24 जन॰ 2017

Updesh Slokas (उपदेश श्लोक)

By: Successlocator On: जनवरी 24, 2017
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  • आस्ते भग आसीनस्योर्ध्वस्तिष्ठति तिष्ठतः । शेते निपद्यमानस्य चराति चरतो भगश्चरैवेति ॥

     भावार्थ :
    जो मनुष्य बैठा रहता है, उसका सौभाग्य (भग) भी रुका रहता है । जो उठ खड़ा होता है उसका सौभाग्य भी उसी प्रकार उठता है । जो पड़ा या लेटा रहता है उसका सौभाग्य भी सो जाता है । और जो विचरण में लगता है उसका सौभाग्य भी चलने लगता है । इसलिए तुम विचरण ही करते रहो ।
    न दैवमपि सञ्चित्य त्यजेदुद्योगमात्मनः । अनुद्योगेन कस्तैलं तिलेभ्यः प्राप्तुमर्हति ॥

     भावार्थ :
    दैव यानी भाग्य का विचार करके व्यक्ति को कार्य-संपादन का अपना प्रयास त्याग नहीं देना चाहिए । भला समुचित प्रयास के बिना कौन तिलों से तेल प्राप्त कर सकता है ?
    वाक्सायका वदनान्निष्पतन्ति यैराहतः शोचन्ति रात्र्यहानि । परस्य नामर्मसु ते पतन्ति तान् पण्डितो नावसृजेत परेषु ॥

     भावार्थ :
    कठोर वचन रूपी बाण दुर्जन लोगों के मुख से निकलते ही हैं, और उनसे आहत होकर अन्य जन रातदिन शोक एवं चिंता के घिर जाते हैं । स्मरण रहे कि ये वाग्वाण दूसरे के अमर्म यानी संवेदनाशून्य अंग पर नहीं गिरते, अतः समझदार व्यक्ति ऐसे वचन दूसरों के प्रति न बोले ।
    नारुन्तुदः स्यान्न नृशंसवादी न हीनतः परमभ्याददीत । ययास्य वाचा पर उद्विजेत न तां वदेदुषतीं पापलोक्याम् ॥

     भावार्थ :
    दूसरे के मर्म को चोट न पहुंचाए, चुभने वाली बातें न बोले, घटिया तरीके से दूसरे को वश में न करे, दूसरे को उद्विग्न करने एवं ताप पहुंचाने वाली, पापी जनों के आचरण वाली बोली न बोले ।
    अबुद्धिमाश्रितानां तु क्षन्तव्यमपराधिनाम् । न हि सर्वत्र पाण्डित्यं सुलभं पुरुषेण वै ॥

     भावार्थ :
    अनजाने में जिन्होंने अपराध किया हो उनका अपराध क्षमा किया जाना चाहिए, क्योंकि हर मौके या स्थान पर समझदारी मनुष्य का साथ दे जाए ऐसा हो नहीं पाता है । भूल हो जाना असामान्य नहीं, अतः भूलवश हो गये अनुचित कार्य को क्षम्य माना जाना चाहिए ।
    सद्भिः पुरस्तादभिपूजितः स्यात् सद्भिस्तथा पृष्ठतो रक्षितः स्यात् । सदासतामतिवादांस्तितिक्षेत् सतां वृत्तं चाददीतार्यवृत्तः ॥

     भावार्थ :
    व्यक्ति के कर्म ऐसे हों कि सज्जन लोग उसके समक्ष सम्मान व्यक्त करें ही, परोक्ष में भी उनकी धारणाएं सुरक्षित रहें । दुष्ट प्रकृति के लोगों की ऊलजलूल बातें सह ले, और सदैव श्रेष्ठ लोगों के सदाचारण में स्वयं संलग्न रहे ।
    दन्तकाष्ठस्य खेटस्य विसर्जनमपावृतम् । नेष्टं जले स्थले भोग्ये मूत्रादेश्चापि गर्हितम् ॥

     भावार्थ :
    दातौन एवं कफ थूकने के पश्चात् उसे ढक देना चाहिए । इतना ही नहीं पानी, सार्वजनिक भूमि एवं आवासीय स्थल पर मूत्र आदि का त्याग निंदनीय कर्म है, अतः ऐसा नहीं करना चाहिए ।
    मुखपूरं न भुञ्जीत सशब्दं प्रसृताननम् । प्रलम्बपादं नासीत न बाहू मर्दयेत् समम् ॥

     भावार्थ :
    मुंह में ठूंसकर, चप-चप जैसी आवाज के साथ एवं मुख पूरा फैलाकर भोजन नहीं करना चाहिए । पैर फैलाकर बैठने से भी बचे और दोनों बांहों को साथ-साथ न मरोड़े ।
    नाङ्गुल्या कारयेत् किञ्चिद् दक्षिणेन तु सादरम् । समस्तेनैव हस्तेन मार्गमप्येवमादिशेत् ॥

     भावार्थ :
    रास्ते के बारे में पूछने वाले पथिक को उंगली के इशारे से संकेत नहीं देना चाहिए, बल्कि समूचे दाहिने हाथ को धीरे-से समुचित दिशा की ओर उठाते हुए आदर के साथ रास्ता दिखाना चाहिए ।
    अथ चेद् बुद्धिजं कृत्वा ब्रूयुस्ते तदबुद्धिजम् । पापान् स्वल्पेऽपि तान् हन्यादपराधे तथानृजून् ॥

     भावार्थ :
    अब यदि बुद्धि प्रयोग से यानी सोच-समझकर अपराध करने के बाद वे तुमसे कहें कि अनजाने में ऐसा हो गया है, तो ऐसे मृथ्याचारियों को थोड़े-से अपराध के लिए भी दण्डित किया जाना चाहिए ।

    23 जन॰ 2017

    कामयाब बिजनेसमैन कैसे बने सफल व्यवसायी बनने के टिप्स- HOW TO BECOME A SUCCESSFUL BUSINESSMAN

    By: Successlocator On: जनवरी 23, 2017
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  • एक कामयाब बिज़नसमैन बनना कौन नहीं चाहता है कामयाबी हर किसी को पसंद होती है लेकिन सफलता हर किसी को नहीं मिलती. हम में से बहुत से लोगो ने कभी न कभी अपना व्यवसाय शुरू करने का सपना तो अवश्य ही देखा होगा और ये सोचा होगा की क्या हमारे लिए बिज़नस करना सही होगा या नहीं. कोई भी काम शुरू करना इतना आसान नहीं होता है जितना की हमें लगता है.
    कामयाब व्यवसायी बनने के लिए शिक्षा और कौशल क्या होना चाहिए(what is the qualification of business

    वैसे तो कोई भी व्यापार करने के लिए कोई कास डिग्री की जरूरत नहीं होती है कोई भी बिज़नेस शुरू करने के लिए या अपने बिज़नेस ज्ञान को बढ़ाने के लिए आप बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और मास्टर ऑफ़ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन कर सकते है.

    एक सफल व्यवसायी (businessman) बनने के लिए क्या गुण होने चाहिए(Qualities of successful businessman)

    सफल व्यवसायी बनने के लिए आपमें निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए(Quality to take decision)


    किसी भी काम को करने के लिए योजना बनाना बहुत ही जरूरी होता है योजना बनाकर काम करने काम में सफलता तो मिलती ही है साथ ही काम करने में सुविधा भी होती है.अगर आप कोई भी व्यवसाय शुरू करना  चाहतें है तो आपमें निर्णय लेने का गुण होना चाहिए.
    सफल बिजनेसमैन बनने के लिए सही व्यवसाय का चुनाव करना चाहिए(Choose to right business)

    आगे बढ़ने के लिये सही जगह या व्यवसाय का होना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। जब आप सही व्यवसाय और क्षेत्र का चुनाव करते है तो आपको आपके व्यवसाय में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको अपने मनपसंद कार्य क्षेत्र को चुनना चाहिए.

    अपने व्यवसाय के प्रति आपको समर्पित रहना चाहिए(Quality of dedication)

    आपको अपने व्यवसाय में दुसरो से अधिक विस्वास रखना चाहिए अगर आपमें आपके व्यवसाय के प्रति पैशन तो आप किसी भी परेसानी का सामना कर सकते है. एक सफल बिजनेसमैन बनने के लिए आपको अपने काम के प्रति समर्पित होना चाहिए
    सफल बिजनेसमैन बनने के लिए बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने की कोशिश करे( See big dream and achieve it)

    एक सफल व्यवसायी बनना इस बात पर निर्भर करता है की आप अपने व्यवसाय में कितना मन लगाते है अगर आप बिज़नस करते है तो उसे कैसे दुगना करना है इस बारे में भी सोचे और इसके लिए खूब मेहनत करे.

    सफल व्यवसायी बनने के कुछ अन्य गुण(Some other qualities are successful businessman)


    • काम की टाइमिंग का ध्यान रखे
    • अपनी सफलता को सेलिब्रेट करे
    • अपने खर्चो को बेहतर तरीके से मैनेज करे
    • अपना बेस्ट देने की कोशिश करे
    • सब पर विश्वास करे किसी पर निर्भर न रहे

    अगर आप भी सफल व्यवसायी बनना चाहते है तो आप भी ये कुछ आसान टिप्स अपना सकते है.

    18 जन॰ 2017

    संस्कृत श्लोक -2-sanskrit shlok 2

    By: Successlocator On: जनवरी 18, 2017
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  • सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्याऽभ्यासेन रक्ष्यते । मृज्यया रक्ष्यते रुपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते ॥

     भावार्थ :
    धर्म का रक्षण सत्य से, विद्या का अभ्यास से, रुप का सफाई से, और कुल का रक्षण आचरण करने से होता है ।
    सत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः । सत्येन वायवो वान्ति सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम् ॥

     भावार्थ :
    सत्य से पृथ्वी का धारण होता है, सत्य से सूर्य तपता है, सत्य से पवन चलता है । सब सत्य पर आधारित है ।
    नास्ति सत्यसमो धर्मो न सत्याद्विद्यते परम् । न हि तीव्रतरं किञ्चिदनृतादिह विद्यते ॥

     भावार्थ :
    सत्य जैसा अन्य धर्म नहीं । सत्य से पर कुछ नहीं । असत्य से ज्यादा तीव्रतर कुछ नहीं ।
    सत्यमेव व्रतं यस्य दया दीनेषु सर्वदा । कामक्रोधौ वशे यस्य स साधुः – कथ्यते बुधैः ॥

     भावार्थ :
    'केवल सत्य' ऐसा जिसका व्रत है, जो सदा दीन की सेवा करता है, काम-क्रोध जिसके वश में है, उसी को ज्ञानी लोग 'साधु' कहते हैं ।
    सत्यमेव जयते नानृतम् सत्येन पन्था विततो देवयानः । येनाक्रमत् मनुष्यो ह्यात्मकामो यत्र तत् सत्यस्य परं निधानं ॥

     भावार्थ :
    जय सत्य का होता है, असत्य का नहीं । दैवी मार्ग सत्य से फैला हुआ है । जिस मार्ग पे जाने से मनुष्य आत्मकाम बनता है, वही सत्य का परम् धाम है ।
    सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम् । नासत्यं च प्रियं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः ॥

     भावार्थ :
    सत्य और प्रिय बोलना चाहिए; पर अप्रिय सत्य नहीं बोलना और प्रिय असत्य भी नहीं बोलना यह सनातन धर्म है ।
    नानृतात्पातकं किञ्चित् न सत्यात् सुकृतं परम् । विवेकात् न परो बन्धुः इति वेदविदो विदुः ॥

     भावार्थ :
    वेदों के जानकार कहते हैं कि अनृत (असत्य) के अलावा और कोई पातक नहीं; सत्य के अलावा अन्य कोई सुकृत नहीं और विवेक के अलावा अन्य कोई भाई नहीं ।
    अग्निना सिच्यमानोऽपि वृक्षो वृद्धिं न चाप्नुयात् । तथा सत्यं विना धर्मः पुष्टिं नायाति कर्हिचित् ॥

     भावार्थ :
    अग्नि से सींचे हुए वृक्ष की वृद्धि नहीं होती, जैसे सत्य के बिना धर्म पुष्ट नहीं होता ।
    ये वदन्तीह सत्यानि प्राणत्यागेऽप्युपस्थिते । प्रमाणभूता भूतानां दुर्गाण्यतितरन्ति ते ॥

     भावार्थ :
    प्राणत्याग की परिस्थिति में भी जो सत्य बोलता है, वह प्राणियों में प्रमाणभूत है । वह संकट पार कर जाता है ।
    सत्यहीना वृथा पूजा सत्यहीनो वृथा जपः । सत्यहीनं तपो व्यर्थमूषरे वपनं यथा ॥

     भावार्थ :
    उज्जड जमीन में बीज बोना जैसे व्यर्थ है, वैसे बिना सत्य की पूजा, जप और तप भी व्यर्थ है ।
    भूमिः कीर्तिः यशो लक्ष्मीः पुरुषं प्रार्थयन्ति हि । सत्यं समनुवर्तन्ते सत्यमेव भजेत् ततः ॥

     भावार्थ :
    भूमि, कीर्ति, यश और लक्ष्मी, सत्य का अनुसरण करनेवाले पुरुष की प्रार्थना करते हैं । इस लिए सत्य को हि भजना चाहिए ।
    सत्यं स्वर्गस्य सोपानं पारावरस्य नौरिव । न पावनतमं किञ्चित् सत्यादभ्यधिकं क्वचित् ॥

     भावार्थ :
    समंदर के जहाज की तरह, सत्य स्वर्ग का सोपान है । सत्य से ज़ादा पावनकारी और कुछ नहीं ।
    सत्येन पूयते साक्षी धर्मः सत्येन वर्धते । तस्मात् सत्यं हि वक्तव्यं सर्ववर्णेषु साक्षिभिः ॥

     भावार्थ :
    सत्य वचन से साक्षी पावन बनता है, सत्य से धर्म बढता है । इस लिए सभी वर्णो में, साक्षी ने सत्य हि बोलना चाहिए ।
    तस्याग्निर्जलमर्णवः स्थलमरिर्मित्रं सुराः किंकराः कान्तारं नगरं गिरि र्गृहमहिर्माल्यं मृगारि र्मृगः । पातालं बिलमस्त्र मुत्पलदलं व्यालः श्रृगालो विषं पीयुषं विषमं समं च वचनं सत्याञ्चितं वक्ति यः ॥

     भावार्थ :
    जो सत्य वचन बोलता है, उसके लिए अग्नि जल बन जाता है, समंदर जमीन, शत्रु मित्र, देव सेवक, जंगल नगर, पर्वत घर, साँप फूलों की माला, सिंह हिरन, पाताल दर, अस्त्र कमल, शेर लोमडी, झहर अमृत, और विषम सम बन जाते हैं ।

    16 जन॰ 2017

    रिस्क लेने वाला ही बनता है सफल बिजनेसमैन

    By: Successlocator On: जनवरी 16, 2017
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  • आप यदि सफल बिजनेसमैन बनना चाहते है तो दुनिया की भी मत सुनो, खासतौर से अपने संबंधियों और अपने अभिभावकों की तो बिलकुल न सुनो। इसके लिए रिस्क लेने की क्षमता होनी चाहिए। फेल होना आपकी असफलता नहीं है बल्कि आपकी सफलता की कहानी है। यह कहना है विश्व के प्रसिद्ध जर्नलिस्ट हिंडोल सेनगुप्ता का।

    वह सीआइआइ और यंग इंडियंस ट्राईसिटी चैप्टर द्वारा सेक्टर-31 हेडक्वार्टर में आयोजित एक लर्निग सेशन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्टीव जॉब्स ने अपने संबंधियों को स्मार्ट फोन और कंप्यूटर बनाने के बारे में बताया तो सभी ने विरोध किया। कौन जानता था कि वह छह इंडस्ट्री में एकदम चेंज ला देंगे। पर्सनल कंप्यूटर, एनीमेटेड मूवी, म्यूजिक, फोन और टेबलेट कंप्यूटिंग और डिजिटल पब्लिशिंग में उनका अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि मैं पावर ऑफ इकोनामी में विश्वास करता हूं। इंटरप्रेन्योरशिप वास्तव में देश के विकास के लिए सबसे आवश्यक है।

    सेन गुप्ता सीआइआइ वाइआइ के सेशन में कश्मीर से कन्याकुमारी तक के लिए की गई स्टडी की किताब रिकास्टिंग इंडिया-हाउ इंटरप्रेन्योर रेवोल्यूशनाइजिंग द व‌र्ल्ड लार्जेस्ट डेमोक्रेसी के लांच के मौके पर आए थे। इसमें चंडीगढ़ के गौरी सिंह की स्टोरी भी है। गौरी सिंह ने इंडस्ट्री की काफी मदद की है। गौरी सिंह ने तीन हजार महिलाओं को ट्रेड किया और अब तक उनके दो हजार क्लाइंट हैं।

    उन्होंने कहा कि भारत में 1.2 बिलियन लोगों में से सिर्फ एक मिलियन लोग इंटरप्रेन्योरशिप के संबंध में सोचते है। हमारे पास समस्याएं है लेकिन उनका सोल्यूशन नहीं। इसको पूरा करने के लिए एक मिलियन युवा इंटरप्रेन्योर कास्ट और जेंडर संबंधित इश्यू पर काम कर रहे है।

    13 जन॰ 2017

    Andrew Carnegie की कहानी जिसने सफलता की परिभाशा ही बदल दी।

    By: Successlocator On: जनवरी 13, 2017
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  • स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि दुनिया में तीन तरह के लोग होते हैं –
    1 . ये वो हैं जो समय के साथ खुद को नहीं बदलते और पिछड़ जाते हैं ,
    2. ये वो लोग हैं वो समय के साथ खुद को बदल लेते हैं और आगे बड़ जाते हैं
    3. ये वो लोग हैं जो समय के अनुसार नहीं बदलते बल्कि समय को ही अपने अनुसार बदल देते हैं और इन्हीं को युगपुरुष कहा जाता हैं जो सदियों में एक बार जन्म लेते हैं ।

    Andrew Carnegie ये नाम है उस शख्स का जिसे स्टील टाइकून(स्टील किंग) कहा जाता है । जो अपने धैर्य और परिश्रम की वजह से दुनियां के सबसे अमीर आदमी बने । इनका जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था जिनके पास दो वक्त का खाना जुटाने के लिए भी पैसे नहीं थे और केवल एक कमरे का घर था । ये स्कॉटलैंड के रहने वाले थे लेकिन गरीबी और भुखमरी की वजह से ये लोग काम की तलाश में अमेरिका आ गए । घर की दरिद्रता की वजह से ऐन्ड्रू की पढ़ाई भी नहीं हो पायी और 13 साल की छोटी सी उम्र में घर घर का भार सँभालने की जिम्मेदारी कन्धों पे आ गयी ।
    13 साल के ऐन्ड्रू ने एक कपड़े बनाने की फैक्ट्री में छोटी सी नौकरी कर ली जहाँ उसे 12 घंटे और सातों दिन कठिन परिश्रम करना पढता , लेकिन जिस इंसान में लगन होती है वही कोयले से हीरा बनाने का माद्दा रखते हैं । ऐन्ड्रू काम से समय निकाल कर सफल लोगों की कहानियां पढता था उनसे प्रेरणा लेता था । धीरे -धीरे समय बीतता गया , ऐन्ड्रू ने कुछ दिन बाद एक पोस्टमैन की नौकरी भी की । शहर में बड़ी लाइब्रेरी थी जहाँ किताबों का विशाल संकलन था । ऐन्ड्रू वक्त निकाल कर लाइब्रेरी में पढता रहता था । यहाँ उसने कुछ इंटस्ट्री और बिज़निस के बारे में सीखा , नौकरी करते हुए कुछ पैसे इकट्ठे किये और धीरे धीरे स्टील बनाने वाली कम्पनीयों में इन्वेस्ट करने लगे जिससे उन्हें अच्छी इनकम हो जाती थी इसी तरह समय का चक्र चलता गया और फिर ऐन्ड्रू ने एक दिन अपनी खुद की कंपनी बनाने की सोची ।

    यही सोचकर Carnegie Steel Corporation नाम की एक कंपनी की स्थापना की शुरुआत में कंपनी औसत रही लेकिन ये ऐन्ड्रू कार्नेगी की मेहनत और लगन का ही नतीजा था की कुछ ही सालो में ऐन्ड्रू स्टील किंग बन गए और बहुत जल्द उन्हें Builders of America का अवार्ड मिला । एक समय था जब ऐन्ड्रू कार्नेगी की अकेली कंपनी पूरे ब्रिटेन से ज्यादा स्टील उत्पादन करती थी । और इसी लगन ने एक दिन ऐन्ड्रू को बना दिया “दुनिया का सबसे अमीर इंसान “, 1889 में ऐन्ड्रू कार्नेगी को दुनिया का सबसे अमीर इंसान घोषित किया गया ।
    अपनी लगन और परिश्रम से ऐन्ड्रू ने इतिहास को बदल कर रख दिया जिस व्यक्ति का परिवार एक समय भुखमरी से जूझा हो उसके लिए दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनना एक मिशाल पेश करने से काम नहीं हैं ।

    तो मित्रों दृंढ निश्चय और मेहनत से पहाड़ो का भी सीना चीरा जा सकता है बस जरुरत है अपने आत्मविश्वाश को जगाने की

    12 जन॰ 2017

    अगर सफल होना है तो लोगों की परवाह करना छोड़ दो|

    By: Successlocator On: जनवरी 12, 2017
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  • दोस्तों असफलता अपनी मंजिल को पाने का एक महत्वपूर्ण पहलू है. अगर हमें सफल होना है तो अपनी असफलताओं का डट कर मुकाबला करना होगा. आप दुनिया के कितने भी अच्छे से अच्छे काम की शुरुआत करने की कोशिश कीजिये, आपको कोई न कोई तो उसके बारे में नकारात्मक विचार देने वाला मिल ही जायेगा. अपनी जिन्दगी के सफ़र में हमारा कई बार असफलताओं से सामना हो सकता है. इस दौरान हम यह सोच कर कि लोग हमारे बारे में क्या कहेंगे, हमारी इज्जत का क्या होगा, रिश्तेदारों को हम क्या जबाब देंगे, हम मानसिक तनाव तो झेलते ही है साथ ही साथ हम अपने जीवन का भी नाश कर लेते हैं.

    अगर आगे बढ़ना है तो ये मत सोचो की लोग क्या कहेंगे? सीधी सी बात है दोस्तों अगर सफल होना है तो लोगो की परवाह करना छोड़ दो. जो आपको अच्छा और सच्चा लगे बस वही काम करते रहो. मैं यह नहीं कहता कि हमें किसी की राय नहीं लेनी चाहिए या फिर किसी का सुझाव नहीं मानना चाहिए, बल्कि हमें हर एक व्यक्ति के विचार सुनने चाहिए और जो विचार हमें अच्छे और सच्चे लगे उन्हें अपने जीवन में, अपने काम में अपना लेने चाहिए. लेकिन दोस्तों बहुत बार देखा जाता है कि हम दूसरों की बातों से  निरासा के जाल में घिर जाते हैं.
    इस बात को अच्छे से समझने के लिए ये कहानी जरुर पढ़ें और उसके बाद मैं अपनी कुछ personal experience share करने की कोशिश करूँगा. उम्मीद है आप लोगों को मेरी यह कोशिश ज़रूर पसंद आएगी.

    एक बार रामलाल नाम का व्यक्ति अपने बेटे को गधे पर बैठा कर कहीं जा रहा था. कुछ दूर चलने पर उन्हें दो लोगो को आपस में बात करते हुए दिखाई दिए वो कह रहे थे “देखो भाई आज कल क्या जमाना आ गया है. बेटा मजे से गधे पर सवारी कर रहा है और बाप पैदल चल रहा है.”

    दुसरे ने कहा “हां भाई अब बच्चों में पहले जैसे संस्कार कहाँ.”

    यह सब सुन कर रामलाल ने तुरंत अपने बेटे को गधे से नीचे उतार दिया और खुद उस गधे पर बैठ गये और चलने लगे. कुछ दूर चलने के बाद रामलाल को कुछ महिलाएं यह कहते हुए सुनाई दी कि “अरे! ये देखो कितना बुरा बाप, खुद तो गधे पर बैठा है और बेचारे बच्चे को पैदल चला रहा है.”


    महिलाओं की बात सुन कर रामलाल ने अपने बेटे को भी अपने साथ गधे पर बैठा लिया और आगे चलने लगे. कुछ दूर चलने पर उन्हें एक बुजुर्ग व्यक्ति मिला और रामलाल को कहने लगा “अरे मुर्ख व्यक्ति! तुम्हे शर्म नही आती है? एक बेजान प्राणी पर दोनों बाप-बेटा बैठे हो. इस बेचारे गधे पर कुछ तो दया करो.” उस बुजुर्ग की बातें सुनकर रामलाल का दिमाग खराब होने लगा. फिर उसने सोचा कि अब हम दोनों पैदल ही चलेंगे. फिर दोनों बाप और बेटा गधे के साथ पैदल ही चलने लगे. वो तीनो कुछ दूर ही चले थे कि रामलाल को कुछ लोग उन पर जोर-जोर से हँसते हुए दिखाई दिए और कह रहे थे कि “ये देखो दुनिया के सबसे बड़े मुर्ख जो इतना अच्छा गधा होते हुआ भी दोनों पैदल चल रहे है.”


    तो दोस्तों इस कहानी का एक मात्र आशय ही की आपको समझाना दुनिया की परवाह किये बिना जो आपका दिल कहे करिये ।और आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी

    "जब जब जिस पर दुनिया हसी है तब तब उसी ने इतिहास रचा है"।

    11 जन॰ 2017

    व्यापर कम पूँजी में -Business Ideas in Hindi with Low Investment

    By: Successlocator On: जनवरी 11, 2017
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  • Delhi के 29 वर्षीय शांतनु देशपांडे ने अपनी चीन की नौकरी छोड़कर अगस्त २०१5 में अपनी कम्पनी शुरू की जो शेविंग उत्पादकों को online बेचती है. इस कंपनी में अब तक २३ निवेशक से १5 करोड़ कनिवेश मिल चूका है. देशपांडे ऐसे Indian Businessman में से हैं जिनको अलग रास्तो में निकलने में डर नहीं लगता | अब कारोबारी का मतलब सूट बूट में तैयार कोई 5० साल का वक्ती नहीं बल्कि २०-३० साल का मामूली सा दिखने वाला लड़का भी हो सकता है जो रिस्क लेने से नहीं डरता| India में daily 4 startup  जन्म ले आरहे हैं |सबसे ज़यदा जिन स्टार्टअप की चर्चा है वो ecommerce के फील्ड में से हैं|
    Pune based company  teknovance को २०१२ में २5 वर्षीय प्रसाद गुन्देचा ने शुरू किआ था जो अब २ करोड़ की कंपनी बन गई जिसका काम मकानो में इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों को लगाना है.
    कुछ एक दशक पहले जब लोग सरकारी नौकरी करने का सपना देखते थे वही आज के युवा अपना Business Start करने में लगे हैं
    ऐसे ही इन युवाओ में आकाश छूने की ख्वाइश है २४ वर्षीय नकुल खन्ना गूगल में नौकरी करते थे . अगस्त २०१५ में अपनी गूगल की नौकरी छोड़कर २ startup में अपना ध्यान लगाया | पहला इंसटागो एक ऐसा एग्रीगेटर अप्प जो ग्लैक्सी सेवाओ की सूचि दे देता है. और दूसरा customized यानि ग्राहक की पसंद के हिसाब से  टीशर्ट बना देता है | डेल्ही यूनिवर्सिटी से बिज़नेस स्टडी में स्नातक करने वाले खन्ना कहते हैं ” मुझे दोस्तों और परिवार का दवाव झेलना पढ़ा पर मैं जनता हु लम्बी दौड़ में ये जोखिम ही काम आएगा |
    मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन के चेयरमैन टी. वी मोहनदास मानते हैं की २०२५ तक भारत में १ लाख startup काम कर रहे होंगे जिनसे ५०० अरब डॉलर का कारोबार पैदा हो रहा होगा |
    कुछ नए कारोबार के बढ़े Businessmen
    1. Paytm
    2.Flipkart
    3.Snapdeal
    4.Pepperfry
    5.Shopclues
    एक दिन  में यात्रा के दौरान एक जगह से जा रहा था वहां मैंने एक पेट्रोल पम्प देखा | उस पेट्रोल पम्प पर बाकि पेट्रोल पम्प की अपेछा बहुत भीड़ थी | लेकिन तोड़ी देर में ही में समझ गया यहां इतनी भीड़ क्यों है |इसकी वजह थी की पेट्रोल पम्प पर बिना कहे गाड़ी की हवा चेक करने लग गए |बाहर का शीशा साफ करके वह कर्मचारी मेरे पास आया और कहने लगा आज बहुत धूल चल रही है क्या में गाड़ी का  अंदर का शीशा भी साफ़ कर दू | जल्दी और अच्छे तरीके से उसने अंदर की सफाई भी कर दी. किसी और पेट्रोल पम्प वालो का इस तरफ ध्यान ही नहीं जाता |

    इस छोटी सी बात से न की मुझे रात को साफ़ दिखने लगा बल्कि मुझे वह पेट्रोल पम्प याद रहा | जब कभी भी में उस तरफ जाता हु तो उसी पेट्रोल पम्प पर जाता हु |में जब भी उस पेट्रोल पम्प पर पंहुचा चाहे वह सुबह के ४ बज रहे हो वहां बहुत सारी कार खड़ी थी |जब में यहां आया था तो यहां का अटेंडेंट यह सोच सकता था | यह वयक्ति बाहर का है | दुबारा यहां लौटकर नहीं आएगा . इसकी तरफ ज़्यदा ध्यान देने का क्या फायदा यह तो सिर्फ एक बार का ग्राहक है |पर उसने ऐसा नहीं सोचा | उस पेट्रोल पम्प पर पहले Service  की जाती है फिर Profit के बारे में सोचा जाता है |यही कारण है की वह पेट्रोल पम्प इतना Successful है . जबकि आस पास के पेट्रोल पम्प खाली पढ़े रहते हैं |जब वह पहली बार में मेरी कार के शीशे साफ़ कर रहे थे तो उन्होंने पैसे का एक बीज बोदिया |सेवा को महत्त्व दो और पैसा अपने आप आपके पास आ जायेगा ।

    संस्कृत श्लोक - sanskrit shloka

    By: Successlocator On: जनवरी 11, 2017
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  • आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः । नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति ।।

     भावार्थ :
    मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसमे बसने वाला आलस्य हैं । मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र उसका परिश्रम हैं जो हमेशा उसके साथ रहता हैं इसलिए वह दुखी नहीं रहता ।

    यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत् । एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति ॥

     भावार्थ :
    रथ कभी एक पहिये पर नहीं चल सकता हैं उसी प्रकार पुरुषार्थ विहीन व्यक्ति का भाग्य सिद्ध नहीं होता ।
    जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं , मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति । चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिं , सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम् ॥

     भावार्थ :
    अच्छी संगति जीवन का आधार हैं अगर अच्छे मित्र साथ हैं तो मुर्ख भी ज्ञानी बन जाता हैं झूठ बोलने वाला सच बोलने लगता हैं, अच्छी संगति से मान प्रतिष्ठा बढ़ती हैं पापी दोषमुक्त हो जाता हैं । मिजाज खुश रहने लगता हैं और यश सभी दिशाओं में फैलता हैं, मनुष्य का कौन सा भला नहीं होता ।
    अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥

     भावार्थ :
    तेरा मेरा करने वाले लोगो की सोच उन्हें बहुत कम देती हैं उन्हें छोटा बना देती हैं जबकि जो व्यक्ति सभी का हित सोचते हैं उदार चरित्र के हैं पूरा संसार ही उसका परिवार होता हैं ।
    पुस्तकस्था तु या विद्या ,परहस्तगतं च धनम् । कार्यकाले समुत्तपन्ने न सा विद्या न तद् धनम् ॥

     भावार्थ :
    किताबों मे छपा अक्षर ज्ञान एवम दूसरों को दिया धन यह दोनों मुसीबत में कभी काम नहीं आते ।
    अलसस्य कुतो विद्या , अविद्यस्य कुतो धनम् । अधनस्य कुतो मित्रम् , अमित्रस्य कुतः सुखम् ॥

     भावार्थ :
    जो आलस करते हैं उन्हें विद्या नहीं मिलती, जिनके पास विद्या नहीं होती वो धन नहीं कमा सकता, जो निर्धन हैं उनके मित्र नहीं होते और मित्र के बिना सुख की प्राप्ति नहीं होती ।
    बलवानप्यशक्तोऽसौ धनवानपि निर्धनः । श्रुतवानपि मूर्खोऽसौ यो धर्मविमुखो जनः ॥

     भावार्थ :
    जो व्यक्ति कर्मठ नहीं हैं अपना धर्म नहीं निभाता वो शक्तिशाली होते हुए भी निर्बल हैं, धनी होते हुए भी गरीब हैं और पढ़े लिखे होते हुये भी अज्ञानी हैं ।
    चन्दनं शीतलं लोके ,चन्दनादपि चन्द्रमाः । चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः ॥

     भावार्थ :
    चन्दन को संसार में सबसे शीतल लेप माना गया हैं लेकिन कहते हैं चंद्रमा उससे भी ज्यादा शीतलता देता हैं लेकिन इन सबके अलावा अच्छे मित्रो का साथ सबसे अधिक शीतलता एवम शांति देता हैं ।
    अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् । परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥

     भावार्थ :
    महर्षि वेदव्यास ने अपने पुराण में दो बाते कही हैं जिनमें पहली हैं दूसरों का भला करना पुण्य हैं और दूसरी दुसरो को अपनी वजह से दुखी करना ही पापा है ।
    श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन , दानेन पाणिर्न तु कंकणेन , विभाति कायः करुणापराणां , परोपकारैर्न तु चन्दनेन ॥

     भावार्थ :
    कुंडल पहन लेने से कानों की शोभा नहीं बढ़ती,कानों की शोभा शिक्षा प्रद बातों को सुनने से बढ़ती हैं । उसी प्रकार हाथों में कंगन धारण करने से वे सुन्दर नहीं होते उनकी शोभा शुभ कार्यों अर्थात दान देने से बढ़ती हैं । परहित करने वाले सज्जनों का शरीर भी चन्दन से नहीं अपितु परहित मे किये गये कार्यों से शोभायमान होता हैं ।
    पुस्तकस्था तु या विद्या ,परहस्तगतं च धनम् । कार्यकाले समुत्तपन्ने न सा विद्या न तद् धनम् ॥

     भावार्थ :
    किताबों मे छपा अक्षर ज्ञान एवम दूसरों को दिया धन यह दोनों मुसीबत में कभी काम नहीं आते ।
    सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम् । वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः ॥

     भावार्थ :
    जल्दबाजी में कोई कार्य नहीं करना चाहिए क्यूंकि बिना सोचे किया गया कार्य घर में विपत्तियों को आमंत्रण देता हैं । जो व्यक्ति सहजता से सोच समझ कर विचार करके अपना काम करते हैं लक्ष्मी स्वयम ही उनका चुनाव कर लेती हैं ।
    वयसि गते कः कामविकारः,शुष्के नीरे कः कासारः। क्षीणे वित्ते कः परिवारः,ज्ञाते तत्त्वे कः संसारः ॥

     भावार्थ :
    आयु बीत जाने के बाद काम भाव नहीं रहता, पानी सूख जाने पर तालाब नहीं रहता, धन चले जाने पर परिवार नहीं रहता और तत्त्व ज्ञान होने के बाद संसार नहीं रहता ।
    दिनयामिन्यौ सायं प्रातः,शिशिरवसन्तौ पुनरायातः। कालः क्रीडति गच्छत्यायुस्तदपि न मुन्च्त्याशावायुः॥

     भावार्थ :
    दिन और रात, शाम और सुबह, सर्दी और बसंत बार-बार आते-जाते रहते है काल की इस क्रीडा के साथ जीवन नष्ट होता रहता है पर इच्छाओ का अंत कभी नहीं होता है ।
    विद्या मित्रं प्रवासेषु ,भार्या मित्रं गृहेषु च । व्याधितस्यौषधं मित्रं , धर्मो मित्रं मृतस्य च ॥

     भावार्थ :
    यात्रा के समय ज्ञान एक मित्र की तरह साथ देता हैं घर में पत्नी एक मित्र की तरह साथ देती हैं, बीमारी के समय दवाएँ साथ निभाती हैं अंत समय में धर्म सबसे बड़ा मित्र होता हैं ।
    सत्संगत्वे निस्संगत्वं,निस्संगत्वे निर्मोहत्वं। निर्मोहत्वे निश्चलतत्त्वं,निश्चलतत्त्वे जीवन्मुक्तिः॥

     भावार्थ :
    सत्संग से वैराग्य, वैराग्य से विवेक, विवेक से स्थिर तत्त्वज्ञान और तत्त्वज्ञान से मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
    मा कुरु धनजनयौवनगर्वं,हरति निमेषात्कालः सर्वं। मायामयमिदमखिलम् हित्वा,ब्रह्मपदम् त्वं प्रविश विदित्वा॥

     भावार्थ :
    धन, शक्ति और यौवन पर गर्व मत करो, समय क्षण भर में इनको नष्ट कर देता है| इस विश्व को माया से घिरा हुआ जान कर तुम ब्रह्म पद में प्रवेश करो ।
    योगरतो वाभोगरतोवा,सङ्गरतो वा सङ्गवीहिनः। यस्य ब्रह्मणि रमते चित्तं,नन्दति नन्दति नन्दत्येव॥

     भावार्थ :
    कोई योग में लगा हो या भोग में, संग में आसक्त हो या निसंग हो, पर जिसका मन ब्रह्म में लगा है वो ही आनंद करता है, आनंद ही करता है ।
    क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी। विद्या कामदुघा धेनु सन्तोषो नन्दनं वनम्॥

     भावार्थ :
    क्रोध यमराज के समान है और तृष्णा नरक की वैतरणी नदी के समान। विद्या सभी इच्छाओं को पूरी करने वाली कामधेनु है और संतोष स्वर्ग का नंदन वन है ।
    लोभमूलानि पापानि संकटानि तथैव च। लोभात्प्रवर्तते वैरं अतिलोभात्विनश्यति॥

     भावार्थ :
    लोभ पाप और सभी संकटों का मूल कारण है, लोभ शत्रुता में वृद्धि करता है, अधिक लोभ करने वाला विनाश को प्राप्त होता है ।
    बालस्तावत् क्रीडासक्त तरुणस्तावत् तरुणीसक्तः। वृद्धस्तावच्चिन्तासक्त परे ब्रह्मणि कोऽपि न सक्तः॥

     भावार्थ :
    बचपन में खेल में रूचि होती है , युवावस्था में युवा स्त्री के प्रति आकर्षण होता है, वृद्धावस्था में चिंताओं से घिरे रहते हैं पर प्रभु से कोई प्रेम नहीं करता है ।
    नलिनीदलगतजलमतितरलम्, तद्वज्जीवितमतिशयचपलम्। विद्धि व्याध्यभिमानग्रस्तं,लोक शोकहतं च समस्तम्॥

     भावार्थ :
    जीवन कमल-पत्र पर पड़ी हुई पानी की बूंदों के समान अनिश्चित एवं अल्प (क्षणभंगुर) है। यह समझ लो कि समस्त विश्व रोग, अहंकार और दु:ख में डूबा हुआ है ।
    धॄति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:। धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्॥

     भावार्थ :
    धर्म के दस लक्षण हैं - धैर्य, क्षमा, आत्म-नियंत्रण, चोरी न करना, पवित्रता, इन्द्रिय-संयम, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना ।
    अभिवादनशीलस्य नित्यं वॄद्धोपसेविन:। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥

     भावार्थ :
    विनम्र और नित्य अनुभवियों की सेवा करने वाले में चार गुणों का विकास होता है - आयु, विद्या, यश और बल ।
    चित्तोद्वेगं विधायापि हरिर्यद्यत् करिष्यति। तथैव तस्य लीलेति मत्वा चिन्तां द्रुतं त्यजेत॥

     भावार्थ :
    चिंता और उद्वेग में संयम रख कर और ऐसा मान कर कि श्रीहरि जो जो भी करेंगे वह उनकी लीला मात्र है, चिंता को शीघ्र त्याग दें ।
    यावद्वित्तोपार्जनसक्त तावन्निजपरिवारो रक्तः। पश्चाज्जीवति जर्जरदेहे, वार्तां कोऽपि न पृच्छति गेहे॥

     भावार्थ :
    जब तक व्यक्ति धनोपार्जन में समर्थ है, तब तक परिवार में सभी उसके प्रति स्नेह प्रदर्शित करते हैं परन्तु अशक्त हो जाने पर उसे सामान्य बातचीत में भी नहीं पूछा जाता है ।
    अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहुभाषते। अविश्वस्ते विश्वसिति मूढ़चेता नराधमः॥

     भावार्थ :
    मनुष्यों में सबसे अधम अर्थात नीच पुरुष वही है, जो बिना बुलाए किसी के यहाँ जाता है और बिना पूछे अधिक बोलता है साथ ही जिसपर विश्वास न किया जाये उसपर भी विश्वास करता है, उसे ही मूढ़, चेता, तथा अधम पुरुष कहा गया है ।
    एकोधर्मः परं श्रेयः क्षमैका शांतिरुत्तमा विद्यैका परमा तृप्तिः अहिंसैका सुखावहा॥

     भावार्थ :
    एक ही धर्म श्रेठ एवं कल्याणकारी होता है । शान्ति का सर्वोत्तम रूप क्षमा है, सबसे बड़ी तृप्ति विद्या से प्राप्त होती है तथा अहिंसा सुख देने वाली है ।
    दर्शने स्पर्शणे वापि श्रवणे भाषणेऽपि वा। यत्र द्रवत्यन्तरङ्गं स स्नेह इति कथ्यते॥

     भावार्थ :
    यदि किसी को देखने से या स्पर्श करने से, सुनने से या बात करने से हृदय द्रवित हो तो इसे स्नेह कहा जाता है ।
    उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्। सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥

     भावार्थ :
    उत्साह श्रेष्ठ पुरुषों का बल है, उत्साह से बढ़कर और कोई बल नहीं है। उत्साहित व्यक्ति के लिए इस लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है ।
    अतितॄष्णा न कर्तव्या तॄष्णां नैव परित्यजेत्। शनै: शनैश्च भोक्तव्यं स्वयं वित्तमुपार्जितम् ॥

     भावार्थ :
    अधिक इच्छाएं नहीं करनी चाहिए पर इच्छाओं का सर्वथा त्याग भी नहीं करना चाहिए। अपने कमाये हुए धन का धीरे-धीरे उपभोग करना चाहिये ।
    पातितोऽपि कराघातै-रुत्पतत्येव कन्दुकः। प्रायेण साधुवृत्तानाम-स्थायिन्यो विपत्तयः॥

     भावार्थ :
    हाथ से पटकी हुई गेंद भी भूमि पर गिरने के बाद ऊपर की ओर उठती है, सज्जनों का बुरा समय अधिकतर थोड़े समय के लिए ही होता है ।
    न ही कश्चित् विजानाति किं कस्य श्वो भविष्यति। अतः श्वः करणीयानि कुर्यादद्यैव बुद्धिमान्॥

     भावार्थ :
    कल क्या होगा यह कोई नहीं जानता है इसलिए कल के करने योग्य कार्य को आज कर लेने वाला ही बुद्धिमान है ।
    नारिकेलसमाकारा दृश्यन्तेऽपि हि सज्जनाः। अन्ये बदरिकाकारा बहिरेव मनोहराः॥

     भावार्थ :
    सज्जन व्यक्ति नारियल के समान होते हैं, अन्य तो बदरी फल के समान केवल बाहर से ही अच्छे लगते हैं ।
    अधमाः धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः । उत्तमाः मानमिच्छन्ति मानो हि महताम् धनम्॥

     भावार्थ :
    निम्न कोटि के लोग केवल धन की इच्छा रखते हैं, उन्हें सम्मान से कोई मतलब नहीं होता है । जबकि एक मध्यम कोटि का व्यक्ति धन और मान दोनों की इच्छा रखता है । और उत्तम कोटि के लोगों के लिए सम्मान हीं सर्वोपरी होता है सम्मान धन से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है ।
    यस्तु सञ्चरते देशान् सेवते यस्तु पण्डितान् । तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि ॥

     भावार्थ :
    वह व्यक्ति जो विभिन्न देशों में घूमता है और विद्वानों की सेवा करता है । उस व्यक्ति की बुद्धि का विस्तार उसी तरह होता है, जैसे तेल का बून्द पानी में गिरने के बाद फैल जाता है ।
    द्वौ अम्भसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम् । धनवन्तम् अदातारम् दरिद्रं च अतपस्विनम्॥

     भावार्थ :
    दो प्रकार के लोग होते हैं, जिनके गले में पत्थर बांधकर उन्हें समुद्र में फेंक देना चाहिए । पहला, वह व्यक्ति जो अमीर होते हुए दान न करता हो । दूसरा, वह व्यक्ति जो गरीब होते हुए कठिन परिश्रम नहीं करता हो ।
    यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः॥

     भावार्थ :
    जिस कुल में स्त्रीयाँ पूजित होती हैं, उस कुल से देवता प्रसन्न होते हैं। जहाँ स्त्रीयों का अपमान होता है, वहाँ सभी ज्ञानदि कर्म निष्फल होते हैं।
    विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन । स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ॥

     भावार्थ :
    विद्वान और राजा की कोई तुलना नहीं हो सकती है । क्योंकि राजा तो केवल अपने राज्य में सम्मान पाता है, जबकि विद्वान जहाँ-जहाँ भी जाता है वह हर जगह सम्मान पाता है ।
    शतेषु जायते शूरः सहस्रेषु च पण्डितः । वक्ता दशसहस्रेषु दाता भवति वा न वा॥

     भावार्थ :
    सैकड़ों में कोई एक शूर-वीर होता है, हजारों में कोई एक विद्वान होता है, दस हजार में कोई एक वक्ता होता है और दानी लाखों में कोई विरला हीं होता है ।
    शोचन्ति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तत्कुलम्। न शोचन्ति नु यत्रता वर्धते तद्धि सर्वदा॥

     भावार्थ :
    जिस कुल में बहू-बेटियां क्लेश भोगती हैं वह कुल शीघ्र नष्ट हो जाता है। किन्तु जहाँ उन्हें किसी तरह का दुःख नहीं होता वह कुल सर्वदा बढ़ता ही रहता है।
    परो अपि हितवान् बन्धुः बन्धुः अपि अहितः परः । अहितः देहजः व्याधिः हितम् आरण्यं औषधम् ॥

     भावार्थ :
    कोई अपरिचित व्यक्ति भी अगर आपकी मदद करे, तो उसे परिवार के सदस्य की तरह महत्व देना चाहिए । और अगर परिवार का कोई अपना सदस्य भी आपको नुकसान पहुंचाए तो उसे महत्व देना बंद कर देना चाहिए । ठीक उसी तरह जैसे शरीर के किसी अंग में कोई बीमारी हो जाए, तो वह हमें तकलीफ पहुँचाने लगती है । जबकि जंगल में उगी हुई औषधी हमारे लिए लाभकारी होती है ।
    तडागकृत् वृक्षरोपी इष्टयज्ञश्च यो द्विजः । एते स्वर्गे महीयन्ते ये चान्ये सत्यवादिनः ॥

     भावार्थ :
    तालाब बनवाने, वृक्षरोपण करने, अैर यज्ञ का अनुष्ठान करने वाले द्विज को स्वर्ग में महत्ता दी जाती है, इसके अतिरिक्त सत्य बोलने वालों को भी महत्व मिलता है ।
    दातव्यं भोक्तव्यं धनविषये सञ्चयो न कर्तव्यः । पश्येह मधुकरिणां सञ्चितमर्थं हरन्त्यन्ये ॥

     भावार्थ :
    धन दूसरों को दिया जाना चाहिए, अथवा उसका स्वयं भोग करना चाहिए । किंतु उसका संचय नहीं करना चाहिए । ध्यान से देखो कि मधुमक्खियों के द्वारा संचित धन अर्थात् शहद दूसरे हर ले जाते हैं ।
     दानं भोगं नाशस्तिस्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य । यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतिया गतिर्भवति ॥
    भावार्थ :
    धन की संभव नियति तीन प्रकार की होती है । पहली है उसका दान, दूसरी उसका भोग, और तीसरी है उसका नाश । जो व्यक्ति उसे न किसी को देता है और न ही उसका स्वयं भोग करता है, उसके धन की तीसरी गति होती है, अर्थात् उसका नाश होना है ।
    लोभेन बुद्धिश्चलति लोभो जनयते तृषाम् । तृषार्तो दुःखमाप्नोति परत्रेह च मानवः ॥

     भावार्थ :
    लोभ से बुद्धि विचलित हो जाती है, लोभ सरलता से न बुझने वाली तृष्णा को जन्म देता है । जो तृष्णा से ग्रस्त होता है वह दुःख का भागीदार बनता है, इस लोक में और परलोक में भी ।
    लोभात्क्रोधः प्रभवति लोभात्कामः प्रजायते । लोभान्मोहश्च नाशश्च लोभः पापस्य कारणम् ॥

     भावार्थ :
    लोभ से क्रोध का भाव उपजता है, लोभ से कामना या इच्छा जागृत होती है, लोभ से ही व्यक्ति मोहित हो जाता है, यानी विवेक खो बैठता है, और वही व्यक्ति के नाश का कारण बनता है । वस्तुतः लोभ समस्त पाप का कारण है ।
    एवं च ते निश्चयमेतु बुद्धिर्दृष्ट्वा विचित्रं जगतः प्रचारम् । सन्तापहेतुर्न सुतो न बन्धुरज्ञाननैमित्तिक एष तापः ॥

     भावार्थ :
    इस संसार की विचित्र गति को देखकर आपकी बुद्धि यह निश्चित समझे कि मनुष्य के मानसिक कष्ट या संताप के लिए उसका पुत्र अथवा बंधु कारण नहीं है, बल्कि दुःख का असली निमित्त तो अज्ञान है ।
    न जातु कामः कामानामुपभोगेन शाम्यति । हविषा कृष्णवर्त्मेव भूय एव अभिवर्तते ॥

     भावार्थ :
    मनुष्य की इच्छा कामनाओं के अनुरूप सुखभोग से नहीं तृप्त होती है । यानी व्यक्ति की इच्छा फिर भी बनी रहती है । असल में वह तो और बढ़ने लगती है, ठीक वैसे ही जैसे आग में इंधन डालने से वह अधिक प्रज्वलित हो उठती है ।
    संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे । सुभाषितरसास्वादः सङ्गतिः सुजने जने ॥

     भावार्थ :
    संसार रूपी कड़ुवे पेड़ से अमृत तुल्य दो ही फल उपलब्ध हो सकते हैं, एक है मीठे बोलों का रसास्वादन और दूसरा है सज्जनों की संगति ।

    10 जन॰ 2017

    असफलता के बाद सफलता पाने वाले शख्श

    By: Successlocator On: जनवरी 10, 2017
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  • अगर आप असफलता से निराश हो चुके हैं और ऐसा सोच रहे हैं कि सबकुछ यहीं खत्म हो गया तो सफल व्यक्तियों के जीवन के बारे में पढ़ें. आपको पता चलेगा कि आप जिन सफल व्यक्तियों की तरह सफल होना चाहते हैं उन्होंने अपने जीवन में कितनी असफलता देखी और उसके बाद सफल हुए.

    विस्टन चर्चल अपनी ही पार्टी के विचारों से असहमत होकर 1929 से 1939 तक संघर्ष करते रहे.  लेकिन बाद में वे इंग्लैंड के प्रधानमंत्री चुने गए.

    थॉमस एडिसन जिनके नाम सबसे ज्यादा चीजों के आविष्कार करने का रिकॉर्ड है, उनके टीचर उनके बारे में कहा करते थे कि तुम जीवन में कभी भी कुछ भी नहीं सीख सकते क्योंकि तुम बेवकूफ हो.

    ओपरा विनफ्रे ऐसी सेलेब्रिटी हैं जिन्होंने गरीबी से अमीरी तक का सफर तय किया है. टेलीविजन टॉक शो के लिए मशहूर विनफ्रे अपने पहले टेलिविजन जॉब के दौरान ही लैंगिक उत्पीड़न का शिकार हुई थीं.

    वॉल्ट डिज्नी 20वीं शताब्दी के मनोरंजन क्षेत्र में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन उनके न्यूज एडिटर ने उनसे कहा था कि तुम्हारे पास न तो कल्पना करने की क्षमता है और न ही कोई अच्छा आडिया. जिसके बाद डिज्नी के मेहनत का ही कमाल था कि'स्नो व्हाइट' फिल्म ने कई बड़े-बड़े उद्योगपतियों को प्रीमियर से पहले ही पछाड़ दिया था.

    स्टीवन स्पीलबर्ग फिल्म निर्देशन की दुनिया का एक बड़ा नाम है. उन्हें फिल्मी दुनिया में लिंकन जैसी फिल्म के लिए ऑस्कर तक मिल चुका है. उनकी प्रतिभा को यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्नियां नहीं परख पाई और उन्हें सिनेमा आर्ट्स में एडमिशन के लिए दो बार रिजेक्ट किया गया.


    आर.एच. मैसी ने अपने शुरुआती करियर के दौरान रिटेल कंपनी के क्षेत्र में काफी असफलता झेली लेकिन उनकी कंपनी के पास दुनिया का सबसे बड़ा डिपार्टमेंट स्टोर चेन है.

    सोयचिरो होंडा को जापानी बिजनेस कम्यूनिटी से बहिष्कृत कर दिया गया था, लेकिन बाद होंडा ने जापानी ऑटोमोटिव के क्षेत्र में क्रांति लाकर रख दिया था.

    केएफसी के फूड को अभी हर कोई खाना चाहता है लेकिन किसी समय हारलैंड डेविड सैंडर्स के नॉन-वेज फूड को खरीददार नहीं मिल रहा था. काफी मेहनत के बाद उन्होंने केएफसी का बिजनेस खड़ा किया.

    अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति डिक चेनी को येल यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया था बाद में काफी संघर्ष के बाद उन्होंने सफलता पाई.

    विज्ञान की दुनिया में क्रांति लाने वाले न्यूटन की मां ने उन्हें स्कूल भेजना बंद कर दिया था क्योंकि वे एक अच्छे स्टूडेंट नहीं थे.

    वेरा वैंग एक डिजाइनर हैं जिन्होंने अपने शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष किया था लेकिन अभी उनका बिजनेस करीब 1 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा का है.

    सिडनी पोइटियर हॉलीवुड के सुपरस्टार हैं, लेकिन उन्हें उनके पहले फिल्म के ऑडिशन के दौरान डायलॉग ठीक से नहीं बोल पाने के कारण फिल्म डायरेक्टर ने काफी डांट लगाई और कहा कि एक्टिंग तुम्हारे बस की बात नहीं है.

    अपने थ्योरी से भौतिक विज्ञान को नई दिशा देने वाले आइंस्टीन बचपन में ठीक से लोगों से कम्यूनिकेट तक नहीं कर पाते थे.

    फ्रेड एस्टेयर हॉलीवुड की दुनिया के लीजेंड हैं, लेकिन अपने पहले स्क्रीन टेस्ट के दौरान ही उन्हें यह सुनना पड़ा था कि तुम न गा सकते हो और न अभिनय कर सकते हो

    जे.के. राउलिंग की किताब हैरी पॉटर ने उन्हें अरबपति बना दिया लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी में खराब वक्त भी झेला है.

    चार्ल्स डार्विन को एक औसत दर्जे का स्टूडेंट समझा जाता था, उन्होंने मेडिसिन के क्षेत्र का करियर भी छोड़ दिया था और वे पादरी बनने के लिए स्कूल जाने लगे थे. उनकी थ्योरी ऑन द ओरिजिन ऑफ द स्पीसीज ने प्राकृतिक रहस्यों पर से कई पर्दे को हटाया.

    चित्रकला की दुनिया में वॉन गाग का नाम पूरी दुनिया आज आदर से लेती है लेकिन यह चित्रकार अपने पूरे जीवनकाल के दौरान सिर्फ एक चित्र ही बेच पाया वह भी अपने मरने से कुछ महीने पहले ही.

    इंडियाना जोन्स फिल्म की सफलता ने हैरिसन फोर्ड को फिल्म की दुनिया में स्थापित कर दिया हो लेकिन उनकी पहली फिल्म में किए गए एक्टिंग के बाद एक एग्जीक्यूटीव ने उन्हें अपने ऑफिस बुलाया और कहा कि तुम फिल्मों की दुनिया में कभी सफल नहीं हो सकते हो.

    थियोडोर सिअस गेज़ेल जो डा. सीअस के नाम से मशहूर हैं उन्हें उनकी किताब के प्रकाशन के लिए 27 प्रकाशकों ने रिजेक्ट कर दिया था. उनकी किताब द कैट इन द हैट और ग्रीन एग्ज एंड हैम ने काफी लोकप्रियता दिलाई.

    ल्यूसिली बॉल अपनी बी ग्रेड फिल्मों के कारण क्वीन ऑफ बी मूवीज हो गई थीं, लेकिन उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा और आई लव लूसी में स्टारडम हासिल किया.


    फोर्ड मोटर ने आज दुनिया में तहलका मचा रखा है लेकिन कम लोगों को ही पता होगा कि हेनरी फोर्ड अपनी शुरुआती करियर में ऑटोमोबाइल बिजनेस में असफल रहे थे.
    वैक्यूम क्लिनर उत्पाद आज हर जगह उपयोग किया जा रहा है लेकिन इसे विकसित करने वाले सर जेम्स डायसन को काफी नुकसान उठाना पडा़ था और बाद में उन्हें इस बिजनेस में सफलता मिली.

    वैक्यूम क्लिनर उत्पाद आज हर जगह उपयोग किया जा रहा है लेकिन इसे विकसित करने वाले सर जेम्स डायसन को काफी नुकसान उठाना पडा़ था और बाद में उन्हें इस बिजनेस में सफलता मिली.

    स्टीफन किंग 'कैरी' नॉवेल लिखते वक्त इतनी परेशानी से घि‍रे थे कि उन्होंने लिखे गए सारे ड्राफ्ट को फाड़ दिया था. उन्होंने नॉवेल लिखने की दुनिया में काफी सफलता पाई और उनके नॉवेल की करीब 350 मीलियन कॉपियां अब तक बेची जा चुकी है.

    कभी पिता संग बेचा करते थे जूस, फिर कैसेट बेच खड़ी की अरबों रूपये की कंपनी

    By: Successlocator On: जनवरी 10, 2017
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  • आज जिस शख्स के सफलता की कहानी हम पेश कर रहे हैं उन्हें हर कोई जानता है लेकिन उनके संघर्ष की कहानी बहुत कम लोग ही जानते। जी हाँ सफलता की यह कहानी है भारत की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनियों में शुमार टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की। आज भले ही गुलशन कुमार हमारे बीच नहीं हैं किन्तु उनकी कारोबारी सफलता आज भी चर्चा का बिषय है।
    दिल्ली के एक गरीब पंजाबी परिवार में पैदा लिए गुलशन कुमार बचपन से ही अपने पिता के जूस की दूकान पर काम में हाथ बटाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उन्हें कारोबार में ही दिलचस्पी पैदा हो गयी। 23 साल की उम्र में उन्होंने ख़ुद के एक कारोबार शुरू करने की दिशा में काम शुरू कर दिया।

    फैमिली की मदद से उन्होंने एक दुकान को टेकओवर किया और फिर ऑडियो कैसेट बेचना शुरू किया। उन्होंने अपने ऑडियो कैसेट के बिजनेस को ‘सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ के नाम से दुनिया के सामने पेश किया।
    गुलशन कुमार ओरिजिनल गानों को दूसरी आवाजों में रिकॉर्ड कर कम दामों में बेचने शुरू कर दिए। जहाँ अन्य कंपनियां एक कैसेट को 28 रुपए में बेचती वही गुलशन कुमार उसे महज़ 15 रूपये में बेचते। 70 के दशक में उनकी कैसेट के डिमांड बहुत बढ़ गए। फिर उन्होंने भक्ति गानों की सीरीज़ भी निकली। उन्होंने खुद भी कई भक्ति गानें गाये जो आज भी मशहूर है। धीरे-धीरे वो म्यूजिक इंडस्ट्री के सफल बिजनेसमैन में शुमार हो गए।
    कैसेट की दुनिया में सफलता मचाने के बाद उन्होंने फ़िल्मी दुनिया का रुख किया। इसके बाद वे म्यूजिक और बॉलीवुड फिल्मों के अलावा हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित फिल्मों और सीरियल्स को भी प्रोड्यूस करने लगे। अपनी तरक्की को देखते हुए गुलशन कुमार ने कमाई का एक हिस्सा समाजिक और धार्मिक संगठनों को दान देना शुरू कर दिए।
    धर्म के  प्रति उनकी अभिन्न रूची की बदौलत उन्होंने माता वैष्णो देवी के दरबार में भंडारा का आयोजन शुरू कर दिया। गुलशन कुमार का यह भंडारा श्री माता वैष्णो देवी मंदिर में आने वाले भक्तों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराता है। ख़बरों की मानें तो जब अबु सलेम ने गुलशन कुमार से हर महीने 5 लाख रुपए फिरौती माँगा था तो उन्होंने फिरौती देने की बजाय उस रूपये से भंडारा शुरू कर दिया था।

    12 अगस्त 1997 को मुम्बई के साउथ अंधेरी इलाके में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। फिर 19 साल की उम्र में उनके बेटे भूषण कुमार ने कंपनी की कमान संभाली। उनकी बेटी तुलसी कुमार एक जानी-मानी प्लेबैक सिंगर है। आज टी-सीरीज भारत की सबसे बड़ी म्यूजिक इंडस्ट्री में से एक है। गुलशन कुमार की कारोबारी सफलता के साथ-साथ उनकी भक्ति-भावना भी लोगों के लिए प्रेरणादायक है।

    9 जन॰ 2017

    10,000 से शुरू किया था, आज करोड़ो के मालिक हैं

    By: Successlocator On: जनवरी 09, 2017
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  • बिजनेस में उतार-चढ़ाव कोई नई बात नहीं है पर कोई नया बिजनेस शुरू कर उसमें सफल होना हमेशा नई बात रही है. बिजनेस के लिए सबसे जरूरी चीज है पैसा या फंड. पर जरूरी नहीं कि किसी के पास पैसा है तो वह एक सफल बिजनेसमै बन ही जाए या अगर आपके पास पैसे नहीं हैं तो आप बिजनेस शुरू नहीं कर सकते. कई बिजनेसमैन हैं जिन्होंने बिजनेस के लिए फंड या पैसों की सबसे जरूरी चीज की धारणा को गलत साबित किया है. इनफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति आज सफल और स्थापित बिजनेसमैन के रूप में जाने जाते हैं. पर शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि नारायण मूर्ति ने इनफोसिस का आधार केवल 10,000 रुपयों से शुरू किया था और वह भी कर्ज लेकर.
    आज इंफोसिस मल्टीनेशनल कंपनी में आती है और आईटी की सर्विसेज देने वाली तीसरी बड़ी कंपनी है. पर 1981 में जब श्री नारायण मूर्ति (Narayan Murthy) ने इसे शुरू किया था तो उनके पास पैसे नहीं थे. उनकी पत्नी सुधा ने मूर्ति से छुपाकर जमा किए 10,000 रु. उन्हें कंपनी शुरू करने के लिए दी थी. इंफोसिस के लिए यही 10,000 इसका आधार बना. उस वक्त इनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि कंपनी के लिए कोई कमरा भी किराए पर ले सकें. शुरू होने के 6 महीने बाद 2 जुलाई, 1981 को कंपनी का रजिस्ट्रेशन इंफोसिस प्राइवेट लिमिटेड के नाम से हुआ जिसमें ऑफिस का पता मूर्ति के दोस्त और कंपनी में पार्टनर राघवन के घर का दिया गया. हालांकि मूर्ति के घर के अगले भाग में स्थित कमरा ही उनका यानि कि इंफोसिस का ऑफिस था.
    नारायण मूर्ति का हौसला ही था कि आज इंफोसिस इस मुकाम पर पहुंच पाया है वरना एक वक्त ऐसा भी था जब कंपनी की हालत को देखते हुए कंपनी में मूर्ति के अन्य पार्टनर इसे बेच दिए जाने का विचार कर रहे थे. 1990 तक इंफोसिस जरूरी लाभ नहीं कमा पा रही थी. उसी वक्त किसी कंपनी ने इंफोसिस को खरीदने का ऑफर रखा. मूर्ति के अन्य सभी पार्टनर नंदन नीलकेणी ( Nandan Nilekani), एन. एस. राघवन (N. S. Raghavan), एस. गोपालाकृष्णन (S. Gopalakrishnan), एस. डी. शिबुलाल (S. D. Shibulal), के. दिनेश (K. Dinesh) इंफोसिस को बेच देने की राय से सहमत थे पर मूर्ति को यह मंजूर नहीं था. मूर्ति को जब लगा कि उनके पार्टनर अब उनका साथ नहीं देंगे तो उन्होंने उनसे कहा कि ठीक है मैं तुम सबको खरीद लूंगा. भले ही तुम्हें खरीदने में मेरी पाई-पाई चली जाए पर मुझे विश्वास है कि इस कंपनी का भविष्य उज्ज्वल होगा. नारायण मूर्ति के इस वक्तव्य ने सभी को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने कंपनी बेचने का खयाल छोड़कर मूर्ति का साथ देने का फैसला कर लिया.
    नारायण मूर्ति ने इंफोसिस का सपना देखते हुए शायद इतना बड़ा एंपायर खड़ा करने का सोचा नहीं होगा. 10,000 की छोटी लागत करोड़ो का मुनाफा कमाने वाली मल्टीनेशनल कंपनी बन चुकी है. आज भारत के अलावे जर्मनी, स्वीडन, बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया में भी इसकी शाखाएं हैं. इंफोसिस हजारों लोगों को रोजगार मुहैया करवा रही है साथ ही समाज सेवा के काम भी करती है. नारायण मूर्ति का हौसला और आत्मविश्वास इंफोसिस को जमीन से आसमान तक की दूरी तय करने में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हुआ. यह हर नए बिजनेसमैन के लिए या बिजनेस शुरू करने की चाह रखने वालों के लिए उदाहरण है कि बिजनेस फंड से नहीं आत्मविश्वास से चलता है.

    रेलवे की ग्रुप डी की परीक्षा में रहे थे नाकाम, अब आईएएस की परीक्षा में दिखाया जलवा

    By: Successlocator On: जनवरी 09, 2017
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  • चाणक्य ने लिखा है कि शिक्षा आपकी बेहतरीन दोस्त है और शिक्षा ही जवानी, सुंदरता और पैसे को हरा सकती है। बहुत पहले पढ़ा चाणक्य का यह कोड अचानक ही आईएएस परीक्षा में टॉप करने वाली इरा सिंघल के घर में याद आ गई। महज 4 फुट 5 इंच की इरा ने अपने फौलादी इरादे और शिक्षा से उन लोगों की मानसिकता को हरा दिया है, जो महिलाओं और खासतौर पर विकलांगता को कमजोरी का प्रतीक मानती हैं। हमारा समाज शिक्षा से ही बदल सकता है। पढ़ाई ही वह कुंजी है, जिससे समाजिक बदलाव के बंद और अंधेरे कमरे खोले जा सकते हैं।

    अरस्तू ने कहा था कि शिक्षा की जड़े बहुत कड़वी लगती हैं, लेकिन उसका फल बहुत मीठा होता है। आईएएस परीक्षा में कामयाब कुछ ऐसे लोगों से भी मैं मिला जो पढ़ाई में बहुत सामान्य हैं, लेकिन मेहनत और सही दिशा ने उन्हें कामयाब बना दिया। दो दोस्तों की एक ऐसी ही कहानी है जो दूर-दराज के गांव और शहरों के छात्रों में प्रेरणा भरने का काम करेगी। इनका नाम सावन कुमार और आदित्य कुमार है। दोनों दिल्ली के एक ही कमरें में रहते थे। एक ही विषय मैथिली साहित्य से तैयारी कर रहे थे। पढ़ाई में दोनों औसत दर्जे के थे। कमोबेश एक जैसे ही पारिवारिक बैकग्राउंड से भी हैं। सावन कुमार के पिता जहां कंडक्टर रह चुके हैं, वहीं आदित्य कुमार के पिता किसान हैं। लेकिन पहले बात सावन कुमार की।

    खगड़िया जिले में हाई स्कूल में 65 फीसदी और इंटरमीडिएट में पचास फीसदी नंबर से पास हुए सावन कुमार ने दिल्ली आकर पढ़ाई में मेहनत की। ध्येय आईएएस इंस्टीट्यूट के विनय सिंह से मार्गदर्शन हासिल किया और अपने दोस्त आदित्य कुमार से हौसला लेकर आईएएस परीक्षा में 285 रैंक हासिल किया।
    सावन कुमार बताते हैं कि 2010 से पहले उन्होंने रेलवे के ग्रुप डी की परीक्षा भी दी, लेकिन उसे पास नहीं कर पाए। तभी आदित्य कुमार ने दिल्ली चलने को कहा। साल 2011 में जब प्रारंभिक परीक्षा नहीं पास कर पाया तो फिर रेलवे की परीक्षा देने की सोची, लेकिन मेरे दोस्त ने हौसला बढ़ाया और आज मैं कामयाब हो गया।

    वहीं बिहार में मधेपुरा के आदित्य कुमार कहते हैं कि हमारी शैक्षिक पृष्ठिभूमि औसत रही है। वह बताते हैं कि इसी के चलते हमारे जैसे छात्रों को संयम और पेशेवर तरीके से पढ़ाई करना बहुत जरूरी है। आदित्य कुमार आईएएस की परीक्षा में दो बार अंग्रेजी के विषय में फेल हो चुके थे, लेकिन उसके बावजूद हिम्मत नहीं हारे। छोटे शहर और गांव के छात्रों की यही कठोर मानसिकता और संघर्ष उनके हौसले के परचम को हमेशा इसी तरह लहराती रहेंगी।

    8 जन॰ 2017

    व्यापार को सफल बनाने के 10 नियम

    By: Successlocator On: जनवरी 08, 2017
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  • क्या आप सोच सकते हैं कि अपने बचपन में दूध बेचने वाला , घर-घर अखबार फेंकने  वाला, और होटल में waiter का काम करने वाला अपने जीवन में क्या बन सकता है???……वो लाखों लोगों को नौकरी पर रख सकता है , किसी industry को पूरी तरह से बदल सकता है, वो दुनिया की सबसे बड़ी company बना सकता है…..और खुद बन सकता है America’s Richest Man . मैं बात कर रहा दुनिया की सबसे बड़ी Retail Company  Walmart की  स्थापना करने वाले Sam Walton की. सैम वाल्टन (1918-1992) को modern retail का जनक भी कहा जाता है, इन्ही का business model follow करते हुए आज Big Bazaar, More, Reliance Fresh जैसे stores भारत में भी खुल गए हैं.  वह 1982 से 1988 तक अमेरिका के सबसे अमीर व्यक्ति थे और आज की तारीख में भी वालमार्ट हमेशा Top 10 companies में रहती है और अरबों dollar का  व्यापार करती है.
    तो भला आप ही सोचिये अगर इतनी बड़ी उपलब्धियों वाला  व्यक्ति आपको business करने के गुण बताये तो बात में दम तो होगा ही. और आज AKC पर मैं उन्ही के द्वारा बताये गए 10 Rules share कर रहा हूँ:

    Business  सफल बनाने के 10 Golden Rules
    Rule 1: अपने  व्यवसाय  के  प्रति  समर्पित रहिये :

    आपको  अपने  business में  किसी  भी  और  व्यक्ति  से  ज्यादा  यकीन  होना  चाहिए . यदि  इंसान  में  अपने  काम  के  प्रति  passion है  तो  वो  अपने  अन्दर  की  सारी  खामियों  से  पार  पा  लेगा . मुझे  नहीं  पता  कि  आदमी  passion के  साथ  पैदा  होता  है  या  वो  इसे  develop कर  सकता  है . पर   मैं  इतना  जानता  हूँ  कि आपको  इसकी  ज़रुरत  पड़ती  है .  यदि आप अपने काम से प्रेम करते हैं तो, तो आप हर रोज़ उसे best possible way में करना चाहेंगे ,और जल्द ही आपके साथ काम करने वाले भी किसी बुखार की तरह इसे आपसे catch कर लेंगे.
    Rule 2: Profit को सभी काम करने   वालों  में  बाटिये  और  उन्हें  partner की  तरह  treat करिए :

    बदले  में   employees भी  आपको as a  partner treat करेंगे  और  तब  आप  जितना  सोच  नहीं  सकते  उससे  भी  अच्छा  कर  पायेंगे . आप  चाहें   तो  company पर  अपना  control बनाये  रखिये  मगर  एक  सेवक  के  रूप  में  lead करिए . अपने  साथियों  को  company के  stocks खरीदने  के  लिए  encourage करिए  और  retirement के  समय  उन्हें  discounted stocks दीजिये .शायद  हमने  आज  तक  जो  कुछ  भी  किया  उनमे  से  ये  सबसे  महत्त्वपूर्ण  चीज  थी .
    Rule 3: Motivate your partners. अपने  partners को  motivate कीजिये :
    सिर्फ  पैसा  और  ownership काफी  नहीं  है .हर  रोज़  नए  innovative तरीकों  से  अपने  partners को motivate और  challenge कीजिये . बड़े  लक्ष्य  निर्धारित  करिए  , competition को  बढ़ावा  दीजिये  …अगर  माहौल  फीका  पड़  रहा  हो  तो  एक  manager की  जॉब  दूसरे  से  switch कीजिये  और  उन्हें  बेहतर  करने  के  लिए  उत्साहित  कीजिये . अपने  आपको  बहुत  predictable मत  बनाइये , लोगों  को  guess करने  दीजिये  की  आपकी  अगली  trick क्या  होगी .
    Rule 4: अपने  partners को  हर  संभव  चीज  communicate कीजिये :

    ऐसा  करने  से  वो  business को  बेहतर  समझ  पायेंगे  , और  जितना  अधिक  वो  समझेंगे  उतनी  ज्यादा  care करेंगे . और  जब  वो  care करने  लगेंगे  तब  उन्हें  कोई  रोक  नहीं  सकता . यदि  आप  अपने  associates से  बातें  छुपायेंगे  तो  वो  देर -सबेर  समझ  जायेंगे  कि  आप  उनको  partner नहीं  consider करते  हैं . सूचना  शक्ति  है  , अपने  asoocites को  empower करके  आपको  जो  फायदा  होता  है  वो  competitor को  बात  का  पता  चलने  से  होने  वाले  नुकसान  से  कहीं  अधिक  है .
    Rule 5: Associates business के  लिए  जो  करते  हैं  उसकी  प्रशंशा  कीजिये :

    Salary और  share देने  से  आपको  एक  तरह  की  loyalty मिलेगी . लेकिन  हर  कोई  अपने  काम  की  प्रशंशा  सुनना  चाहता  है . हम  अक्सर  अपनी  प्रशंशा सुनना  चाहते  हैं , और  खासतौर  पर  तब  जब  हम  अपने  किसी  काम  पर  proud feel कर  रहे  हों . सही  समय  पर  , सही  शब्दों  द्वारा  की  गयी  सच्ची  प्रशंशा  का  कोई  विकल्प  नहीं  है . ये  बिलकुल  फ्री  होते  हुए  भी  एक  खजाने  के  बराबर  होती  है .
    Rule 6: Celebrate your success. अपनी  सफलता को  celebrate करिए :

    यदि  आप  असफल  हों  तो  उसमे  कुछ  humour खोजिये . अपने  आप  को  बहुत  seriously मत  लीजिये . जब  आप  tension free होंगे  तो  आपके  साथ  के  लोग  भी  हल्का  महसूस  करेंगे .उत्साह  दिखाइए – हमेशा . जब  सब  fail  हो  जाए  तो  रंग  बिरंगे  कपडे  पहन   कर  कोई  silly गाना  गिये . और  फिर  सभी  को  अपने  साथ  गाने  को  कहिये . अपनी  कामयाबी  का  जश्न  मानाने  के  लिए  Wall Street पर  मत  नाचिये . ये  किया  जा  चुका  है . कुछ  नया  सोचिये , ये  सब  जितना  हम  सोचते  हैं  उससे  कहीं  अधिक  ज़रूरी  है  और  मस्ती  से  भरा  हुआ  भी , और  इससे  competitor भी  मूर्ख  बन  जाते  हैं .
    Rule 7: अपनी  कंपनी  में  हर  किसी  को  सुनिए  और  ऐसा  उपाय  निकालिए  कि  वो  आपस  में  बात  करें :

    जो  सामने  बैठते  हैं —वो  जो  customer  से  बात  करते  हैं —सिर्फ  वही  जानते  हैं  कि  वहां  क्या  चल  रहा  है . इसलिए  ये  जानने  की  कोशिश  कीजिये   कि  वो  क्या  जानते  हैं .Total Quality  बस  यही  है . अपनी  संस्था  में  नीचे  तक  responsibility push करने  के  लिए  और  नयी  ideas को  सामने  लेन  के  लिए  ज़रूरी  है  कि  आप  यह  जानने  की  कोशिश  करें  कि  आपके  associate क्या  कहना  चाहते  हैं .
    Rule 8: अपने  customers को  उम्मीद  से  ज्यादा  दीजिये :

    यदि  आप  ऐसा  करेंगे  तो  वो  बार – बार  वापस  आयेंगे . उन्हें  वो  दीजिये  जो  वो  चाहते  हैं —और  फिर उससे  थोडा  ज्यादा . उन्हें  पता  चलना  चाहिए  की  आप  उनको  appreciate करते  हैं . अपनी  सभी  गलतियों  को  स्वीकारिये  और excuse मत दीजिये  —माफ़ी  मांगिये .आप  जो  कुछ  भी  करते  हैं  उसके  पीछे  खड़े  रहिये . आज  तक  दो  सबसे  ज़रूरी  शब्द  जो  मैंने  पहले  Wal-Mart sign के  नीचे  लिखे  थे : “Satisfaction Guaranteed” . वो  आज  भी  ऐसे  ही  लिखे  हुए  हैं  और  उनकी  वजह  से  इतना  सब  कुछ  हो  पाया .
    Rule 9: अपने  खर्चों  को  competition से  बेहतर  ढंग  से  control कीजिये :

    यहीं   पर  आप  competitive advantage पा  सकते  हैं . लगातार  25 सालों  से  – Wal-Mart के  देश  के  सबसे  बड़े  retailer बनने  से  पहले — हम  इस  industry  में  lowest Expense to Sales ratio में  No.1 रहे  हैं , आप  बहुत  सारी  गलतियाँ  कर  के  भी  दुबारा  उबर  सकते  हैं  यदि  आपके  operations efficient हों . या  आप  बहुत  brilliant होते  हुए  भी  business से  बाहर  हो  सकते  हैं  अगर  आप  बहुत  inefficient हों .
    Rule 10: धारा  के  विपरीत  तैरिये :

     दूसरी   तरफ  जाइये . Conventional Wisdom को छोड़िये . अगर  हर  कोई  काम  को  एक ही  तरह  से  कर  रहा  है  तो बहुत  ज्यादा  chance है  कि  आप  ठीक  उलटी  दिशा  में  जाकर  अपना  niche  पा  सकते  हैं .पर  इस  बात  के  लिए  तैयार  रहिये  कि  आपको  बहुत  सारे  लोग  ये  इशारा  करेंगे की  आप  गलत  दिशा  में  जा  रहे  हैं . मुझे  लगता  है  कि  मैंने  इन  तमाम  सालों  में  किसी  और  बात  से अधिक ये  सुना  है  कि : 50,000 से  कम  आबादी  वाला  town एक  discount store को  ज्यदा  समय  तक  support नहीं  कर  सकता

    अपना बिज़नेस कैसे शुरू करें – How to Start a Business (Hindi Guide)

    By: Successlocator On: जनवरी 08, 2017
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  • हममें से अधिकांश लोगों के पास व्यवसाय से सम्बंधित बड़े बड़े शानदार बिज़नेस आईडिया होते है और हम अपना खुद का कारोबार शुरू करने के सपने देखते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग असफ़ल होने के डर के कारण कभी भी अपने आईडिया को मूर्त रूप नहीं दे पाते| कई लोग नौकरी छोड़कर अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते है लेकिन पारिवारिक, सामाजिक और वितीय दबाव के कारण स्थापित नौकरी को छोड़कर जोखिमपूर्ण व्यवसाय शुरू करने के विचार से ही घबरा जाते है|  लेकिन ………….
    Journey of Entrepreneurship

    किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से लेकर करोड़ों की कंपनी बनाने तक की यात्रा एक बहुत ही कठिन लेकिन अद्भुत सफ़र होता है| इस यात्रा में आपको योजना बनानी होती है, कड़ी मेहनत करनी होती है, मुसीबतों का सामना करना होता है, समस्याओं का हल निकालना होता है, असफलता को स्वीकार करके उससे सीख लेनी होती है| शुरुआत में आपके सामने हजारों मुसीबतें आती है, लोग आपके आईडिया पर विश्वास नहीं करते, आप कई बार असफल होते है, कई बार आत्मविश्वास डगमगा जाता है| लेकिन इस यात्रा में आपको हर बार गिरकर फिर से उठना होता है और फिर अचानक एक दिन आपके लिए सफ़लता के द्वार खुल जाते है और आपकी किस्मत बदल जाती है, आप अपने बिज़नेस में इतनी तेजी से सफलता की सीढियाँ चढ़ते है कि आपको स्वंय पर विश्वास नहीं होता|


    Ideas To Start A Business

    व्यापार कैसे शुरु करें



    Business Vision: सबसे पहले यह तय करें कि बिज़नेस क्यों करना चाहते है? आपका व्यवसाय करने का आखिरी लक्ष्य क्या है? आप व्यवसाय के द्वारा क्या प्राप्त करना चाहते है और कितने समय में प्राप्त करना चाहते है| क्या आप करोड़पति बनना चाहते है? क्या आपके व्यवसाय करने का अंतिम उद्देश्य अपने बिज़नेस के द्वारा लोगों की मदद करना है??


    Business Type: अब तय करें कि आप कौनसा बिज़नेस करना चाहते है? आप कौनसा प्रोडक्ट बनाएंगे या कौनसी सर्विसेज प्रदान करेंगे? क्या आप अपनी हॉबी को व्यवसाय का रूप देना चाहतें है या फिर कुछ ऐसा करना चाहते है जिस क्षेत्र में आपको अच्छा अनुभव है? आपका Business Idea क्या है? आपका प्रोडक्ट क्या होगा? आपके कस्टमर कौन होंगे?


    Business Strategy: अब तय करें की आपकी बिज़नेस स्ट्रेटेजी क्या है? आप कैसे अपने व्यवसाय में सबसे उत्पाद बनाएंगे या सेवाएं प्रदान करेंगे? कैसे आपका बिज़नेस आइडिया दूसरों से अलग है और आपके बिज़नेस आईडिया में ऐसी क्या खास बात है कि आपका बिज़नेस, पूरे मार्केट को बदल सकता है? आप कैसे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ेंगे? आप किन-किन तरीकों से अपने व्यवसाय से पैसे कमा सकेंगे?


    Business Location: आप व्यवसाय कहाँ से करेंगे? क्या आप अपने घर से शुरुआत करेंगे या अपने व्यवसाय के लिए अलग से जगह लेंगे? आपके बिज़नेस के लिए कौनसी जगह सबसे अच्छी रहेगी?


    Finance: आपको अपने व्यवसाय को शुरू करने के लिए शुरुआत में कितने रूपयों की जरूरत होगी और निरंतर रूप से व्यवसाय को चलाने के लिए कितने रूपयों की जरूरत होगी? आपका व्यवसाय कितने समय बात लाभ देना शुरू कर देगा? अपने रूपयों की जरूरतों को इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है : –    सम्पति (Assets)– आपको अपने व्यवसाय के लिए कौन-कौन सी सम्पतियों की जरूरत पड़ेगी जैसे भवन, जमीन, मशीनरी, फर्नीचर, वाहन आदि और आप इन सम्पतियों का इंतजाम कैसे करेंगे (खरीदेंगे या किराये पर लेंगे)? इन सम्पतियों के लिए कितने रूपयों की आवश्यकता होगी? खर्चे (Expenditure) – आपके व्यवसाय को निरंतर रूप से चलाने के लिए कौन कौन से खर्चें होंगे जैसे – कर्मचारियों की सैलरी, रखरखाव के खर्चे, किराया, विभिन्न प्रकार के कंसलटेंट की फीस आदि|
    Market Research:अपने व्यवसाय के मार्केट और इंडस्ट्री का रिसर्च कीजिए| आप विभिन्न तरीकों से रिसर्च कर सकते है – इन्टरनेट से जानकारी जुटाकर, बड़े-बड़े व्यवसाइयों से संपर्क करके, मार्केट के जानकारों से मिलकर या ई मेल करके, मार्केट की बड़ी-बड़ी कंपनियों की रिपोर्ट पढ़कर आदि| मार्केट का रिसर्च करके यह पता लगाइए कि डिमांड और सप्लाई क्या है? सबसे ज्यादा कौनसा प्रोडक्ट बिक रहा है और क्यों? प्रोडक्ट में ऐसी कौनसी कमियां है जिसे अपने प्रोडक्ट में दूर करके मार्केट लीडर बना जा सकता है?
    Business Structure: आपका बिज़नेस स्ट्रक्चर कैसे रहेगा? आप व्यवसाय कैसे शुरू करना चाहते है – एक कंपनी से शुरुआत करना चाहते है या फिर एक पार्टनरशिप फर्म या फिर एकल व्यवसाय के रूप? बिज़नेस का स्ट्रक्चर वितीय स्त्रोतों को ध्यान में रखकर चुना जाता है|


    Business Plan: अब अपना लिखित बिज़नेस प्लान बनाएं और इसमें अपने व्यवसाय से सम्बंधित सभी बातों को शामिल करें| आप बिज़नेस प्लान के लिए किसी प्रोफेशनल कंसलटेंट की मदद ले सकते है|


    Funding Options: अपने व्यवसाय की वितीय जरूरतों को पूरा करने स्त्रोतों का विश्लेषण करें| आपकी वितीय जरूरतें कैसे पूरी होंगी? क्या आप बैंक से लोन लेंगे, रिश्तेदारों और दोस्तों से लोन लेंगे या फिर खुद के पैसे से ही व्यवसाय शुरू करेंगे? आजकल स्टार्टअप फंडिंग के कई सारे नए नए स्त्रोत उपलब्ध है जैसे एंजेल इन्वेस्टर्स, वेंचर कैपिटल फण्ड, क्राउड-फंडिंग आदि| वितीय स्त्रोतों का चुनाव कर लेने के बाद फंडिंग या लोन के लिए आवेदन करें और फंडिंग की प्रक्रिया को समझें| फंडिंग से सम्बंधित सभी डाक्यूमेंट्स और बिज़नेस प्लान का इंतजाम करें|


    Start Your Business: वितीय जरूरतों का इंतजाम करने के बाद अपने व्यवसाय को शुरू करने की और कदम बढ़ाएं| धीरे धीरे अपने व्यवसाय के लिए सभी संसाधनों का इंतजाम करें – कर्मचारियों की नियुक्ति, सम्पतियों की खरीद, प्रोडक्शन से सम्बंधित सभी संसाधनों का इंतजाम आदि| बिजनेस के लिए जब पूरी प्लानिंग हो जाती है और आपके पास पूंजी भी, तो इसके बाद अहम चरण होता है, बिजनेस प्लान को व्यवहार में लाना। इस दौरान सेलिंग और कस्टमर सर्विस आदि नए उद्यमी के लिए एसिड टेस्ट की तरह होता है। इस दौरान आपको अपना शत-प्रतिशत कौशल दिखाना होगा, ताकि आप अपने सर्विस के प्रति लोगों में भरोसा कायम कर सकें। तभी आप अपनी सफलता की कहानी शुरू कर सकते हैं।


    Brand and Marketing: अब तय करें कि आप कब से अपना व्यवसाय शुरू कर रहे है और उसके लिए आप अपने ब्रांड की मार्केटिंग कैसे करेंगे? क्या आप विज्ञापन के द्वारा अपने व्यवसाय की मार्केटिंग करेंगे या फिर इन्टरनेट का उपयोग करेंगे?


    Technology: टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें और अपनी ऑनलाइन मार्केटिंग करें| सोशल मीडिया पर अपने बिज़नेस के बारे में लोगों को बताएं और विश्लेषण करें कि कैसे इन्टरनेट और टेक्नोलॉजी की मदद से व्यवसाय को तेजी से सफलता की ओर आगे बढ़ाएंगे|
    USP: अब आप एक तरह से अपना बिज़नेस शुरू कर चुके है| अब आपको लगातार मेहनत करनी है और अपने व्यवसाय को सफल बनाने (Business Success) के लिए नए नए तरीके ढूढ़ने है|धीरे धीरे अनुभव के आधार पर अपनी USP (unique value proposition) का निर्माण करें| यानि कि ऐसी क्या बात है जो आपको दूसरों से अलग बनाती है|


    Leadership: अपने व्यवसाय को निरंतर रूप से आगे बढ़ाते रहें और एक लीडर की तरह अपनी टीम का नेतृत्व करें| अपनी कर्मचारियों को कर्मचारी न समझकर अपने पार्टनर समझें|