलता नहीं , संभावनाओं का अंत है:

    Image result for self confidence
    हम  अक्सर सोचते है कि  सफलता हमारी किस्मत से मिलती है , हा , लेकिन ऐसा कुछ नहीं है . सफलता  का मतलब  आपने द्वारा  तय कि गयी लक्ष को पाना है | पर विजय पाना , हर दिन आपने आप में निखर लाना , जिस दिन आप आपने सपनो के तरफ बढ़ना चोर देंगे , उस दिन आपका  कुछ पाने कि चाहत ख़त्म हो जाएगी.

     आज कल हर कोई सफ्फलता के पीछे भागता दिखाई देता है . माना जाता है कि  या तो आप सफल होंगे या असफल होंगे . कुछ लोगो के लिए सफलता और खुसी के मायेने लीक से हट कर होते है . ऐसे लोग ज़माने कि राइट रचे में सामिल नहीं होते  है.


    सफलता क्या है.? 

     सबसे बरी बात यह कि  सफलता कि परिभाषा  हर इनसान के लिए अलग अलग अलग है 
    कुछ लोगो का मानना है कि बरी कंपनी कि सीईओ  बनाना उनकी सफलता है . कुछ लोग मानते है कि उनके लिए स्प्रिचुअल  होना हि सफल होना  के बराबर है .  कुल मिला कर  सफलता का मतलब होता है , उस चीज को पन , जिसे आप पाने कि लम्बे  समय से कोशिस करते आये है या पाने के सपने देखते  आये है.


     सफलता के उल्टा क्या है ?

     Image result for self confidence

    सफलता के मने समझने के बाद बारी आती है , सफलता के उल्टा के जानने  कि  सीधे  भाषा में लोग इसे असफलता कहेंगे  और यही पर वह पूरी तरह से गलत होंगे . सफलता का उल्टा असफलता नही होता है.  किसी सफल व्यक्ति से पुच कर देखो वह व्ही कहेगा कि हर सफल क्यक्ति पाहले असफल हुआ है .
     आप सायेद जानते भी होंगे कि बल्व  बनाने से पहले थौमस एडिसन को बहुत बार असफलता हाँथ लगी थी  हेरी पातर  को लेखिका को भी कई प्रकाशको ने असफल  कहा था . 
     आप स्टीव जॉब्स के बारे में भी जानते होंगे, उनोहोने भी असफल हुए , हां लेकिन उनकी असफलता उन्हें रोक नही सकी .एडिसन ने हमें बल्व समेत कई चीजे दी. जे के  रोलिंग ने हमें हैरी पातर दिया , और स्टीव ने एप्पल दिया  , इन लोगो का सफलता को देखते हुआ , सफलता के उल्टा असफलता कहना ठीक नही है., 


    सफलता का उल्टा हार 

     सवाल व्ही का व्ही  रह गया कि  सफलता का उल्टा क्या हो सकता है , ? इजी भाषा में कहे तो सफलता का उल्टा हार मान लेना है. छोरना होता है..
    इसके लिए अंग्रेगी में एक वर्ड है .क्विटिंग. सुनने में अजीव लग सकता है . हा लेकिन सफलता का उल्टा यही है..
    अगर एडिसन ,जेके रोलिंग  और  स्टीव आगर हार मन लिए होते तो  आज हमारे पास न वल्व होता , न हैरी पॉटर होता , और न एप्पल होता .


    यह जाने कि मायेने 

    सफलता के उल्टा शब्द के जानने के बाद  इसके मायेने को समझने कि जरुरत है ,
    हम सोचते है कि सफलता किस्मत से मिलती है , लेकिन ऐसा कुछ भी नही है. सफलता का मतलब है , आपने द्वारा तय पर विजय लक्ष्य पन  और हर दिन आपने में निखर लाना , जिस दिन आप  सपने कि तरफ बढ़ना चोर देंगे , उ दिन आप में कुछ पाने कि चाहत हि ख़त्म हो जाएँगी. 

    अब आप समझ सकते है कि आपकी लाइफ   कहा जा कर THE END हो जाती है .


    जिंदगी से जुड़े 10 भ्रम

    By: Successlocator On: सितंबर 26, 2016
  • Share The Gag
  • जिंदगी से जुड़े 10 भ्रम:

     

    • सफलता का मतलब?: हमें अक्सर लगता है कि सफल व्यक्ति बहुत अमीर होता है। जबकि, सफलता का पैमाना पैसा नहीं है। आप तब सफल होंगे, जब अपने मन का काम करेंगे, न कि पैसा कमाने के लिए काम करेंगे। अगर आपको लिखना अच्छा लगता है तो कभी कुछ दिल से लिखकर देखिए, आपको सफलता और संतुष्टि, दोनों का अहसास मिलेगा :)
    • 4 दिन की जिंदगी को भ्रमों के बीच न जिएं। जितनी जल्दी हो सके, इन भ्रमों से निजात पाएं। क्लिक करके जानिए, कौन से 10 भ्रम आपको जिंदगी को पूरी तरह जीने से रोक रहे हैं...
    • अभी मेहनत करो, फिर जीवन भर आराम: कल किसने देखा है? अभी पढ़ाई की टेंशन है। फिर करियर बनाना है, फिर भविष्य की चिंता... वगैरह, वगैरह। क्या कभी सोचा है कि इस बीच हम जीना तो भूल ही जाते हैं? तो जो आज है, अभी है, उसे जियो।
    • परिश्रम सफलता की कुंजी है: बचपन से यही पढ़ते और सुनते आ रहे हैं। बेशक, परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है, लेकिन हार्ड वर्क की जगह अगर स्मार्ट वर्क किया जाए तो आपको सफलता भी मिलेगी और अपने लिए कुछ समय भी :)
    • काश, जिंदगी इतनी उलझी न होती: जिंदगी की उलझनें ही हैं, जो उसे इतना खूबसूरत बनाती हैं, नहीं तो जिंदगी बोरिंग नहीं हो जाएगी। क्योंकि आपको तो फिर सब पता होगा कि अगर आपने ऐसा किया तो कायदे से आपके साथ ऐसा होना चाहिए।
    • आने वाला कल बेहतर होगा: ईमानदारी से कहा जाए तो जिंदगी कभी खुद बेहतर नहीं होती, बल्कि हम खुद को बेहतर बनाकर जिंदगी को बेहतर बनाते हैं।
    • प्यार बहुत जरूरी है: हां, प्यार बहुत जरूरी है, लेकिन किसी और के प्यार से कहीं ज्यादा जरूरी है आपका खुद का प्यार। जब तक आप खुद को प्यार नहीं करेंगे, तब तक आप किसी और से प्यार मिलने की उम्मीद कैसे लगा सकते हैं?
    • जिंदगी एक दौड़ है: हम अक्सर कहते हैं कि हम सब रैट रेस में हैं, और हमारी यह रेस तभी से शुरू हो जाती है, जब हम स्कूल जाना शुरू करते हैं। बेहतर होगा कि इस रेस में किसी और से प्रतिस्पर्धा करने की बजाए खुद से प्रतिस्पर्धा कीजिए, और खुद को दिन पर दिन और बेहतर बनाइए। बाकी सबको उनकी दौड़ पूरी करने दीजिए, और आप अपनी दौड़ को जीकर देखिए।

     

    25 सित॰ 2016

    आत्म-मूल्यांकन से मिलती हैं सफलता

    By: Successlocator On: सितंबर 25, 2016
  • Share The Gag
  • आत्म-मूल्यांकन से मिलती हैं सफलता
    Self-evaluation and assessment will help you to achieve your goals
    Secrets of success is already there in you, get evaluated yourself (Hindi)

    Image result for self confidence
    जीवन में आगे बढ़ने के लिए आत्म-मूल्यांकन बहुत जरुरी हैं।
    सफलता चुटकियो में नहीं मिलती और न ही परंपरागत रूप से एक ही तरह का काम करने से।

    योजना बनाकर उस पर अमल करना भी मायने रखता हैं।

    कोई भी काम ख़राब या छोटा नहीं होता और सभी तरह के काम में समान तरह के अवसर मौजूद होते हैं।लेकिन कोई उस काम में काफी पैसा बना लेता हैं और कोई उससे पैसा कमाने के बजाय सब कुछ गवां देता हैं।क्या कभी आपने सोचा हैं ऐसा क्यों होता हैं? ये तो आप सब ने सुना होगा दोस्तों से “अरे यार इस काम में ज्यादा पैसा नहीं हैं और मेहनत भी ज्यादा हैं, जबकि उसी काम में कोई अच्छा पैसा बना रहा हैं इसका मतलब यह हैं कि काम तो वह ख़राब नहीं हैं।
    तो फिर क्यों इतना फर्क हैं, कुछ लोग बोलते हैं अरे यार “वो किस्मत वाला हैं या फिर उसकी किस्मत अच्छी हैं अपने तो भाग्य में तो रोना ही लिखा हैं।
    दोस्तों, ऐसा कुछ भी नहीं हैं आप अपना आत्म-मूल्यांकन कीजिये शायद जबाब आपको खुद-ब-खुद मिल जाए अब आपका सवाल कैसे करू मूल्यांकन? मैं help करता हूँ।
    खुद से ये सवाल कीजिये और जबाब पूछिए।
    1) मुझे किस चीज में दिलचस्पी हैं? ऐसे कौन से काम हैं जिन्हें करने में मुझे मज़ा आता हैं?
    2) मेरी अब तक की Achievements (उपलब्धिया) क्या हैं?
    3) मेरे personality (व्यक्तित्व) में ऐसे कौन से गुण हैं, जिन्होंने मेरे जीवन को सहज बनाने में मेरी मदद की हैं?
    4) ऐसे कौन से काम हैं जो स्वाभाविक रूप से मेरे लिए बेहद आसान हैं?
    5) मुझमें कौन-सी abilities हैं जो मेरे जीवन में सफलता को बढ़ा सकती हैं?
    6) किसी काम को करने में मुझमें जो जोश और उर्जा एक दिन रहती हैं वह हफ्ते या महीने भर तक काम करने मेंकितनी रह जाती हैं?
    7) मेरे सपने क्या हैं व कार्यक्षेत्र की वास्तिवक दुनिया से मैं उन्हें किस तरह जोड़ सकता हूँ?
    8) ऐसे कौन से छोटे-छोटे काम हैं जिनमे मेरी दिलचस्पी बचपन से रही हैं इन कामो को एक साथ कैसे जोड़ा जा सकता हैं?
    9) वर्तमान कार्यक्षेत्रों से जुडी जरूरतों के हिसाब से मेरे carrier के विकल्प कितने सही हैं?
    10) मैं अपने carrier से सम्बंधित विकल्पों के बारें में कितनी जानकारी रखता हूँ?
    11) मेरी कौनसी कमजोरिया हैं? उन कमजोरिया का मुझ पर और मेरे carrier पर क्या असर होगा?
    12) मैं ऐसे कौनसे उपाय अपनाऊ, जिससे अपनी कमजोरियों से उभर सकू?
    13) मैं जो carrier चुनने जा रहा हूँ, उसके लिए कैसे व्यक्तित्व की जरुरत होती हैं और मेरा व्यक्तित्व उसके लिए सही हैं या नहीं?
    14) क्या में उस क्षेत्र में जाने से पहले खुद को परख सकता हूँ?
    15) अपने चयनित कार्यक्षेत्र में लम्बे समय तक सफल बने रहने के लिए मुझे किस से सहयोग मिल सकता हैं?
    इन सवालो के बारें में सोचने के बाद आप बेहद मूल्यवान जानकारी हासिल करेंगे आप स्वयं का परीक्षण करें और देखे यह जानकारी आपके लिए कितनी लाभदायक हैं।

    24 सित॰ 2016

    आदतों से छुटकारा : सफलता की सीढ़ी

    By: Successlocator On: सितंबर 24, 2016
  • Share The Gag
  • यह पोस्ट मेरे प्रिय ब्लौगर लियो बबौटा की एक पोस्ट का अनुवाद है जिसमें हमेशा की तरह मैंने मामूली फेरबदल किये हैं.
    आपबहुत से लोग अपने जीवन के बहुत से पक्षों में इतना फेरबदल करना चाहते कि उन्हें समझ में ही नहीं आता कि शुरुआत कहाँ से करें.

    यह मुश्किल जान पड़ता है: लोग अपनी जीवन शैली में सुधार लाना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि उनकी कुछ आदतें जैसे स्मोकिंग करना और जंक फ़ूड खाना नियंत्रित हो जाएँ, वे बेहतर तरीकों से काम कर सकें, उनके खर्चे सीमा में हों, उनके जीवन में सरलता-सहजता आये, उन्हें परिवार के साथ समय व्यतीत करने को मिले, वे अपने शौक पूरे कर सकें…


    लेकिन शुरुआत कहाँ से करें?

    यह मुश्किल नहीं है – पांच साल पहले मेरी हालत भी ऊपर जैसी ही थी. एक-एक करके मैंने अपनी आदतें बदलीं.:

    * मैंने स्मोकिंग छोडी (और बाद में तो मैंने कई मैराथन दौड़ भी पूरी कीं).
    * स्वास्थ्यकर भोजन अपनाया (अब मैं पूर्णतः शाकाहारी बन गया हूँ).
    * कर्जे से मुक्ति पाई और पैसे बचाए (अब मुझे धनाभाव नहीं है).
    * अपने जीवन को सरल-सहज बनाया.
    * वह काम किया जो मुझे प्रिय है.
    * सुबह जल्दी उठना शुरू किया और रचनात्मकता बढ़ाई.

    यह लिस्ट और भी लंबी हो सकती है. मैं कोई डींगें नहीं हांक रहा हूँ बल्कि यह बताना चाहता हूँ कि यह सब संभव है. यह सब मैंने छः बच्चों के पालन-पोषण के साथ और तीन अलग-अलग तरह के काम करते हुए किया (जिसमें मुझे मेरी पत्नी इवा की भरपूर मदद मिली).


    आप लोगों में से कई मेरे हालात से गुज़र चुके होंगे. मेरे एक पाठक क्रेग ने मुझे बताया:

    • “मानसिक, शारीरिक, और आर्थिक तौर पर पिछले पांच-सात साल मेरे लिए नर्क की तरह रहे हैं. उसके पहले मैं आत्मविश्वास से लबरेज खुशनुमा आदमी था और जो चाहे वह कर सकता था. मुझे नहीं पता कि मेरी ज़िंदगी किस तरह से ढलान पर आ गयी पर अब मैं अपना आत्मविश्वास खो चुका हूँ. मैं तनाव और चिंताओं से बोझिल हूँ. मेरा वजन लगभग 15-20 किलो बढ़ गया है. दिनभर में एक पैकेट सिगरेट फूंक देता हूँ. सच कहूं तो मैं अब खुद को आईने में देखना भी पसंद नहीं करता.”


    आगे वह लिखता है:


    • “रोज़ सबेरे पेट में कुलबुलाहट के साथ ही मेरी नींद खुलती है और मुझे लगता है कि आज का दिन बुरा गुजरेगा. मैं अक्सर देर से सोता हूँ और सुबह उनींदा महसूस करता हूँ. इन मुश्किलों से निबटने के लिए मैंने हर तरह की चीज़ें करके देखीं पर कुछ काम नहीं बना. मैं बस यही चाहता हूँ कि कम-से-कम मेरे दिन की शुरुआत की कुछ बेहतर हो जाए”.

    फिर उसने मुझसे सबसे ज़रूरी प्रश्न पूछा: “आपने अपने जीवन को रूपांतरित करने के लिए 2005 में इतने बड़े बदलाव कैसे कर लिए? आपने सुबह जल्दी उठकर सकारात्मत्कता के साथ अपने दिन की शुरुआत करना कैसे सीखा?”

    वर्ष 2005 में मैं ज़िंदगी के बुरे दौर से गुज़र रहा था और अपने जीवन में इतने सारे बदलाव कर रहा था कि मैं उनमें उलझ कर रह गया. इस सबसे मन में बड़ी गहरी हताशा घर कर रही थी.

    फिर मैंने (इवा से शादी करने के अलावा) अपने जीवन का एक बेहतरीन निर्णय लिया.


    मैंने सिर्फ एक ही आदत का चुनाव किया.

    बाकी आदतें पीछे आतीं रहीं. एक ही आदत को ध्येय बनाकर शुरुआत करने के ये चार परिणाम निकले.

    1. एक आदत को ढाल पाना मेरे बस में रहा. एक आदत विकसित की जा सकती है – 15 आदतों को बदलने का प्रयास करना कठिन है.

    2. इससे मैं एक जगह फोकस कर सका. मैं अपनी समस्त ऊर्जा को एक जगह लगा सका. जब आप बहुत सी आदतें एक-साथ बदलना चाहते हैं तो वे एक-दूसरे में उलझकर आपकी ऊर्जा नष्ट करतीं हैं और आप असफल हो जाते हैं.

    3. इससे मुझे यह भी पता चला कि आदतों को कैसे बदला जाता है – और इस ज्ञान को मैं दूसरी आदतें बदलने में प्रयुक्त कर सका.

    4. इसमें मिली सफलता से मैंने अपनी ऊर्जा और उत्साह को अगली चीज़ हासिल करने में लगाया.

    ऊपर कही गयी बातों में प्रत्येक का बहुत महत्व है. मैं पहली तीन बातों के विस्तार में नहीं जाऊंगा क्योंकि मुझे लगता है कि वे स्वयं अपने बारे में बहुत कुछ कह देतीं हैं. चौथा बिंदु इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण है और इसपर कुछ चर्चा की जा सकती है (नीचे पढ़ें).

    कौन सी आदत चुनें?

    मैंने सबसे पहले स्मोकिंग छोड़ने के बारे में सोचा क्योंकि मेरे लिए यह सबसे ज्यादा ज़रूरी था. आज पीछे मुड़कर देखने पर लगता है कि इस आदत को बदलना वाकई सबसे ज्यादा कठिन था. मैं सभी को यह सलाह दूंगा कि सबसे पहले उस आदत को बदलने की सोचें जिससे बाहर निकलना सबसे आसान हो.

    लेकिन सच तो यह है कि इस बात का कोई ख़ास महत्व नहीं है. यदि अप अपनी 15 आदतों को बदलना चाहते हों और वे सभी एक समान महत्वपूर्ण हों तो उनमें से किसी का भी चुनाव randomly किया जा सकता है.

    लंबी योजना में इस बात का अधिक महत्व नहीं है कि आपने किस चीज़ से शुरुआत की. आज से पांच साल बाद आप पलटकर देखेंगे तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आपने किन आदतों को बदलने से शुरुआत की थी. अभी आपको यह बात ज़रूरी लगती है पर सवाल आपने एक महीने भर का नहीं है – यह आपके पूरे जीवन की बेहतरी के लिए है.

    कोई एक आदत चुन लें. कोई सी भी. कोई आसान सी चुन लें. बात सिर्फ इतनी है कि आप शुरुआत भर कर दें.
    सफलता की सीढ़ियाँ

    एक आदत का चुनाव कर लेने से उसे आधार बनाकर स्वयं में महत्वपूर्ण और दूरगामी परिवर्तन किये जा सकते हैं. यदि आपने इसके बारे में पहले नहीं सोचा है तो यह समय बहुत महत्वपूर्ण है. आपको इस क्षण स्वयं को टटोलना शुरू कर देना चाहिए. आप परिपूर्ण नहीं हैं. यदि आप प्रयास करेंगे तो आप अपने भीतर उन कमियों या खामियों को खोज सकेंगे जिनके निराकरण से आपके जीवन में बेहतर बदलाव आयें.

    90 के दशक में मैंने बिल गेट्स की एक किताब पढ़ी थी जिसमें उसने अपनी ‘सफलता की सीढ़ियों’ के बारे में लिखा है. उसने MS-DOS बनाया और उसकी सफलता को आधार बनाकर MS-Word और फिर विन्डोज़, फिर विन्डोज़ 95, फिर एक्सेल, ऑफिस, इंटरनेट एक्स्प्लोरर… और भी बहुत कुछ (यह क्रम गड़बड़ हो सकता है पर उसकी बात गैरज़रूरी है)

    मैं बिल गेट्स का कोई फैन नहीं हूँ लेकिन उसका परखा और सुझाया गया सिद्धांत न केवल बिजनेस में बल्कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में लागू किया जा सकता है और वह यह है कि एक आदत बदलने से मिलनेवाली सफलता से आप शानदार अनुभव करेंगे. आप इससे इतने उत्साह में डूब जायेंगे कि आप फ़ौरन दूसरी आदत से पीछा छुड़ाने की सोचेंगे. यदि शुरुआत में आपने अपना ध्यान केवल एक ही आदत पर केन्द्रित रखा तो आपको आगे और भी सफलता मिलेगी और आप और आगे बढ़ते चले जायेंगे.

    फिर जल्द ही आप शिखर पर होंगे और लोग आपसे पूछेंगे कि आपने यह कैसे किया. तब आप मेरा नाम नहीं लेना पर बिल गेट्स के बारे में ज़रूर बताना क्योंकि उसका अहसान चुकाना बहुत ज़रूरी है:)

    23 सित॰ 2016

    कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत

    By: Successlocator On: सितंबर 23, 2016
  • Share The Gag






  • कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत


     to bed and early to rise makes a man healthy wealthy and wise
     Hi friends,
    हममें से ज्यादातर लोगों ने कभी ना कभी ये कोशिश ज़रूर की होगी कि रोज़ सुबह जल्दी उठा जाये. हो सकता है कि आपमें से कुछ लोग कामयाब भी हुए हों, पर अगर majority की बात की जाये तो वो ऐसी आदत डालने में सफल नहीं हो पाते. लेकिन आज जो article  मैं आपसे share कर रहा हूँ इस पढने के बाद आपकी सफलता की  probability निश्चित रूप से बढ़ जाएगी. यह article इस विषय पर दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़े गए लेखों में से एक का Hindi Translation है. इसे Mr. Steve Pavlina ने लिखा है . इसका  title है “How to become an early riser.“.
    तो आइये जानें कि हम कैसे डाल सकते हैं सुबह जल्दी उठने की आदत.

     कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत?

    It is well to be up before daybreak, for such habits contribute to health, wealth, and wisdom.
       -Aristotle
    सूर्योदय  होने  से  पहले  उठाना  अच्छा  होता  है , ऐसी  आदत  आपको  स्वस्थ , समृद्ध  और  बुद्धिमान  बनती  है .
     सुबह  उठने  वाले  लोग  पैदाईशी  ऐसे  होते  हैं  या   ऐसा  बना  जा  सकता  है ? मेरे  case में  तो  निश्चित  रूप  से  मैं  ऐसा  बना  हूँ . जब  मैं  बीस  एक  साल  का  था  तब  शायद  ही  कभी  midnight से  पहले  बिस्तर  पे  जाता  था . और  मैं  लगभग  हमेशा  ही  देर  से  सोता  था. और  अक्सर  मेरी  गतिविधियाँ  दोपहर  से  शुरू  होती  थीं .
    पर  कुछ  समय  बाद  मैं  सुबह  उठने  और  successful  होने  के  बीच  के  गहरे  सम्बन्ध  को  ignore नहीं  कर  पाया , अपनी  life में  भी . उन  गिने  – चुने  अवसरों  पर  जब  भी   मैं  जल्दी  उठा  हूँ  तो  मैंने  पाया  है  कि  मेरी  productivity लगभग  हमेशा  ही  ज्यादा  रही  है , सिर्फ  सुबह  के  वक़्त  ही  नहीं  बल्कि  पूरे  दिन . और  मुझे  खुद अच्छा  होने  का  एहसास  भी  हुआ  है . तो  एक  proactive goal-achiever होने  के  नाते  मैंने सुबह  उठने  की  आदत  डालने  का  फैसला  किया . मैंने  अपनी  alarm clock 5 am पर  सेट  कर  दी …
    — और  अगली  सुबह  मैं  दोपहर  से  just पहले  उठा .
    ह्म्म्म…………
    मैंने  फिर  कई  बार  कोशिश  की , पर  कुछ  फायदा  नहीं  हुआ .मुझे  लगा  कि  शायद  मैं  सुबह  उठने  वाली  gene के  बिना  ही  पैदा  हुआ  हूँ . जब  भी  मेरा  alarm बजता  तो  मेरे  मन  में  पहला  ख्याल  यह  आता  कि  मैं  उस  शोर  को  बंद  करूँ  और  सोने  चला  जून . कई  सालों  तक  मैं  ऐसा  ही  करता  रहा , पर  एक  दिन  मेरे  हाथ  एक  sleep research लगी  जिससे  मैंने  जाना  कि  मैं  इस  problem को  गलत  तरीके  से  solve कर  रहा  था . और  जब  मैंने  ये  ideas apply   कीं  तो  मैं  निरंतर  सुबह   उठने  में  कामयाब  होने  लगा .
    गलत  strategy के  साथ  सुबह  उठने  की  आदत  डालना  मुश्किल  है  पर  सही  strategy के  साथ  ऐसा  करना  अपेक्षाकृत  आसान  है .
    सबसे  common गलत  strategy है  कि  आप  यह  सोचते  हैं  कि  यदि  सुबह  जल्दी  उठाना  है  तो  बिस्तर  पर  जल्दी  जाना  सही  रहेगा . तो  आप  देखते  हैं  कि  आप  कितने  घंटे  की  नीद  लेते  हैं , और  फिर  सभी  चीजों  को  कुछ  गहनते  पहले  खिसका  देते  हैं . यदि  आप  अभी  midnight से  सुबह  8 बजे  तक  सोते  हैं  तो  अब  आप  decide करते  हैं  कि  10pm पर  सोने  जायेंगे  और  6am पर  उठेंगे .  सुनने  में  तर्कसंगत  लगता  है  पर  ज्यदातर  ये  तरीका  काम  नहीं  करता .
    ऐसा  लगता  है  कि  sleep patterns को  ले  के  दो  विचारधाराएं हैं . एक  है  कि  आप  हर  रोज़  एक  ही  वक़्त  पर  सोइए  और  उठिए . ये  ऐसा  है  जैसे  कि  दोनों  तरफ  alarm clock लगी  हो —आप  हर  रात  उतने  ही  घंटे  सोने  का  प्रयास  करते  हैं . आधुनिक  समाज  में  जीने  के  लिए  यह  व्यवहारिक  लगता  है . हमें  अपनी  योजना  का  सही  अनुमान  होना  चाहिए . और  हमें  पर्याप्त  आराम  भी  चाहिए .
    दूसरी  विचारधारा  कहती  है  कि  आप  अपने  शरीर  की  ज़रुरत  को  सुनिए  और  जब  आप  थक  जायें  तो  सोने  चले  जाइये  और  तब  उठिए  जब  naturally आपकी  नीद  टूटे . इस  approach की  जड़  biology में  है . हमारे  शरीर  को  पता  होना  चाहिए  कि  हमें  कितना  rest चाहिए , इसलिए  हमें  उसे  सुनना  चाहिए .
    Trial and error से  मुझे  पता  चला  कि  दोनों  ही  तरीके  पूरी  तरह  से  उचित  sleep patterns नहीं  देते . अगर  आप  productivity की  चिंता  करते  हैं  तो  दोनों  ही  तरीके  गलत  हैं . ये  हैं  उसके  कारण :
    यदि  आप  निश्चित  समय  पे  सोते  हैं  तो  कभी -कभी  आप  तब  सोने  चले  जायेंगे  जब  आपको  बहुत  नीद  ना  आ  रही  हो . यदि  आपको  सोने  में  5 मिनट  से  ज्यादा  लग रहे  हों  तो  इसका  मतलब  है  कि  आपको  अभी  ठीक  से  नीद  नहीं  आ  रही  है . आप  बिस्तर  पर  लेटे -लेटे अपना  समय  बर्वाद  कर  रहे  हैं ; सो  नहीं  रहे  हैं . एक  और  problem ये  है  कि  आप  सोचते  हैं  कि  आपको  हर  रोज़  उठने  ही  घंटे  की  नीद  चाहिए , जो  कि  गलत  है . आपको  हर  दिन  एक  बराबर  नीद  की  ज़रुरत  नहीं  होती .
    यदि  आप  उतना  सोते  हैं  जितना  की  आपकी  body आपसे  कहती  है  तो  शायद  आपको  जितना  सोना  चाहिए  उससे  ज्यादा  सोएंगे —कई  cases में  कहीं  ज्यादा , हर  हफ्ते  10-15 घंटे  ज्यदा ( एक  पूरे  waking-day के  बराबर ) ज्यादातर  लोग  जो  ऐसे  सोते  हैं  वो  हर  दिन  8+ hrs सोते  हैं , जो  आमतौर  पर  बहुत  ज्यादा  है . और  यदि  आप  रोज़  अलग -अलग  समय  पर  उठ  रहे  हैं  तो  आप  सुबह  की  planning सही  से  नहीं  कर  पाएंगे . और  चूँकि  कभी -कभार  हमारी  natural rhythm घडी से  मैच  नहीं  करती  तो  आप  पायंगे  कि  आपका  सोने  का  समय  आगे  बढ़ता  जा   रहा  है .
    मेरे  लिए  दोनों  approaches को  combine करना  कारगर  साबित  हुआ . ये  बहुत  आसान  है , और  बहुत  से  लोग  जो  सुबह  जल्दी  उठते  हैं , वो  बिना  जाने  ही  ऐसा  करते  हैं , पर  मेरे  लिए  तो  यह  एक  mental-breakthrough था . Solution ये  था  की  बिस्तर  पर  तब  जाओ  जब  नीद  आ  रही  हो  ( तभी  जब  नीद  आ  रही  हो ) और  एक  निश्चित  समय  पर  उठो ( हफ्ते  के  सातों  दिन ). इसलिए  मैं  हर  रोज़  एक  ही  समय  पर  उठता  हूँ ( in my case 5 am) पर  मैं  हर  रोज़  अलग -अलग  समय  पर  सोने  जाता  हूँ .
    मैं  बिस्तर  पर  तब  जाता  हूँ  जब  मुझे  बहुत  तेज  नीद  आ  रही  हो . मेरा  sleepiness test ये  है  कि  यदि  मैं  कोई  किताब  बिना  ऊँघे  एक -दो  पन्ने  नहीं  पढ़  पाता  हूँ  तो  इसका  मतलब  है  कि  मै  बिस्तर  पर  जाने  के  लिए  तैयार  हूँ .ज्यादातर  मैं  बिस्तर  पे  जाने  के  3 मिनट  के  अन्दर  सो  जाता  हूँ . मैं  आराम  से  लेटता  हूँ  और  मुझे  तुरंत  ही  नीद  आ  जाति  है .  कभी  कभार  मैं  9:30 पे  सोने  चला  जाता  हूँ  और  कई  बार  midnight   तक  जगा  रहता  हूँ . अधिकतर  मैं  10 – 11 pm के  बीच  सोने चला  जाता  हूँ .अगर  मुझे   नीद  नहीं   आ  रही  होती  तो  मैं  तब  तक  जगा  रहता  हूँ  जब  तक  मेरी  आँखें  बंद  ना  होने  लगे . इस  वक़्त  पढना  एक  बहुत  ही  अच्छी activity है , क्योंकि  यह  जानना  आसान  होता  है  कि  अभी  और  पढना  चाहिए  या  अब  सो  जाना  चाहिए .
    जब  हर  दिन  मेरा  alarm बजता  है  तो  पहले  मैं  उसे  बंद  करता  हूँ , कुछ  सेकंड्स  तक  stretch करता  हूँ , और  उठ  कर  बैठ  जाता  हूँ . मैं  इसके  बारे  में  सोचता  नहीं . मैंने  ये  सीखा  है  कि  मैं  उठने  में  जितनी  देर  लगाऊंगा ,उतना  अधिक  chance है  कि  मैं  फिर  से  सोने  की  कोशिश  करूँगा .इसलिए  एक  बार  alarm बंद  हो  जाने के  बाद  मैं  अपने  दिमाग  में  ये  वार्तालाप  नहीं  होने  देता  कि  और  देर  तक  सोने  के  क्या  फायदे  हैं . यदि  मैं  सोना  भी  चाहता  हूँ , तो  भी  मैं  तुरंत  उठ  जाता  हूँ .
    इस  approach को  कुछ  दिन  तक  use करने  के  बाद  मैंने  पाया  कि  मेरे  sleep patterns एक  natural rhythm में  सेट  हो  गए  हैं . अगर  किसी  रात  मुझे  बहुत  कम  नीद  मिलती  तो  अगली  रात  अपने  आप  ही  मुझे  जल्दी  नीद  आ  जाती  और  मैं  ज्यदा  सोता . और  जब  मुझमे  खूब  energy होती  और  मैं  थका  नहीं  होता  तो  कम  सोता . मेरी  बॉडी  ने  ये  समझ  लिया  कि  कब  मुझे  सोने  के  लिए  भेजना  है  क्योंकि  उसे  पता  है  कि  मैं  हमेशा  उसी  वक़्त  पे  उठूँगा  और  उसमे  कोई  समझौता नहीं  किया  जा  सकता .
    इसका  एक  असर ये हुआ कि  मैं  अब  हर  रात  लगभग  90 मिनट  कम  सोता  ,पर  मुझे  feel होता  कि  मैंने  पहले  से ज्यादा  रेस्ट  लिया  है . मैं  अब  जितनी  देर  तक  बिस्तर  पर  होता  करीब  उतने  देर  तक  सो  रहा  होता .
    मैंने  पढ़ा  है  कि  ज्यादातर  अनिद्रा  रोगी  वो  लोग  होते  हैं  जो  नीद  आने  से  पहले  ही  बिस्तर  पर  चले  जाते  हैं . यदि  आपको  नीद  ना  आ  रही  हो  और  ऐसा  लगता  हो  कि  आपको  जल्द ही  नीद  नहीं  आ  जाएगी  , तो  उठ  जाइये  और  कुछ  देर  तक  जगे  रहिये . नीद  को  तब  तक  रोकिये  जब  तक  आपकी  body ऐसे  hormones ना  छोड़ने  लगे  जिससे आपको नीद ना आ जाये.अगर  आप  तभी  bed पे  जाएँ  जब  आपको  नीद  आ  रही  हो  और  एक  निश्चित  समय  उठें  तो  आप  insomnia का  इलाज  कर  पाएंगे .पहली  रात  आप  देर  तक  जागेंगे  , पर  बिस्तर  पर  जाते  ही  आपको  नीद  आ  जाएगी . .पहले  दिन  आप  थके  हुए  हो  सकते  हैं  क्योंकि  आप  देर  से  सोये  और  बहुत  जल्दी  उठ  गए , पर  आप  पूरे  दिन  काम  करते  रहेंगे  और  दूसरी  रात  जल्दी  सोने  चले  जायेंगे .कुछ  दिनों  बाद  आप  एक  ऐसे  pattern में  settle हो  जायेंगे  जिसमे  आप  लगभग  एक  ही  समय  बिस्तर  पर  जायंगे  और  तुरंत  सो  जायंगे .
    इसलिए   यदि  आप  जल्दी  उठाना  चाहते  हों  तो  ( या  अपने  sleep pattern को  control करना  चाहते  हों ), तो  इस  try करिए :  सोने  तभी  जाइये  जब  आपको  सच -मुच  बहुत  नीद  आ रही  हो  और  हर  दिन  एक  निश्चित  समय  पर  उठिए .

    कैसे जीवन में सफल बनें kaise jeevan me safal bane

    By: Successlocator On: सितंबर 23, 2016
  • Share The Gag
  • आपकी उम्र चाहे जितनी भी हो, आप जहाँ भी रहते हों या जो भी आपके जीवन के लक्ष्य हो, सब का सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य अपने जीवन में खुश और सफल होना होता है। अपने बाहरी जीवन (मतलब आपकी परिस्थितियाँ) और अंदरूनी जीवन (मतलब आपका भावात्मक जीवन) दोनों में सफलता पाने के तरीकों को सीखने के लिए इस लेख को पढ़ें।

    बाहरी सफलता प्राप्त करना

    1. अपने जुनून को पहचानें: सफलता पाने से पहले, आपको यह परिभाषित करना होगा कि आपके लिए सफलता का मतलब क्या है। यद्यपि आपको यह समझने में कई साल लग सकते हैं, कि आप अपने जीवन के साथ क्या करना चाहते हैं, परंतु अपने जुनून, चाहत, और मूल्य को पहचान ने से अपने जीवन का लक्ष्य बनाने में, और आपके जीवन को एक अर्थ मिलने में मदद होगी। नीचे दिए गए सवाल अपने आप से पूछें:

    • आप अपनी विरासत में क्या चाहतें हैं?
    • कैसे आप दूसरों के द्वारा याद किए जाना चाहते हैं?
    • कैसे आप अपने समुदाय को एक बेहतर जगह बनाना चाहते हैं?
    • आप अपने जीवन में किस विषय में रुची रखते हैं?

    2. अपने लक्ष्यों की, और उनको प्राप्त करने के लिए आप क्या करेंगे उसकी एक सूची बना लें: ध्यान रहे कि आप अपने सूची में अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों लक्ष्यों का उल्लेख करें; और आर्थिक/व्यवसाय के लक्ष्यों से परे सोचने की कोशिश करें।

    • विचार करें कि स्कूल में आपको कौन से विषय पढ़ने में आनंद आता था और क्यों। इससे आपको यह अंदाज़ा हो जाएगा कि आपके लिए क्या बेहतर है और आप किस में दिलचस्पी रखते हैं।

    3. उद्देश्यपूर्ण जीवन बिताएं: अपने सपनों को साकार करने और वह इंसान बनने के लिए जो आप बनना चाहते हैं, आपको अपने चाल-चलन पर ध्यान देना शुरू करना होगा। अपने आप से पूछें, कि जो मैं कर रहा हूँ, क्या वह मुझे वहाँ ले जाएगा जहाँ मैं जीवन में पहुंचना चाहता हूँ?

    • यदि अपने आप को हमेशा ऊबा हुआ पाते हैं, भूत या भविष्य के बारे में दिन में सपने देखते हैं या दिन खत्म होने का इंतजार करते रहते हैं, तो शायद आप ध्यान लगाकर कार्य नहीं कर रहे हैं। अपने व्यवसाय या अध्ययन के मुख्य विषय को अपने रुची के अनुसार बदलने का विचार करें, परंतु याद रखें, कि आपको ऐसे बदलाव का सामना करना पड़ेगा जिसके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा। क्या उस नौकरी से मिलने वाला वेतन आपके उपजीविका के लिए काफी है? क्या वह ऐसा क्षेत्र है जिससे आप कुछ समय बाद ऊब जाएंगे? क्या मैं सच में वह नौकरी करना चाहता हूँ?
    • अपने समय की कद्र करें। अपने फ्री-टाइम को बरबाद करने के बदले, उस समय में ऐसा कुछ करें जो आपको करना पसंद है। उदाहरण के लिए, अपने सप्ताहांत को टीवी देख कर बिताने के बदले, उस समय को अपने शौक पूरा करने में या अपने परिवार के साथ बिताएं।
    • याद रखें कि ‘समय की बरबादी’ की धारणा तुलनात्मक है। ज़रूरी नहीं जो भी काम आप करें वह औपचारिक तौर पर लाभकारी हो, परंतु वह मज़ेदार और दिलचस्प होना चाहिए।


    4. शिक्षित बनें: शिक्षा से आपको ज्ञान, कुशलता और अपनी अधिकतम क्षमता को प्राप्त करने की विश्वसनीयता मिलती है। आर्थिक सफलता के लिए, आँकड़ों के मुताबिक आप जितना ज़्यादा शिक्षित होते है (मतलब जितनी उच्च डिग्री आप प्राप्त करते हैं), आपकी पैसे कमाने की संभावना उतनी ज्यादा होती है।

    • सन 2013 में, हाई स्कूल ग्रैजुएट का मासिक वेतन लगभग रु15000, जबकि बैचलर डिग्री वालों का मासिक वेतन लगभग रु30000 तक होता था। और इसी वर्ष, अगर आप देखें तो, जिनके पास मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री है, उनका मासिक वेतन रु50000 या उससे ऊपर है।
    • यह जरूरी नहीं है कि सभी शिक्षण फॉर्मल हो। अपनी शिक्षा को उसी क्षेत्र में बढ़ाना (Apprenticeships) और लाँग-टर्म ट्रेनिंग-प्रोग्राम भी सकारात्मक तरीके से उच्च आय में सहयोगी होती हैं।

    5  अपनी आमदनी का प्रबंधन करें: अपने पैसों का प्रबंधन करना सीखने से एक लम्बी अवधी तक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है, फिर चाहे आपकी आय जितनी भी हो।

    • अपने खर्चो पर नज़र रखें। अपनी बैंक-स्टेट्मेंट को जाँचते रहे और देखें आप अपना पैसा कहाँ खर्च करते हैं। यदि आप ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं तो ध्यान रहे, कि आप अपने पर्सनल-रिकॉर्ड भी रखें। ऐसा करने से आपका फिज़ूल-खर्च कम होगा और साथ ही यह भी पता चलेगा कि आपकी बैंक- स्टेट्मेंट सही है।
    • अपनी आय को समझें। अपनी आय का हिसाब लगाते समय केंद्रीय, राज्य और सामाजिक सुरक्षा कर हिसाब रखना न भूलें क्योंकि यह कर आपकी कुल आय से काटा जाता है। बची रकम आपकी वास्तविक आय होती है जो आपको मिलती है।
    • प्राथमिकता के अनुसार खर्च करें। आपकी बुनियादी आवश्यकताएं जैसे रोटी, कपड़ा और मकान आपके खर्च की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। जब तक आप इन बुनियादी आवश्यकताओं से संतुष्ट नहीं हो जाएंगे, तब तक महंगी गाड़ियों, कपड़ों और छुट्टियों पर खर्च न करें। अपने आप से ईमानदार रहे और अपनी मूल आवश्यकताओं और सुख-साधन में अंतर करना जानें।
    • पैसे बचाएं। हर महीने आपको कुछ पैसे अपने बचत खाते में जमा करने चाहिए। अपने नियोक्ता से कहें कि आपकी आय में से कुछ रकम सीधा आपके बचत खाते में जमा कर दें।

    6. अपने समय का प्रबंधन करें: ज़रूरी कार्य को आखिरी समय तक टालते रहने से आपको बिन बात का तनाव होगा और गलतियाँ होने की संभावना बढ़ेगी। अपने समय का प्रबंधन ऐसे करें ताकि कोई भी काम सही ढंग से करने के लिए आपके पास काफी समय रहें।

    • अपने आपको पूरा दिन, हफ्ते और महीने तक सुनियोजित रखने के लिए कागज़ या इलेक्ट्रानिक प्लानर का इस्तेमाल करें।
    • जो भी कार्य आपको एक दिन में करने हैं, उनकी एक सूची बनाएं और जैसे-जैसे वह काम खत्म होते जाएंगे, वैसे-वैसे उनके सामने सही (राइट) का चिन्ह लगाते रहें। ऐसा करने से आप व्यवस्थित और प्रोत्साहित बने रहेंगे।

    अंदरूनी सफलता प्राप्त करना
    1. मौजूद लम्हों का आनंद लें: यदि आप हमेशा अपने अतीत के बारे में ही सोच रहे हैं या भविष्य के बारे में दिन में सपने देखते हैं, तो आप अपने जीवन के मौजूद लम्हों को खो देंगे। याद रखें कि अतीत और भविष्य केवल एक भ्रम है और वास्तविक जीवन यहाँ और आज है।

    • नकारात्मक विचारों पर ध्यान देना शुरू करें ताकि आप उनसे आसानी से निपट सकें और मौजूद लम्हों का आनंद ले सकें। यदि आपके दिमाग में कोई नकारात्मक विचार आएं तो उन्हें स्वीकार करें, उन्हें नकारात्मक विचार का लेबल करें और फिर उन्हें निकाल दें।
    • अपने आस-पास की छोटी-छोटी चीज़ों पर ध्यान देने की आदत डालें। आपकी त्वचा को छूने वाली सूरज की किरणें, नंगे पांव चलते समय महसूस होती ज़मीन या रेस्तरां में लगी चित्रकारी को सराहें। ऐसी चीज़ों पर ध्यान देने से आप अपने भटकते दिमाग को शान्त कर सकते हैं और हर लम्हे को सराह सकते हैं।


    2. अपने जीवन की तुलना दूसरों के जीवन के साथ न करें: दुर्भाग्य-वश, बहुत से लोग अपनी सफलता की तुलना अपने आस-पास के लोगों की सफलता से करते हैं। यदि आप मुकम्मल और खुश होना चाहते हैं, तो अपने जीवन की तुलना दूसरों के जीवन के साथ करना बंद करें।

    • बहुत से लोग अपने जीवन की विफलता की तुलना दूसरे लोगों के जीवन की सफलता से करते हैं। याद रखें कि दूसरों का जीवन हमें चाहे जितना भी सम्पूर्ण लगे, परंतु हर कोई अपने जीवन में ट्रेजडी, असुरक्षित, और दूसरी कठिनाइयों का सामना करते हैं, जो हमें दिखाई नहीं देता है।
    • अपने जीवन की तुलना अपने से “बेहतर लोगों” से करने के बजाय, उन लोगों के बारे में सोचें जो बेघर हैं, लम्बे समय से बीमार है या जो गरीबी में रह रहे हैं। ऐसा करने से आपको अपने जीवन को कोसने के बजाय, जो आपके पास है उन्हें सराहने में मदद मिलेगी।


    3. अपने जीवन में मिलें सुख का शुक्रिया अदा करें: आपने जीवन में कितना कुछ प्राप्त किया है, इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ता है, और आप हमेशा इस बात को लेकर दुखी होते हैं, जो आपके पास नहीं है। इसके बजाय, आपके पास जो है, उसमें संतुष्ट हो जाएं। भौतिक चीज़ों से परे सोचें, अपने प्रियजनों को सराहें और खुशनुमा लम्हों को याद करें।
    4. अपनी सेहत का ध्यान रखें: शरीर स्वस्थ रहने से, आपका दिल और दिमाग भी स्वस्थ रहते है। संतुलित आहार का सेवन करें, और ध्यान रखें कि आप आवश्यक पोषक तत्वों को नजरंदाज नहीं कर रहे हैं। स्वास्थ्य संबंधित आने वाली समस्याएं, जैसे एनर्जी की कमी या एकाग्रता का अभाव, और उसका इलाज के लिए अपने डाक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट या किसी स्वस्थ विशेषज्ञ से मिलें। अच्छे से व्यायाम करें, परंतु व्यायाम जो आपको नापसंद है, उन्हें सिर्फ इसलिए न करें कि वह करने हैं, बल्कि ऐसे व्यायाम करें जो आपके पसंदीदा है।

    खुद को सही वातावरण में ढालें

    1. वातावरण: हमारे आस-पास का वातावरण हम पर और हमारे होश (अवचेतन और अचेतन) पर काफी हद तक असर डालता है। इनमें जिस जगह हम रहते हैं, हमारे दोस्त, जो भी हम पढ़ते हैं, जिन लोगों को हम देखते हैं, ऐसी बहुत सी बातें शामिल है। वातावरण संक्रामक होता है। थॉमस ए. एडिसन ने कहा था कि वह एक सफल आविष्कारक इसलिए बन पाए क्योंकि वह ऐसे लोगों के साथ थे जो उनसे कई ज़्यादा होशियार थे और [१] फिर वह उनसे सीख पाएं। ज्यादातर हम अपनी सोच को[२] वातावरण के अधीन करते है।

    • इस परीक्षण को करने की कोशिश करें। कुछ समय के लिए ऐसे लोगों के साथ मिल जाएं, जो जूआ खेलते हैं, या वह सब करते जिसमें उनकी दिलचस्पी हो, और फिर अपने विचार और भावनाओं को जाँचें करें। संभवतः आपकी सोच उस वातावरण के अधीन हो जाएगी, जिस वातावरण में आप फिलहाल है। क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब आप किसी सुंदर झील या सुंदर कुदरती वातावरण में जाते हैं तो आप भी निर्मल और शांत महसूस करने लगते है?

    2. दीर्घ-वातावरण (Macro-Environment): जिस स्थिति में हम सबसे ज़्यादा अपना समय व्यतीत करते हैं वह दीर्घ-वातावरण (Macro-Environment) कहलाता है। जिस जगह पर आप रहते है, जहाँ काम करते है, जिन दोस्तों के साथ सबसे ज़्यादा समय व्यतीत करते है इत्यादि। यह सब दीर्घ-वातावरण के भाग है। सफल बनने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपने आप को इस वातावरण में ढालें ताकि आप लगातार प्रेरित रहें। इसमें आप भी शामिल है, यदि आप खुद के साथ ज़्यादा समय बिताते हैं, (तो यहाँ आप खुद एक वातावरण है) और यदि आपका दिमाग प्रतिक्रियाशील है तो आपकी सोच भी प्रतिक्रियाशील होगी जब तक आप अपना वातावरण बदल न दें।
    3. सूक्ष्म-वातावरण (Micro-Environment): ऐसी स्थिति जहां हम अपना अधिक समय नहीं बिताते हैं, जैसे, कॉफ़ी-शॉप, वह लोग जिनको आप केवल नमस्ते करते हैं, पंसारी की दुकान, बार में मिलने वाले नए लोग इत्यादि। यह आप पर दीर्घकालीन प्रभाव नहीं डालते हैं, जब तक आप इन्हें दीर्घ-वातावरण में न बदल दें।

    सलाह

    • जिस भी चीज़ से आपको प्रेरणा मिलती है उससे अपने आप को प्रेरित रखें: संगीत, फोटोग्राफी, फैशन इत्यादि। एक सही प्रेरणा आपके कुछ करने की इच्छा को ज़्यादा प्रोत्साहित करेगी।
    • अपने जीवन में सकारात्मक रोल-मॉडल्स होने से आप प्रेरित रहते हैं और आपको वह सही दिशा में जाने के लिए मदद करते हैं। आपके रोल-मॉडल्स आपके जानने वाले हो भी सकते हैं या नहीं भी हो सकते। अपने रोल-मॉडल के जीवन के बारे में जानिए और उनकी जीवन शैली को अपनाने की कोशिश करें।

    चेतावनी

    • दूसरों की उन्नति से ईर्ष्या न करें, बल्कि ऊँची मंज़िलों तक पहुँचने के लिए कड़ा परिश्रम करें।